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MP News: महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में एमपी अव्वल, चुनाव में बन सकता है बीजेपी के लिए गले की फांस

MP News:केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े महिला अपराध को लेकर मध्य प्रदेश की भयावह कहानी बयां कर रहे हैं। इसके मुताबिक, प्रदेश में हर दिन औसतन 17 से 18 रेप के मामले देखने को मिलते हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 28 Sep 2023 10:52 AM GMT (Updated on: 28 Sep 2023 4:18 PM GMT)
MP tops in crimes against women, BJP will suffer loss in assembly elections
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महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में एमपी अव्वल, विधान सभा चुनाव में बीजेपी को होगा नुकसान: Photo- Social Media

MP News: देश का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश ‘शांति का टापू’ भी कहा जाता है। लेकिन राज्य में लगातार महिलाओं, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अपराध कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। उज्जैन में नाबालिग लड़की के साथ हुई दरिंदगी की घटना ने पूरे देश में एमपी को एकबार फिर से शर्मसार किया है। ऐसी कई घटनाएं पिछले दिनों सामने आ चुकी हैं, जो आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए गले की फांस बन सकती है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव में जाने से पहले प्रदेश की महिलाओं और लड़कियों को लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। गैस सिलेंडर के दाम में कमी करना हो या लाडली लक्ष्मी योजना लाना हो, सब इसी कवायद का हिस्सा है। वे लगातार महिला सशक्तिकरण और बेटियों को सम्मान देने की बात करते हैं। इसलिए वे खुद को प्रदेश में ‘मामा’ बुलाना पसंद करते हैं। मगर केंद्र सरकार के जो आंकड़े हैं, वो बताते हैं कि एमपी में मामा का राज होने के बावजूद बहनें और भांजियां सुरक्षित नहीं हैं।

बच्चियों से रेप के मामले में एमपी अव्वल

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े महिला अपराध को लेकर मध्य प्रदेश की भयावह कहानी बयां कर रहे हैं। इसके मुताबिक, प्रदेश में हर दिन औसतन 17 से 18 रेप के मामले देखने को मिलते हैं। एनसीआरबी के रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में देशभर में नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के 33 हजार 36 मामले सामने आए थे, जिनमें सबसे ज्यादा 3515 मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए थे।

इससे एक साल पहले यानी 2020 में भी एमपी की यही हालत थी। उस दौरान प्रदेश में रेप के 5598 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 3259 मामले नाबालिग लड़कियों से रेप के थे। उस दौरान भी इस घिनौनी वारदात के मामले में देश में शीर्ष पर था।

सबसे ज्यादा महिलाएं एमपी से गायब हुईं

देश में बड़ी संख्या में महिलाएं और लड़कियां हर साल गायब हो जाती हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 2019 से 2021 के बीच 13 लाख 13 हजार लड़कियां और महिलाएं लापता हुए हैं। इनमें सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश के हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2019 से 2021 के बीच 18 साल से अधिक आयु की 10 लाख 61 हजार 648 महिलाएं लापता हुईं। इनमें एक लाख 60 हजार 180 महिलाएं एमपी की हैं। वहीं, इस दौरान देश में 18 साल की कम उम्र की दो लाख 51 हजार 430 लड़कियां गायब हुईं। इनमें 38 हजार 234 लड़कियां मध्य प्रदेश की हैं।

आदिवासी और दलित उत्पीड़न के मामले भी बढ़े

मध्य प्रदेश में पिछले दिनों एक आदिवासी शख्स के साथ हुए पेशाब कांड का मामला हो या एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या का मामला हो, देशभर में ये मुद्दे छाए रहे थे। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में आदिवासी और दलितों का उत्पीड़न भी बढ़ा है। 2021 में प्रदेश में आदिवासी उत्पीड़न के 2 हजार 627 केस दर्ज किए गए हैं, जो कि पूरे देश में सर्वाधिक है। इसके अलावा 2018 और 2021 के बीच में दलितों पर हुए अत्याचारों से जुड़े दर्ज मामलों में भी 5.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

बीजेपी की चुनावी डगर हो सकती है मुश्किल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चर्चत पेशाब कांड पर फौरन रिएक्ट करते हुए आरोपी बीजेपी नेता के घर पर बुलडोजर चलवा दिया था। इसके अलावा पीड़ित आदिवासी शख्स को सीएम हाउस बुलाकर कैमरे के सामने खूब आदर-सत्कार किया और साथ में भोजन किया। ये दिखाता है कि प्रदेश आदिवासी मतदाताओं की क्या हैसियत है, जिसकी नाराजगी का जोखिम बिल्कुल बीजेपी नहीं उठा सकती है। 2018 में कांग्रेस के हाथों पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह आदिवासी और दलित आबादी बहुल क्षेत्रों में पार्टी के खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश के कुल 5.52 वोटर में महिलाओं की संख्या 2.67 करोड़ है। महिलाएं अब तक बड़े पैमाने पर बीजेपी को वोट करते आई हैं। सीएम शिवराज इन्हें अपने साथ बरकरार रखने के लिए इन दिनों खूब जतन कर रहे हैं। इसी प्रकार राज्य विधानसभा की कुल 230 सीटों में 35 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए रिजर्व हैं। प्रदेश में 84 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी गेम बनाने या बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। इसलिए बीजेपी के सामने महिलाओं के साथ-साथ दलित और आदिवासी वर्ग को भी साधने की चुनौती है।

Shashi kant gautam

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