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Taliban-India: तालिबान और भारत का रिश्ता, कब पहले कब करेगा देश?

Taliban- India Talks: भारत के लिए गंभीर दुख की खबर यह है कि ताशकंद में चल रही मध्य एशिया संबंधी बैठक में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के नेता आपस में भिड़ गए और उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे दिए।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Shivani
Published on: 18 July 2021 4:41 AM GMT
India Taliban
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जय शंकर और तालिबानी नेता (डिजाइन इमेज)

India-Taliban: भारत के प्रतिभाशाली और युवा फोटो-पत्रकार दानिश सिद्दिकी (Danish Siddique) अफगानिस्तान में शहीद हो गए, यह भारत के लिए बेहद दुखद खबर है। अफगान सेनाओं और तालिबान के बीच स्पिन बल्दाक में चल रहे युद्ध के दौरान वे चित्र ले रहे थे। भारत के लिए गंभीर दुख की खबर यह भी है कि ताशकंद में चल रही मध्य एशिया संबंधी बैठक में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के नेता आपस में भिड़ गए और उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे दिए।

अफगान सेनाओं और तालिबान के बीच युद्ध

उसका एक बुरा नतीजा यह भी हुआ कि आज इस्लामाबाद में दोनों देशों के बीच संवाद होना था, वह टल गया! दोनों देश बैठकर यह विचार करनेवाले थे कि अफगानिस्तान में अमेरिकी वापसी से जो संकट पैदा हो रहा है, उसका मुकाबला कैसे किया जाए। यह सदभावनापूर्ण बैठक होती, उसके बदले दोनों सरकारों ने एक-दूसरे पर आरोपों का कूड़ा उंडेलना शुरु कर दिया है।

ताशकंद में अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आरोप लगाया कि हमलावर तालिबान की मदद करने में पाकिस्तान की फौज जी-जान से लगी हुई है। स्पिन-बल्दाक याने पाक-अफगान सीमांत पर तालिबान इसीलिए जोर मार रहे हैं कि पाकिस्तानी फौज उनकी पीठ ठोक रही है। पाकिस्तान के फौजी प्रवक्ता ने कहा कि यदि सीमांत पर अफगान हवाई हमले होंगे तो पाक-फौज चुप नहीं बैठेगी। अशरफ गनी ने कहा है कि पाकिस्तान ने अफगान-सीमा में 10 हजार तालिबान घुसेड़ दिए हैं। उसने तालिबान पर पर्याप्त दबाव नहीं डाला, वरना वे बातचीत के जरिए इस संकट को हल कर सकते थे।


इमरान खान ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान की कोशिश नहीं होती तो तालिबान बातचीत की मेज़ पर ही नहीं आते। पाकिस्तान के लगभग 70,000 लोग इस संकट के कारण मारे गए हैं और 30 लाख से ज्यादा अफगान पाकिस्तान में आ बसे हैं। यदि अफगानिस्तान में गृह-युद्ध हुआ तो पाकिस्तान एक बार फिर लाखों शरणार्थियों से भर जाएगा। पाक-अफगान नेताओं का यह वाग्युद्ध अब कौन शांत करवा सकता है ?

यह काम सबसे अच्छा अमेरिका कर सकता था लेकिन वह अपना पिंड छुड़ाने में लगा हुआ है। रूस, चीन और तुर्की दोनों अफगान पक्षों के संपर्क में हैं लेकिन उनका पलड़ा काफी हल्का है। यह काम दक्षिण एशिया का सिरमौर भारत सफलतापूर्वक कर सकता है लेकिन उसके विदेश मंत्रालय के पास योग्य लोग नहीं हैं, जिनका काबुल सरकार और तालिबान, दोनों से संपर्क हो। यदि भारत पहल करे तो वह पाकिस्तानी नेताओं को भी उनके आसन्न संकट से बचा सकता है और आगे जाकर कश्मीर पर भी पाकिस्तान को राजी कर सकता है।


हमारे विदेश मंत्री ने ताशकंद बैठक में भारत का रटा-रटाया पुराना राग फिर से गा दिया लेकिन वह क्यों नहीं समझते कि यदि अफगानिस्तान में अराजकता फैल गई तो भारत में आतंकवाद बढ़ेगा और अफगानिस्तान में हमारा 3 बिलियन डाॅलर का विनियोग व्यर्थ चला जाएगा।

Shivani

Shivani

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