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Voting in Summer Season: भीषण गर्मी में मतदान ही तो ताकत है भारतीय लोकतंत्र की

Voting in Summer Season: लोकसभा चुनाव के लिए जनता मतदान करने के लिए अपने घरों से निकल रही है, आम भारतीय का यही कहना है कि गर्मी हमें वोट देने से नहीं रोक सकती। यही जज्बा भारत और भारतीय लोकतंत्र की ताकत है।

RK Sinha
Written By RK Sinha
Published on: 9 May 2024 11:52 AM GMT
Voting in the scorching heat is the strength of Indian democracy
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भीषण गर्मी में मतदान ही तो ताकत है भारतीय लोकतंत्र की: Photo- Social Media

Voting in Summer Season: आज जब देश के बहुत बड़े भाग में सूरज देवता आग उगल रहे हैं, तब लोकसभा चुनाव के लिए जनता मतदान करने के लिए अपने घरों से निकल रही है। भारत के कई राज्यों में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर हो गया है। इसके साथ ही लू भी चल रही है। इतने कठोर मौसम में चुनाव प्रचार करना और फिर मतदान करने के लिए मतदान केन्द्रों के बाहर लंबी लाइन लगाकर खड़ा होना सामान्य बात तो नहीं मानी जा सकती है। इसलिए प्रचार भी सुबह या शाम को ही संभव हो पाता है। दोपहर के समय तो मात्र रणनीति ही बनाई जा सकती है।

पर इतने खराब मौसम में भी देश के लाखों-करोड़ों मतदाता घरों से निकलकर वोट तो दे ही रहे हैं। यह सुखद भी है और यह हमारे मज़बूत लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत भी है। आखिर देश के जनमानस को पता है कि उनके वोट से ही देश की तकदीर लिखी जाएगी। इसलिए ही लोग वोट देकर अपने लोकतांत्रिक अधिकार का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।

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मतदान केन्द्रों में जाते वक्त पानी की बोतलें अपने पास रखें

बेहतर होगा कि मतदाता सुबह जल्दी ही अपने मताधिकार का प्रयोग करके घर वापस आ जायें। उन्हें मतदान केन्द्रों में जाते वक्त अपने साथ पानी की बोतलें रख लेनी चाहिए। मुँह- सिर ढकने के लिये एक गमछा भी सही रहेगा ।

आप जानते हैं कि भारत में लोकसभा चुनाव आमतौर पर हर पाँच साल में अप्रैल और मई में होता है, और मतदाता और मतदान अधिकारी कठोर गर्मी से निपटने के आदी हैं। लेकिन, इस साल, भारत रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का मुकाबला कर रहा है। पिछले महीने, देश में भीषण गर्मी के कारण कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई थी। चुनाव प्रचार के दौरान केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बेहोश हो गए थे, बाद में उन्होंने बताया कि भीड़ भरे स्थान और उच्च तापमान के कारण उन्हें असहज महसूस हुआ था। इससे कुछ दिन पहले, पूर्वी शहर कोलकाता में, जहाँ तापमान 43 सेल्सियस से ऊपर चला गया था, एक खबरिया चैनल की एंकर मौसम अपडेट प्रस्तुत करते समय बेहोश हो गई थी। बाद में उसने बताया कि स्टूडियो का कूलिंग सिस्टम खराब हो जाने के कारण बहुत गर्मी हो जाने के कारण ऐसा हुआ । चुनाव अधिकारी मतदान केंद्रों पर पेयजल की आपूर्ति करके और मतदान का समय बढ़ाकर इससे निपटने के लिए कदम तो उठा रहे हैं।

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2019 के चुनाव की तुलना में, 19 अप्रैल और 26 अप्रैल को हुए मतदान के पहले दो चरणों में मतदाता मतदान में कम से कम 3% की गिरावट देखी गई। चुनाव आयोग को अगले चुनावों के पूर्व एकबार यह विचार करना होगा कि आम चुनावों की तिथियों को अप्रैल - मई की जगह फ़रवरी - मार्च में किया जा सकता है क्या ? इससे पूरे देश में सुविधा होगी । कुछ पर्वतीय राज्यों में बर्फ जमा रहने के कारण दिक़्क़त तो हो सकती है , पर उन क्षेत्रों में एक महीने बाद चुनाव और उसके बाद चुनाव परिणामों की घोषणा तो की ही जा सकती है ।

यह तो सोचना ही होगा कि क्या देश में फरवरी और मार्च के ठंडे महीनों के बीच लोकसभा चुनाव कराने के बारे में विचार नहीं किया जा सकता है? इसके चलते अधिक लोगों को वोट देने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है।

गर्मी में लंबे समय तक रहने से थकान, चक्कर आना और बेहोशी हो सकती है। इसलिए उम्मीदवारों, पार्टी कार्यकर्ताओं मतदाताओं को बहुत संभल कर चलना होगा। उन लोगों को भी अपनी सेहत का ध्यान देना होगा जो विभिन्न राजनीतिक दलों की सभाओं में नेताओं को सुनने के लिए जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हृदय रोग या उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों वाले मरीजों को भी गर्मी में अतिरिक्त रूप से सतर्क रहने की जरूरत है।

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गर्मी से जीना हुआ मुहाल

मतदाताओं का कहना है कि वे गर्मी को लेकर आशंकित हैं लेकिन सावधानी बरतेंगे। दिल्ली और हरियाणा की क्रमश: 7 और दस सीटों के लिए मतदान आगामी 25 मई को होना है। आशंका है कि 25 मई को दिल्ली-हरियाणा में पारा 42 सेल्सियस के आसपास होगा। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम समेत एनसीआर के इलाकों में बीते कुछ दिनों से आसमान से आग बरस रही है। दिन में तापमान 40 पार कर जा रहा है और ऐसे में लोगों का गर्मी से जीना मुहाल हो गया है।

आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर में गर्मी का कहर अभी और देखने को मिलेगा। तो बहुत साफ कि जब दिल्ली और हरियाणा के मतदाता अपने मतदान केन्द्र में जाएंगे तो उन्हें बेहद गर्म मौसम में घर से निकलना होगा। इसलिए अगर वे सुबह 11 बजे तक मतदान कर लें तो बेहतर होगा। उसके बाद गर्मी का असर भयावह होने लगेगा। फिलहाल बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दिल्ली के कुछ इलाकों में 43 डिग्री तक तापमान पहुंचने की उम्मीद है। इतनी भीषण गर्मी में वोट देने के लिए घर से निकलने से पहले बुजुर्गों को अपना ख्याल रखना ही होगा।

इस बीच, पुणे महाराष्ट्र के सबसे गर्म क्षेत्रों में से एक है, जहाँ 13 और 20 मई को दो और चरणों में मतदान होगा। पिछले एक हफ्ते से पुणे में 39 सेल्सियस और 42 सेल्सियस के बीच तापमान चल रहा है और मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में इसके जारी रहने की संभावना है। तो गर्मी के प्रकोप का असर हर तरफ है। इस मौसम में अगर सावधानी न बरती जाए तो हीटस्ट्रोक हो सकता है या डिहाइड्रेशन हो सकता है।

हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए मतदान 1 जून को होना है। पंजाब आजकल ही गर्मी से झुलस रहा। माना जा रहा है कि राज्य में मतदान वाले दिन तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंचेगा। आजकल लुधियाना व फाजिल्का सबसे गर्म चल रहे हैं। यहां का अधिकतम तापमान सबसे अधिक 42.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जोकि सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक था। कहना ना होगा कि इतनी तेज गर्मी में मतदान करने के लिए घर से निकलना कठिन तो है।

Photo- Social Media

गर्मी हमें वोट देने से नहीं रोक सकती

दक्षिणी राज्य तेलंगाना में 13 मई को चौथे चरण में मतदान करने वाला है। वहां भी चिलचिलाती गर्मी को जनता झेल रही है। इस तापमान में वोट डालने के लिए बाहर आना मुश्किल है। बुजुर्गों को मतदान केंद्रों तक ले जाना चुनौतीपूर्ण होने वाला है। इस साल पहली बार, देश में चुनावों की देखरेख करने वाले चुनाव आयोग ने 85 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और विकलांग लोगों को अपने घरों से वोट डालने की अनुमति दी है। आयोग ने मार्च में चुनावों पर गर्मी के प्रभाव को कम करने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए। इसके साथ ही, मतदान केंद्रों पर पेयजल और ओरल हाइड्रेशन सॉल्ट उपलब्ध कराने, मेडिकल किट तैयार रखने और देरी को रोकने के लिए पर्याप्त मतदान कर्मचारी रखने के निर्देश दिये गये हैं। बहरहाल, आम भारतीय का यही कहना है कि गर्मी हमें वोट देने से नहीं रोक सकती। यही जज्बा भारत और भारतीय लोकतंत्र की ताकत है।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Shashi kant gautam

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