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वंजारा बम: किस्मत ने दिया साथ नहीं तो मोदी—शाह को गिरफ्तार कर लेती सीबीआई

Manoj Dwivedi
Published on: 6 Jun 2018 3:42 AM GMT
वंजारा बम: किस्मत ने दिया साथ नहीं तो मोदी—शाह को गिरफ्तार कर लेती सीबीआई
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अहमदाबाद: गुजरात के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक डी.जी. वंजारा ने मंगलवार को एक विशेष अदालत में कहा कि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह को गिरफ्तार करना चाहती थी।

किस्मत ने दिया साथ

सीबीआई अदालत में दाखिल एक रिहाई याचिका में वंजारा के वकील वी.डी. गज्जर ने न्यायाधीश जे.के. पांड्या के समक्ष दावा किया कि सीबीआई मोदी और शाह को गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन किस्मत से ऐसा नहीं हुआ। वही नरेंद्र मोदी अब भारत के प्रधानमंत्री हैं और गृह राज्यमंत्री रहते अदालत के आदेश पर अपने ही राज्य से चार साल के लिए बाहर निकाले गए अमित शाह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

जमानत पर हैं वंजारा

इस मामले में जमानत पा चुके वंजारा ने इससे पहले इसी अदालत में बयान दिया था कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वह जांच अधिकारी से गोपनीय रूप से इस मामले के बारे में पूछते थे। सीबीआई ने शाह को 2014 में पर्याप्त सबूत के अभाव में दोषमुक्त घोषित कर दिया था। जून 2004 में, मुंबई निवासी इशरत जहां (19), उसका मित्र जावेद उर्फ प्राणेश और पाकिस्तानी मूल के जीशान जौहर और अमजद अली राणा को पूर्व आईजी वंजारा की टीम ने अहमदाबाद के बाहरी इलाके में मार गिराया था।

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यह फर्जी मुठभेड़ थी!

इशरत जहां और उसके मित्रों को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के मिशन पर आने वाले आतंकवादी करार दिया गया था। हालांकि बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला था कि यह फर्जी मुठभेड़ थी। वंजारा के वकील ने मंगलवार को दावा किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ आरोपपत्र मनगढ़ंत हैं और पूर्व पुलिस अधिकारी के खिलाफ वाद दायर करने लायक पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ गवाहों के पहले आरोपी होने के कारण उनकी गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

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बना है रहस्य

सीबीआई ने वंजारा की रिहाई की अपील का विरोध किया। एक अन्य सह आरोपी और पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एन.के. अमीन ने भी इसी अदालत में रिहाई याचिका दायर की जिसकी सुनवाई पिछले महीने खत्म हुई। पिछले महीने खत्म हुई सुनवाई में पूर्व पुलिस अधीक्षक और वर्तमान में वकालत का काम कर रहे अमीन ने दावा किया कि जांच में सीबीआई का सहयोग कर रहे गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा ने सबूतों से छेड़छाड़ की थी, जिससे यह पता ना लगे कि उन्होंने अपनी बंदूक से गोली चलाई थी।

दोनों पूर्व अधिकारियों ने अदालत द्वारा दोषमुक्त साबित हो चुके एक अन्य सह आरोपी पूर्व प्रभारी पुलिस महानिदेशक पी.पी. पांडे के साथ समानता की मांग की थी। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 15 जून को करने का आदेश दिया है।

Manoj Dwivedi

Manoj Dwivedi

MJMC, BJMC, B.A in Journalism. Worked with Dainik Jagran, Hindustan. Money Bhaskar (Newsportal), Shukrawar Magazine, Metro Ujala. More Than 12 Years Experience in Journalism.

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