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...तो क्या इंदौर में बीजेपी को नहीं मिल रहे जिताऊ-टिकाऊ प्रत्याशी !

सुमित्रा के कद के आगे कोई भी बड़ा नेता अपनी दावेदारी पार्टी के सामने प्रस्तुत नहीं कर रहा। इसीलिए कैलाश ने भी पश्चिम बंगाल के प्रभारी के रूप में अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया है। 

Rishi
Published on: 19 April 2019 10:36 AM GMT
...तो क्या इंदौर में बीजेपी को नहीं मिल रहे जिताऊ-टिकाऊ प्रत्याशी !
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इंदौर : मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी की घोषणा रहस्य बन चुकी है। सुमित्रा ताई और कैलाश विजयवर्गीय चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन उनको पार्टी टिकट नहीं दे रही।

शंकर के साथ ही विधायक मालिनी लक्ष्मणसिंह गौड़, रमेश मैंदोला और कृष्णमुरारी मोघे भी टिकट मांग रहे हैं लेकिन पार्टी आलाकमान इनको जिताऊ नहीं मानता।

सूत्रों की माने तो भोपाल की तरह ही यहां भी चौंकाने वाला नाम हो सकता है।

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दूसरी ओर, कांग्रेस ने इंदौर क्षेत्र से अपने वरिष्ठ नेता पंकज संघवी को प्रत्याशी घोषित किया है जहां उनके सामने भाजपा का 30 साल पुराना गढ़ भेदने की मुश्किल चुनौती है।

आखिर क्यों नहीं मिल रहा प्रत्याशी

पार्टी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार चुनाव जीत चुकी हैं। लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के बीजेपी के निर्णय को लेकर मीडिया में जब खबरें आने लगीं तो आहत ताई ने पांच अप्रैल को घोषणा की थी कि वह बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी।

सुमित्रा के कद के आगे कोई भी बड़ा नेता अपनी दावेदारी पार्टी के सामने प्रस्तुत नहीं कर रहा। इसीलिए कैलाश ने भी पश्चिम बंगाल के प्रभारी के रूप में अपनी मौजूदा जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय किया है।

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सूत्र कहते हैं बीजेपी आलाकमान इस सीट से किसी कद्दावर नेता को ही मैदान में उतारना चाहता है। वहीं ताई को मनाने का भी प्रयास चल रहा है।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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