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BRD: नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला, 48 घंटों में कुल 30 बच्चों की मौत

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By aman
Published on: 5 Nov 2017 12:25 PM GMT
BRD: नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला, 48 घंटों में कुल 30 बच्चों की मौत
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BRD: अब भी नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला, 48 घंटों में कुल 30 बच्चों की मौत

गोरखपुर: बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी मेडिकल कॉलेज) में मासूमों की मौत का सिलसिला अब भी थमता नजर नहीं आ रहा। 1 नवंबर से 3 नंवबर के बीच 48 घंटों में कुल 30 मासूमों की मौत इस बात की गवाही देती है कि यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। हालां‍कि, मेडिकल कॉलेज प्रशासन की मानें तो इंसे‍फेलाइटिस से मौतों के आंकड़े में कमी आई है। लेकिन कॉलेज के जिम्‍मेदार यह भी मानते हैं कि इन मौतों को सामान्‍य नहीं कहा जा सकता।

उल्लेखनीय है, कि गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब अगस्‍त माह में ऑक्‍सीजन की कमी की वजह से 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था और बीआरडी के तत्‍कालीन प्राचार्य डा. राजीव मिश्र, उनकी पत्‍नी डॉ. पूर्णिमा शुक्‍ला, डॉ. कफील खान सहित कुल 9 लोगों को जेल जाना पड़ा। बावजूद इसके यहां हर रोज मासूमों की मौतें हो रही हैं। इन मौतों से जहां आमलोग हैरान हैं वहीं पूर्व में इसे सामान्‍य मौतें बताने वाला बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी अब इसे सामान्‍य नहीं मान रहा।

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BRD: नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला, 48 घंटों में कुल 30 बच्चों की मौत

ये है मौतों का आंकड़ा

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पीके सिंह के हवाले से डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया, कि '1 नवंबर की रात 12 बजे से 3 नवंबर की रात 12 बजे तक 48 घंटे में कुल 30 बच्‍चों की मौतें हुई हैं। उन्‍होंने बताया, कि बीआरडी कॉलेज में 1 नवंबर की रात 12 बजे से 3 नवंबर की रात 12 बजे तक एनआईसीयू (नियो नेटल यूनिट) में कुल 15 बच्‍चों की मौत हुई है। वहीं, पीआईसीयू (पीडिया) में 15 बच्‍चों की मौत हुई। उन्‍होंने बताया कि 1 नवंबर की रात 12 बजे से 2 नंवबर की रात 12 बजे तक एनआईसीयू में 7 और पीआईसीयू में 5 बच्‍चों की मौतें हुई। तो वहीं, 2 नवंबर की रात 12 बजे से 3 नंवबर की रात 12 बजे तक एनआईसीयू में 8 और पीआईसीयू में 10 बच्‍चों की मौतें हुई हैं।

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डॉ. डीके श्रीवास्‍तव ने बताया कि 1 नवंबर की रात 12 बजे से 2 नंवबर की रात 12 बजे तक एनआईसीयू में 15 नवजात भर्ती और 79 बच्‍चे बेड पर थे। वहीं, पीआईसीयू में 30 बच्‍चे भर्ती और 217 बेड पर थे। 2 नवंबर की रात 12 बजे से 3 नंवबर की रात 12 बजे तक एनआईसीयू में 10 नए मरीज भर्ती व 72 बेड पर थे। जबकि पीआईसीयू में 36 एडमिट और 185 बेड पर थे।

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आने वाले 40-50 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है

हैरान करने वाली बात यह है कि डॉ. डीके श्रीवास्‍तव बताते हैं कि यहां आने वाले बच्‍चों में 40 से 50 प्रतिशत बच्चों की मौत हो जाती है। हालांकि, वह यह कहते हैं कि यह अन्‍य मेडिकल कॉलेज के आंकड़े के बराबर है। 1 जनवरी से अब तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसे‍फेलाइटिस के 1,870 मरीज भर्ती हुए हैं जिसमें 404 की मौत हो चुकी है, जबकि, 1,255 ठीक होकर अपने घर चले गए। नवजात बच्‍चों की मौत पर वह कहते हैं कि 'नवजात बच्‍चे को काफी गंभीर बीमारियां होती हैं इसलिए उनको बचा पाना मुश्किल हो जाता है।'

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ये कहा पीड़ितों ने

सिद्धार्थनगर से आए सेराज बताते हैं कि उनका 5 साल का बेटा यहां पांच दिनों से भर्ती है। उसकी हालत पहले से ठीक है। उन्‍हें उम्‍मीद है कि वह ठीक हो जाएगा। वहीं सिद्धार्थनगर से ही आई संगीता की 4 साल की बच्‍ची चांदनी को यहां पर एक माह से अधिक हो गए। बड़ी बेटी लक्ष्‍मी (6 साल) भी यहां भर्ती है। संगीता ने बताया कि डॉक्टरों का कहना है कि वह बच नहीं पाएगी। वहीं परिजन चांदनी के साथ घर जा पाने की उम्‍मीद भी खो चुके हैं।

आखिर कैसे थमेगा मौतों का सिलसिला?

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर रोज हो रही मासूमों की मौतों का आंकड़ा हैरान करने वाला है। अब मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी यह मानने लगा ह‍ै कि इसे सामान्‍य मौतें नहीं कही जा सकती। बावजूद इसके योगी सरकार कोई भी पुख्‍ता इंतजाम करने में असफल नजर आ रही है। ऐसे में बच्‍चों की मौतों का सिलसिला कैसे थमेगा यह बड़ा सवाल है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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