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Uttarakhand News: उत्तराखंड ने रचा इतिहास, विधानसभा में यूसीसी बिल ध्वनिमत से पास

Uttarakhand News: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह इतिहास बन गया। विधानसभा में सुबह इस बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा हुई उसके बाद यह बिल ध्वनिमत से पारित हो गया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 7 Feb 2024 1:51 PM GMT
Uttarakhand created history, UCC bill passed by voice vote in Assembly
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उत्तराखंड ने रचा इतिहास, विधानसभा में यूसीसी बिल ध्वनिमत से पास: Photo- Social Media

Uttarakhand News: उत्तराखंड ने बुधवार यानी 7 फरवरी 2024 को इतिहास रच दिया। विधानसभा में चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता का बिल ध्वनिमत से पास हो गया। इस तरह से उत्तराखंड समान नागरिक संहिता बिल को विधानसभा में पास करने वाला पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह इतिहास बन गया। विधानसभा में सुबह इस बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा हुई उसके बाद यह बिल ध्वनिमत से पारित हो गया।

यूसीसी बिल में जानिए क्या है खास-

रुकेगा महिलाओं का उत्पीड़न

इस समान नागरिक संहिता बिल में विवाह की आयु जहां एक ओर सभी युवकों के लिए 21 वर्ष रखी गई है तो वहीं सभी युवतियों के लिए इसे 18 वर्ष निर्धारित किया गया है। ऐसा करके हम उन बच्चियों का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न रोक पाएंगे। अब इस कानून के जरिए दंपती में से यदि कोई भी, बिना दूसरे की सहमति से अपना धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से विवाह विच्छेद करने और गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा। जिस प्रकार से अभी तक जन्म व मृत्यु का पंजीकरण होता था, उसी प्रकार की प्रक्रिया को अपनाकर विवाह और विवाह विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। हमारी सरकार के सरलीकरण के मंत्र के अनुरूप यह पंजीकरण एक वेब पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकेगा।

जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग का भेद नहीं

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं। भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। उनके नेतृत्व में यह देश तीन तलाक और धारा-370 जैसी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के पथ पर है। समान नागरिक संहिता का विधेयक पीएम द्वारा देश को विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लिए किए जा रहे महान यज्ञ में हमारे प्रदेश द्वारा अर्पित की गई एक आहुति मात्र है। यूसीसी के इस विधेयक में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, क्षेत्र व लिंग के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने का प्रयास किया गया है। हमनें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सक।

महिला सुरक्षा व सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण अध्याय

सीएम धामी ने कहा कि संविधान सभा ने इससे संबंधित विषयों को संविधान की समवर्ती सूची का अंग बनाया है। जिससे केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी अपने राज्य के लिए समान नागरिक संहिता पर कानून बना सकें। आखिर क्यों आजादी के बाद अधिक समय तक राज करने वाले लोगों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के बारें में विचार तक नहीं किया। वे राष्ट्रनीति को भूलकर सिर्फ और सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे थे। कहा कि हमारी माताओं-बहनों के इंतजार की घड़िया अब समाप्त होने जा रही हैं। उत्तराखंड इसका साक्षी बनने जा रहा है जिसके निर्माण के लिए इस प्रदेश की मातृशक्ति ने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। हमारी सरकार का यह कदम संविधान में लिखित नीति और सिद्धांत के अनुरूप है। यह महिला सुरक्षा तथा महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है।

सीएम धामी बोले- यह देवभूमि का सौभाग्य जो यह अवसर मिला

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी विधेयक पर चर्चा की। उन्होंने इसे ऐतिहासिक विधेयक बताया। कल से लगातार इस विधेयक पर सार्थक चर्चा हुई है। यह कोई सामान्य विधेयक नहीं है। वास्तव में देव भूमि उत्तराखंड का सौभाग्य है जो यह अवसर मिला है। भारत में कई बड़े प्रदेश हैं लेकिन यह अवसर उत्तराखंड को मिला है। हम सब इस बात को लेकर गौरान्वित हैं कि हमें इतिहास लिखने का अवसर मिला। साथ ही देवभूमि से देश को दिशा दिखाने का अवसर इस सदन के प्रत्येक सदस्य को मिला। यह कोई साधारण विधेयक नहीं है बल्कि भारत की एकात्मा का सूत्र है। हमारे संविधान शिल्पियों ने जिस अवधारणा के साथ हमारा संविधान बनाया था, देवभूमि उत्तराखंड से वही अवधारणा धरातल पर उतरने जा रही है।

Shashi kant gautam

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