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ऐप का नाम 'भीम' ही क्यों? क्या PM मोदी कोई और नाम नहीं रख सकते थे?

aman
By aman
Published on: 30 Dec 2016 12:01 PM GMT
ऐप का नाम भीम ही क्यों? क्या PM मोदी कोई और नाम नहीं रख सकते थे?
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार 30 दिसंबर को 'भीम' ऐप लांच कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से दलित एजेंडा छीनने का प्रयास किया।

ऐप का नाम भीम ही क्यों?

ऐप लांच करते समय पीएम मोदी ने ऐप की तारीफ की, उसकी खूबियां बताईं। ये भी बताया कि अब इसके लिए ज्यादा महंगे फोन की जरूरत नहीं होगी। दूसरी ओर, उन्होंने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तारीफ की। कहा, 'उनके जीवन का मंत्र था बहुजन हिताए बहुजन सुखाय। वो गरीबों के मसीहा थे। इस ऐप का नाम बाबा साहब के नाम पर इसलिए रखा गया क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी दलित, शोषित और वंचित लोगों के लिए खपा दी।'

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अंगूठे ही होगा पहचान

पीएम मोदी ने कहा, 'अब छोटा हो या बड़ा, सभी कारोबार भीम ऐप से ही होगा। इसे उपयोग करने के बाद इंटरनेट की भी जरूरत नहीं होगी।' उन्होंने कहा कि 'आने वाले दो सप्ताह में वो बैंकिंग को आधार से जोडने जा रहे हैं। अब अंगूठे से काम चलेगा। अंगूठा ही पहचान होगा और पूरे कारोबार का हिस्सा। पहले अनपढों को अंगूठा छाप कहा जाता था लेकिन अब यही लोगों की पहचान बनेगा। चाहे वो पढ़ा लिखा हो या अनपढ़।'

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मोदी की नजर यूपी-पंजाब चुनाव पर

इस ऐप का नाम संभवतः पीएम मोदी ने जानबूझकर बाबा साहब के नाम पर रखा। उनकी नजर यूपी के साथ पंजाब के चुनाव पर भी रही होगी। जहां दलित वोट किसी की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। लोकसभा के 2014 के चुनाव में मोदी यूपी में दलितों के मिले वोट का मजा उठा चुके हैं। अब तक इस वोट बैंक पर मायावती का एकाधिकार माना जाता रहा है लेकिन लोकसभा चुनाव में दलितों ने उन्हें खाली हाथ रखा। नतीजा ये हुआ कि मायावती को एक भी सीट नहीं मिली।

मोदी सरकार की नजर राज्यसभा सीटों पर

मोदी के लिए यूपी और पंजाब के विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन दो राज्यों की जीत राज्यसभा में भी बीजेपी की संख्या बढ़ाएगी। जहां उसे विपक्ष के बहुमत होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या दलित होंगे प्रभावित?...

क्या दलित होंगे प्रभावित?

अब सवाल ये भी है कि क्या भीम ऐप से दलित प्रभावित होंगे। मोदी कई बार बाबा साहब को नेल्सन मंडेला जैसा अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नेता बता चुके हैं। वो खुद भी उनसे काफी प्रभावित दिखते हैं। इसीलिए अपने हर भाषण में वो बाबा साहब का न तो जिक्र करना भूलते हैं और न उनकी तारीफ करना।

आर्थिक रूप से भीम ऐप की सफलता तो तय दिखाई देती है क्या राजनीतिक भीम की सफलता भी उतनी ही सफल होगी? इसके लिए तो चुनाव नतीजे का इंतजार करना होगा ।

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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