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Lakshmi Ganesha Unknown Facts: जानें लक्ष्मी गणेश का आपस में क्या रिश्ता है, दीवाली पर इन दोनों की पूजा क्यों होती है

Lakshmi Ganesha Ka Rishta Kya Hai: हमारे देश में दिवाली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के दिन भगवान राम जब माता सीता के साथ अयोध्या वापस आए थे।

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Published on: 22 Dec 2022 2:47 AM GMT
Why Goddess Lakshmi Lord Ganesha worshiped together
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Lord Ganesha Goddess Lakshmi (Image: Social Media)

Lakshmi Ganesha Unknown Facts: हमारे देश में दिवाली का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के दिन भगवान राम जब माता सीता के साथ अयोध्या वापस आए थे तब पूरी अयोध्या नगरी में दीए जलाकर उनका स्वागत किया गया था लेकिन फिर भी हम दिवाली के दिन माता सीता और प्रभु राम की पूजा की जगह गणेश जी और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, क्या आप इसके पीछे का कारण जानना चाहते हैं? आइए जानते हैं इससे जुड़ी कथा

लक्ष्मी गणेश की पहली कथा-

लक्ष्मी जी जब सागरमन्थन में मिलीं और भगवान विष्णु से विवाह किया तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए मैनेजर कुबेर को बनाया। कुबेर बड़े ही कंजूस थे, वे धन बाँटते नहीं थे, खुद धन के भंडारी बन कर बैठ गए।

माता लक्ष्मी परेशान हो गई, उनकी सन्तान को कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई। भगवान विष्णु ने उन्हें कहा कि तुम मैनेजर बदल लो, माँ लक्ष्मी बोली, यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं उन्हें बुरा लगेगा।

तब भगवान विष्णु ने उन्हें गणेश जी की विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी।

माँ लक्ष्मी ने गणेश जी को धन का डिस्ट्रीब्यूटर बनने को कहा, गणेश जी ठहरे महाबुद्धिमान, वे बोले, माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना, कोई किंतु परन्तु नहीं। माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी !

अब गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/ रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे।

कुबेर भंडारी रह गए, गणेश पैसा सैंक्शन करवाने वाले बन गए।

गणेश जी की दरियादिली देख माँ लक्ष्मी ने अपने भतीजे/ भांजे/ मानस पुत्र श्रीगणेश को आशीर्वाद दिया कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।

दीवाली आती है कार्तिक अमावस्या को, भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं, वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद देव उठनी एकादशी को। माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिन, तो वे सँग ले आती हैं गणेश जी को, इसलिए दीवाली को लक्ष्मी गणेश की पूजा होती है।

लक्ष्मी गणेश की दूसरी कथा-

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी को स्वयं पर अभिमान हो गया कि सारा जगत उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए लालायित रहता है।

उनकी इस भावना को भगवान विष्णु समझ गए। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी का घमण्ड व अहंकार ध्वस्त करने के उद्देश्य से उनसे कहा कि 'देवी भले ही सारा संसार आपकी पूजा करता है और आपको पाने के लिए व्याकुल रहता है किन्तु आपमें एक बहुत बड़ी कमी है। आप अभी तक अपूर्ण हैं।'

जब माता लक्ष्मी ने अपनी उस कमी को जानना चाहा तो विष्णु जी ने उनसे कहा कि 'जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती तब तक वह पूर्णता को प्राप्त नहीं करती। आप नि:सन्तान होने के कारण अपूर्ण है।'

यह जानकर माता लक्ष्मी को बहुत दु:ख हुआ। उन्होंने अपनी सखी पार्वती को अपनी पीड़ा बताई और उनसे उनके दो पुत्रों में से गणेश को उन्हें गोद देने को कहा। माता लक्ष्मी का दु:ख दूर करने के उद्देश्य से पार्वती जी ने अपने पुत्र गणेश को उन्हें गोद दे दिया। तभी से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के 'दत्तक-पुत्र' माने जाने लगे। गणेश को पुत्र रूप में पाकर माता लक्ष्मी अतिप्रसन्न हुईं और उन्होंने गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा मैं उसके पास नहीं रहूंगी। इसलिए सदैव लक्ष्मी जी के साथ उनके 'दत्तक-पुत्र' भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

Anupma Raj

Anupma Raj

Sports Content Writer

My name is Anupma Raj. I am from Patna. I'm a content writer with more than 3 years of experience.

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