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India में घट रही गरीबी: 15 वर्षों के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से निकले बाहर, UN रिपोर्ट में किया गया दावा

India Poverty Reduction: संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने गरीबी खत्म करने की दिशा में मिसाल पेश की है। UN ने भारत की इस उपलब्धि की सराहना की। यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि 2005-06 से 2019-21 तक महज 15 वर्षों के भीतर भारत में कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।

Aman Kumar Singh
Published on: 11 July 2023 10:17 AM GMT (Updated on: 11 July 2023 10:29 AM GMT)
India में घट रही गरीबी: 15 वर्षों के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से निकले बाहर, UN रिपोर्ट में किया गया दावा
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UN रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी घटी (Social Media)

India Poverty Reduction : संयुक्त राष्ट्र (United Nations Report) ने मंगलवार (11 जुलाई) को कहा कि, भारत में एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से बाहर आई है। UN Report के अनुसार, वर्ष 2005-06 से 2019-21 के दौरान यानी महज 15 वर्षों में कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। ये बात वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) अर्थात एमपीआई के नवीनतम आंकड़ों में कही गई है।

जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के 'ऑक्सफोर्ड गरीबी' और 'मानव विकास पहल' की ओर से जारी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत 25 देशों ने बीते 15 वर्षों में अपने वैश्विक एमपीआई मूल्यों (गरीबी) को सफलतापूर्वक आधा कर दिया। ये आंकड़ा इन देशों में तेजी से प्रगति को दिखाता है। इन देशों में कंबोडिया (Cambodia), चीन (China), कांगो (Congo), होंडुरास (Honduras), भारत (India), इंडोनेशिया (Indonesia), मोरक्को (Morocco), सर्बिया (Serbia) और वियतनाम (Vietnam) शामिल हैं।

भारत ने साबित किया गरीबी से निपटा जा सकता है

यूनाइटेड नेशन के आंकड़ों की मानें तो अप्रैल 2023 में भारत 142.86 करोड़ लोगों की आबादी के साथ अपने पड़ोसी चीन को पीछे छोड़ चुका है। इस आंकड़े के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यूएन की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि, 'भारत में विशेष रूप से गरीबी में उल्लेखनीय कमी नजर आ रही है। भारत में 15 वर्षों में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। रिपोर्ट बताती है कि गरीबी से निपटा जा सकता है। भारत ने इसमें अच्छा काम किया है।'

55.1% से घटकर 16.4 % पर पहुंचा आंकड़ा

रिपोर्ट के इसके अनुसार, कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) के दौरान व्यापक आंकड़ों की कमी से तात्कालिक संभावनाओं का आंकलन करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भारत में 2005-06 से 2019-21 के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए। साल 2005-06 में जहां गरीबों की आबादी 55.1 फीसदी थी, वह 2019-21 में घटकर 16.4 प्रतिशत हो गई।

पोषण और बाल मृत्यु दर में भी सुधार

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2005-06 में भारत में करीब 64.5 करोड़ लोग गरीबी सूची में शामिल थे। ये संख्या 2015-16 में घटकर 37 करोड़ के आसपास रहा। वर्ष 2019-21 में और कम होकर 23 करोड़ हो गई। यूएन रिपोर्ट की मानें तो भारत में सभी संकेतकों (Indicators) के अनुसार, गरीबी में तेज गिरावट देखने को मिली है। सबसे गरीब राज्यों तथा समूहों, जिनमें बच्चे और वंचित जाति समूह के लोग शामिल हैं, ने सबसे तेजी से प्रगति की। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में पोषण संकेतक (Nutrition Indicator) के तहत बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोग 2005-06 में 44.3 फीसद थे जो 2019-21 में कम होकर 11.8 प्रतिशत हो गए। इसी समयावधि में बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate in India) 4.5 फीसदी से घटकर 1.5 प्रतिशत हो गई।

ईंधन-बिजली-पेयजल-स्वछता के ये हैं आंकड़े

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, खाना पकाने के ईंधन से वंचित गरीबों की संख्या भारत में 52.9 प्रतिशत से घटकर 13.9 फीसदी हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक इसमें बड़ा सुधार हुआ है। वहीं, स्वच्छता से वंचित लोग जहां 2005-06 में 50.4 फीसदी थे, उनकी संख्या 2019-21 में गिरकर महज 11.3 फीसद रह गई है। इसी तरह, पेयजल के पैमाने की बात करें तो उक्त अवधि के दौरान बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोगों का प्रतिशत 16.4 से घटकर 2.7 हो गया। देश में बिना बिजली कनेक्शन के रह रहे लोगों की संख्या 29 प्रतिशत से घटकर मात्र 2.1 प्रतिशत रह गई। बिना आवास वाले गरीबों की संख्या 44.9 प्रतिशत से गिरकर 13.6 फीसदी रह गई है।

Aman Kumar Singh

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