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Lok Sabha Election 2024: बरेली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

Lok Sabha Election 2024: रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर रोहिलखंड के ऐतिहासिक क्षेत्र की राजधानी था, 1537 में स्थापित बरेली शहर का निर्माण मुगल प्रशासक मकरंद राय ने करवाया था

Neel Mani Lal
Published on: 6 May 2024 8:32 AM GMT (Updated on: 6 May 2024 8:33 AM GMT)
Lok Sabha Election 2024
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Lok Sabha Election 2024: इस क्षेत्र का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल में उत्तरी पंचाल की राजधानी अहिछत्र के अवशेष जिले की आंवला तहसील के रामनगर नाम के गांव में पाए जाते हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार, यहां का इतिहास दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 11वीं शताब्दी के बीच का है। रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर रोहिलखंड के ऐतिहासिक क्षेत्र की राजधानी था। 1537 में स्थापित बरेली शहर का निर्माण मुगल प्रशासक मकरंद राय ने करवाया था। यहां पर एक फ़ौजी छावनी है। यह 1857 में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ हुए भारतीय विद्रोह का एक केंद्र भी था।

- बरेली अपने झुमके, बांस के सामान, फर्नीचर, पतंग, मांझा आदि के लिए प्रसिद्ध है।

- धोपेश्वर नाथ, दरगाह आला हजरत, पशुपति नाथ, तपेश्वरनाथ यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

- इसके अलावा पीलीभीत में टाइगर रिजर्व, पूरनपुर में गोमती नदी का उद्गमस्थल, एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध, पसगंवा पक्षी विहार, चूका बीच, बरेली में अहिच्छत्र, यक्ष की साक्षी महाभारतकालीन लीलौर झील, पांचाल नगरी, विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल, खानकाह नियाजिया, बदायूं में कछला घाट, सहसवान का सरसोता ताल, शाहजहांपुर में बहादुर खां का मकबरा, परशुराम मंदिर मशहूर हैं।आजादी की जंग में बरेली की अपनी अलग ही भूमिका रही है। महात्मा गांधी ने आंदोलन के समय दो बार बरेली की यात्रा की थी। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान बरेली में खासा असर देखा गया था। जवाहर लाल नेहरू, रफी अहमद किदवई, महावीर त्यागी और मंजर अली जैसे कई स्वतंत्रता सेनानी बरेली की जेल में रहे हैं।

विधानसभा क्षेत्र

बरेली लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं - मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, बरेली और बरेली कैंट। इनमें भोजीपुरा सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में है जबकि बाकी अन्य भाजपा के कब्जे में हैं।

जातीय समीकरण

बरेली लोकसभा क्षेत्र में कुल 26 लाख मतदाता हैं। अनुमान है कि यहाँ सर्वाधिक मुस्लिम मतदाता (करीब सात लाख) हैं। कुर्मी छह लाख, कश्यप डेढ़ लाख, मौर्य डेढ़ लाख व वैश्य पौने दो लाख हैं। बाकी अन्य वर्ग के वोटर हैं।

राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- बरेली लोकसभा सीट पर भाजपा का वर्चस्व रहता चला आ रहा है। संतोष गंगवार आठ बार सांसद बन चुके हैं। केंद्र की भाजपा सरकारों में वह मंत्री भी रह चुके हैं। उनसे पहले इस सीट से पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी बेगम आबिदा भी सांसद रह चुकी हैं।

- 1952 और 1957 में कांग्रेस के सतीश चन्द्र ने यहाँ का प्रतिनिधित्व किया।

- 1962 में जनसंघ के ब्रिजराज सिंह और 1967 में बृजभूषण लाल जीते।

- 1971 फिर कांग्रेस से सतीश चन्द्र विजयी रहे।

- 19 77 में जनता पार्टी से राम मूर्ति और 1980 में मिसायर खान जीते।

- 1981 और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर बेगम आबिदा अहमद विजयी रहीं।

- उसके बाद 1989, 91, 96, 98, 99 और 2004 में भाजपा ने परचम लहराया और उसके संतोष गंगवार लगातार विजयी रहे।

- 2009 में यह सिलसिला टूटा और कांग्रेस के प्रवीण सिंह एरन ने जीत हासिल की।

- लेकिन 2014 और 2019 में संतोष गंगवार ने जोरदार वापसी की और भाजपा का कब्जा बरकरार किया।

इस बार के उम्मीदवार

- भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद संतोष गंगवार का टिकट काट दिया है और बहेड़ी के पूर्व विधायक छत्रपाल सिंह गंगवार को मैदान में उतारा है। जबकि इंडिया अलायन्स के तहत कांग्रेस के टिकट पर प्रवीण सिंह एरन उतारे गए हैं, जो इस सीट से 2009 के लोकसभा विजेता रहे थे।

स्थानीय मुद्दे

- रोजगार की समस्या से पार पाने के लिए मेगा फूड पार्क और आइटी पार्क प्रस्तावित हैं। लेकिन अभी भी बन नहीं पाया है। लघु उद्योग धंधों की हालत भी अच्छी नहीं है। बरेली का मांझा, पतंग, जरी-जरदोजी, फर्नीचर के कारोबार की हालत खराब है।

- पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघ-मानव संघर्ष की घटानाएं भी बढ़ी हैं।

- किसानों के लिए चीनी मिल व उसके भुगतान से जुड़े मुद्दे हैं, गिरता हुआ जलस्तर भी बड़ा मुद्दा है। अनाज भंड़ारण की उचित व्यवस्था नहीं है। नेशनल हाईवे समेत अन्य सड़कों की हालत बहुत अच्छी नहीं है।

Shalini singh

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