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Spiritual Thoughts: हम में परिवर्तन क्यों नहीं होता

Spiritual Thoughts: हबीब और संत हसन बसरी का आख्यान

Kanchan Singh
Published on: 30 March 2024 9:25 AM GMT (Updated on: 30 March 2024 9:30 AM GMT)
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Spiritual Thoughts: हबीब और संत हसन बसरी का आख्यानरास्ते में बालक खेल रहे थे, वह कहते हैं-देखो जी वह आता है, सूद खोर हबीब, हट जाओ रास्ते से कहीं ऐसा न हो कि उस की धूल हम पर चढ जाए और हम भी इसी की तरह बदबख्त हो जाएं.

संत से दीक्षा ली। और तौबा कर ली।

लौटते समय वही लड़के फिर खेलते मिले। लड़के इस दफा कह रहे थे।हट जाओ जी रास्ते से। हबीब अब तौबा करके आ रहा है। ऐसा ना हो। हमारी धूल उस पर पड़ जाए और उसके कारण अल्लाह हमारा नाम गुनाहगारों में लिख दे।

एक बार हसन बसरी नदी के किनारे खड़े थे। हबीब ने पूछा-कैसे खड़े हो उस्ताद?

बोले-नाव के इंतजार में हूं। हबीब ने कहा-हसन! ईर्ष्या और दुनिया की मोहब्बत को (राग) दिल से निकाल दीजिए। बलाओ को गनीमत समझिये और खुदा पर यकीन करके पानी पर पैर रखते हुए चले जाइए।

हबीब ने खुद वैसा करके दिखा दिया।हसन बसरी यह देखकर बेहोश हो गए।

होश आने पर बोले-हबीब मुझसे ही ज्ञान सीखा और मुझे ही शिक्षा दी।

बाद में उन्होंने हबीब से पूछा-तुम्हे यह मर्तबा कैसे हासिल हुआ।हबीब ने जवाब दिया। मैं दिल साफ करता रहा और आप कागज काले करते रहे।

जरूरत है दिल को पाक करने की, दिल को माजने की।

घर की संडास को जब मैं साफ करता हूं, रगड़ रगड़ कर काई और मैल निकालता हूं। तो अक्सर एक टीम निकल पड़ती है। काश इस तरह में अपना दिल धो पाता।मुंह से गुन गुना कर ही रह जाता हूं।

(कल्याण पत्रिका के 155 वें अंक से साभार । लेखिका धर्म शास्त्र मर्मज्ञ एवं प्रख्यात ज्योतिषी हैं ।)

Shalini Rai

Shalini Rai

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