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Rajasthan: सीएम की कुर्सी फिसलने के बाद वसुंधरा राजे को दूसरा झटका,कई खास समर्थकों को नहीं मिली कैबिनेट में जगह

Rajasthan: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले सिर्फ गिने-चुने नेताओं को राज्य में मंत्री बनने का मौका मिला है जबकि उनके कई समर्थकों को निराशा हाथ लगी है।

Anshuman Tiwari
Published on: 31 Dec 2023 3:22 AM GMT
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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (सोशल मीडिया)

Rajasthan: राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को शनिवार को दूसरा बड़ा झटका लगा। पहले तो भाजपा की बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके हाथ नहीं लग सकी और फिर शनिवार को भजनलाल मंत्रिमंडल के विस्तार में वसुंधरा राजे के कई खास समर्थकों को कैबिनेट में भी जगह नहीं मिल सकी।

वसुंधरा के करीबी माने जाने वाले सिर्फ गिने-चुने नेताओं को राज्य में मंत्री बनने का मौका मिला है जबकि उनके कई समर्थकों को निराशा हाथ लगी है। उल्लेखनीय बात यह भी है कि शनिवार को मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान वसुंधरा राजे राजभवन में मौजूद भी नहीं थीं। इसे लेकर भी सियासी हल्कों में खूब चर्चा रही।

लंबे इंतजार के बाद हुआ विस्तार

लंबे इंतजार के बाद शनिवार को भजनलाल मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। मुख्यमंत्री भजनलाल ने चुनाव नतीजे घोषित होने के 12 दिन बाद 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी मगर उन्हें अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने में 15 दिन का वक्त लग गया। पार्टी हाईकमान की मंजूरी के बाद शनिवार को भजनलाल के मंत्रिमंडल में 22 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें से 12 ने कैबिनेट, पांच ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पांच ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली। इस बार 17 नए चेहरों को मंत्री बनने का मौका मिला है। मंत्रिमंडल विस्तार में सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई थीं कि वसुंधरा के कितने समर्थक मंत्री बनने में कामयाब हो पाते हैं।

वसुंधरा कैंप के माने जाने वाले सिर्फ ओटाराम देवासी को मंत्री बनने का मौका मिला है। गजेंद्र सिंह खींवसर को भी मंत्री जरूर बनाया गया है मगर अब उन्होंने वसुंधरा कैंप से दूरी बना ली है। इससे साफ हो गया है कि राजस्थान की सियासत में अब वसुंधरा की कोई खास भूमिका नहीं रहने वाली है। आने वाले दिनों में भाजपा हाईकमान वसुंधरा को लोकसभा चुनाव लड़ाकर केंद्र की राजनीति में सक्रिय बन सकता है।

वसुंधरा के धुर विरोधियों को बनाया मंत्री

राज्य में बनाए गए अन्य मंत्रियों में कोई भी वसुंधरा की टीम का सदस्य नहीं है। भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में 16 नए चेहरों को मंत्री बनने का मौका मिला है जबकि कुछ पुराने अनुभवी नेताओं को भी मंत्री बनाया गया है। वसुंधरा के अधिकांश समर्थकों के मंत्री न बन पाने के कारण माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भी वसुंधरा को कड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है।

एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि जहां एक ओर वसुंधरा के अधिकांश समर्थकों को निराश होना पड़ा है वही उनके कुछ धुर विरोधियों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। वसुंधरा राजे के धुर विरोधी माने जाने वाले किरोड़ी लाल मीणा शपथ लेने वाले पहले मंत्री थे। वसुंधरा के एक और बड़े विरोधी मदन दिलावर को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

वसुंधरा के कई करीबियों को लगा झटका

वसुंधरा के करीबी माने जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉक्टर जसवंत यादव और श्रीचंद कृपलानी मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सके हैं। वसुंधरा समर्थक कालीचरण सराफ भी मंत्री नहीं बन सके। वसुंधरा राजे के कट्टर समर्थक माने जाने वाले पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी के पोते को भी मंत्री नहीं बनाया गया है जबकि उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री भंवर सिंह भाटी को चुनाव हराया है। वसुंधरा खेमे से जुड़े पूर्व मंत्री दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह के बेटे जगत सिंह भी कैबिनेट में जगह पानी में नाकाम साबित हुए हैं जबकि दोनों मुख्यमंत्री के गृह जिले भरतपुर से जुड़े हुए हैं।

शैलेश सिंह ने इस बार डींग-कुम्हेर विधानसभा सीट से महाराज विश्वेंद्र सिंह को चुनाव हराया है। भरतपुर से जवाहर सिंह बेढम को मंत्री बनाया गया है जबकि वसुंधरा समर्थकों को झटका लगा है। सियासी जानकारों का मानना है कि वसुंधरा कैंप का असर कम करने के लिए इस बार मंत्रिमंडल में नए चेहरों को ज्यादा मौका दिया गया है। इसके जरिए पार्टी हाईकमान ने यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि पार्टी में खेमेबाजी करने वालों को कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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