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नये साल से आनलाइन शापिंग पर गिरेगी गाज, चमकेगा फुटकर कारोबार

विदेशी निवेश वाले आन लाइन कंपनियों के लिए घोषित नई नीति से नए साल में कई कंपनियों को नुकसान होगा तो कई फायदे में भी रहेंगी। कन्ज्यूमर को यह नुकसान होगा कि उसे आनलाइन शापिंग से जो तमाम तरह के लाभ मिलते हैं वह अब नहीं मिल पाएंगे।

Anoop Ojha
Published on: 29 Dec 2018 7:00 AM GMT
नये साल से आनलाइन शापिंग पर गिरेगी गाज, चमकेगा फुटकर कारोबार
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विदेशी निवेश वाले आन लाइन कंपनियों के लिए घोषित नई नीति से नए साल में कई कंपनियों को नुकसान होगा तो कई फायदे में भी रहेंगी। कन्ज्यूमर को यह नुकसान होगा कि उसे आनलाइन शापिंग से जो तमाम तरह के लाभ मिलते हैं वह अब नहीं मिल पाएंगे। केंद्र सरकार की नई नीति से कैश बैक, एक्सक्लूसिव सेल, ऐमेजॉन प्राइम या फ्लिपकार्ट जैसी विशेष सेवाएं बंद हो जाएंगी। इससे कंपनियों को जो नुकसान होना है वह तो होगा ही इसे कंज्यूमर यानी ग्राहक अब किसी योजना का लाभ नहीं उठा पाएगा। ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कस्टमर्स को भारी छूट दिये जाने के खिलाफ घरेलू कारोबारियों की आपत्तियों के मद्देनज़र ये फैसला लिया गया है।

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किसी कंपनी में मार्केट प्लेस या इसकी ग्रुप कंपनियों के शेयर हैं तो उसे उस प्लेटफार्म पर अपने प्राडक्ट्स बेचने की अनुमति नहीं होगी। बड़े प्लेटफार्म किसी खास वेंडर को सुविधा नहीं दे पाएंगे। सरकार की इस नीति से छोटे विक्रेताओं को फायदा होगा। दूसरे नए नियम लागू होने के बाद आनलाइन शापिंग पर बड़ी छूट मिलना संभव नहीं होगा।

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क्या कहती हैं कंपनियां

फ्लिपकार्ट का मानना है कि सरकारी नीतियों के बदलाव से अपार संभावना वाले इस सेक्टर और मार्केट के पूरे इकोसिस्टम पर असर पड़ेगा। वहीं एमेजान ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि एक तरफ तो आप निवेश करने को कह रहे हैं और दूसरी तरफ आप बिना किसी सलाह मशविरे के नीति में बदलाव का एलान कर रहे हैं। यह ईज आफ डूइंग बिजनेस के लिए खतरनाक है।

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क्या कहते हैं छोटे विक्रेता

ऑनलाइन कंपनियां सामान बेचने के बहाने काला धन खपाने में जुटी हैं। सभी ऑनलाइन ट्रेडिंग कंपनियां घरों पर सामान भेजकर कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा दे रही हैं। लेकिन यह पैसा किसके नाम और किस आधार पर जमा किया जा रहा है इसका लेखा-जोखा क्या है। यह सबसे बड़ा सवाल है।

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फुटकर बाजारों को हो रहा था घाटा

ऑनलाइन कंपनियों की बड़ी बड़ी छूट देने से फुटकर बाजार में व्यापार लगभग खत्म होने की कगार पर है। ऐसे में केन्द्र सरकार ने ऑनलाइन कंपनियों पर लगाए गए अंकुश से छोटे विक्रेताओं में उम्मीद जगी है कि अन्य मुद्दों पर भी सरकार ध्यान देगी। छोटे विक्रेताओं की सरकार से पहले भी मांग रही है कि ऑनलाइन और फुटकर बाजार के बीच बिक रहे सामानों के दामों में एकरूपता लाई जाए। इसीलिए ऑनलाइन बिक्री पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाना चाहिए।

कैश ऑन डिलीवरी के बहाने ऑनलाइन कंपनियां काला धन खपा रही हैं। इस आरोप का आधार यह है कि यदि किसी उत्पाद की कीमत एक लाख रुपये से भी ऊपर है और उपभोक्ता सीधे कैश देकर खरीदारी कर रहा है तो इसका रिकार्ड कहां है।

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खुदरा व्यापारियों की मांग है कि ऑनलाइन शापिंग में नकद भुगतान को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। क्योंकि सामान के बदले कैश लेने वाले लोग कोरियर के हैं कंपनी के नहीं। यह किस नियम से हो रहा है। इनका कहना है कि सरकार जहां एक तरफ डिजिटल इंडिया का नारा देकर अभियान चला रही है वहीं दूसरी तरफ ऑनलाइन कंपनियां कैश ऑन डिलीवरी लेकर सरकार की चूलें हिलाने में लगी हैं। ऐसे में नये साल से फुटकर विक्रेताओं को राहत मिल सकती है और उनका बंद होता कारोबार फिर से जम सकता है।

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नई अधिसूचना में कहा गया कि आनलाइन कंपनियों को हर साल 30 सितंबर तक लेखा परीक्षक की रिपोर्ट के साथ रिजर्व बैंक के पास एक प्रमाण पत्र जमा कराना होगा ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनी पिछले वित्त वर्ष के दिशा निर्देशों का पालन ठीक ढंग से किया है। ये बदलाव 1 फरवरी, 2019 से प्रभावी होंगे।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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