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Facts about Taj Mahal: जानें ताजमहल के बारे में कई ऐसे फ़ैक्ट, जो आप को चौंका देंगे

Facts about Taj Mahal: Newstrack ने ताजमहल को लेकर चलने और चलाई जाने वाली तमाम बातों की पड़ताल की है। हम उनके बारे में सिलसिलेवार आपको अवगत कराते हैं।

Yogesh Mishra
Published on: 12 April 2023 9:49 PM GMT (Updated on: 13 April 2023 10:43 AM GMT)

Facts about Taj Mahal: दुनिया के आठ आश्चर्यों में से एक। प्रेम का प्रतीक। दुनिया भर के सैलानियों का भारत में सबसे महत्वपूर्ण गंतव्य। जब जब भाजपा की सरकार प्रदेश में आती है तब तब विवादों का सबब ताजमहल को लेकर बहुत सी कथाएँ, कहानियाँ, मिथ, रियलिटी सुनी जाती है। कहा तो यहाँ तक जाता है कि जिन लोगों ने ताजमहल बनाया शाहजहाँ ने उनके हाथ काट लिये थे। ताकि वे ऐसी कोई इमारत तामीर न कर पायें। ऐसी और इससे मिलती जुलती तमाम कहानियाँ आप को ताजमहल देखेंगे जाइये तो वहाँ के गाइडों से भी आप को सुनने को मिल सकती है। Newstrack ने ताजमहल को लेकर चलने और चलाई जाने वाली तमाम बातों की पड़ताल की है। हम उनके बारे में सिलसिलेवार आपको अवगत कराते हैं। फैक्ट चेक में दो बातों पर ही ज़्यादा ध्यान दिया गया। पहला, क्या सचमुच कारीगरों के हाथ काट लिये गये थे ? यह मुग़ल काल या ताजमहल पर लिखी किसी किताब में नहीं मिला है।

ताजमहल के बारे में किये गये फैक्ट चेक में जो सही पाये गये

  • ताजमहल का निर्माण जनवरी 1632 में शुरू हुआ।
  • ताजमहल को दिल्ली में बने हुमायूँ के मक़बरे को तर्ज़ पर बनाया गया। 42 एकड़ ज़मीन लगी। 139 फ़ीट
  • ऊँची चार मीनारें बनाई गई। सबके ऊपर एक छतरी बनाई गई।
  • 970 फ़ीट लंबा और 364 फ़ीट चौड़ा चबूतरा बनाया गया।
    ताजमहल के निर्माण में मकराना के संगमरमर लगे।
  • चीन के काश्गर से हरे रंग के पत्थर जेड लाकर लगाये गये।
  • अफ़ग़ानिस्तान से नीले रंग के पत्थर लैपीज लजूली लाकर लगाया गया।
  • तिब्बत से फिरोजा लाकर लगाया गया।
  • अरब व लाल सागर से मूंगा लाकर लगाया गया।
  • श्रीलंका से माणिक लाकर लगाया गया।
  • वर्मा से पीला अंबर लाकर लगाया गया।
  • मिस्र की नील घाटी से लहसुनिया लाकर लगाया गया।
  • नीलम को अशुभ मानने के चलते इससे दूरी बरती गई।
  • अमानत खां को ताजमहल पर क़ुरान की आयतें लिखने का काम मिला था। अमानत खां को ताजमहल पर अपना नाम लिखने की इजाज़त मिली थी।

  • शाहजहाँ की जीवनी ‘शाहजहाँ द राइज़ एंड फाल ऑफ मुग़ल एम्परर’ के लेखक फ़र्गुस निकोल के मुताबिक़ ताजमहल बनाने वाले अधिकांश मज़दूर कन्नौजी हिंदू थे।
  • फूलों की नक़्काशी करने वाला कलाकार नेपाल के पोखरा से आया था।
  • बगीचे का काम कश्मीर के रामलाल को मिला था।
  • ताजमहल ‘पैशन एंड जिनियस एट द हार्ट ऑफ द मुग़ल एम्पायर’ में लिखा है कि ताजमहल बनवाने के लिए बांस बल्लियों व ईंटों का मचान बना था। ताजमहल को बन जाने के बाद शाहजहाँ को बताया गया कि इस मचान को गिराने में पाँच साल का समय लगेगा। पर शाहजहाँ ने यह ऐलान किया कि गिराई गई ईंटें मज़दूरों की हो जायेगी। नतीजतन रात भर में गिर गया।
  • इसे बनाने की ज़िम्मेदारी मीर अब्दुल करीम व मकरमत खां को मिली। मकरमत खां दक्षिणी ईरान के शिराज़ शहर के निवासी थे। वह शाहजहाँ के निर्माण मंत्री रहे। 1641 में दिल्ली को गवर्नर बने। लाल क़िला बनाने की ज़िम्मेदारी भी इन्हीं की थी।
  • मुग़लों के पतन के बाद 1803 में अंग्रेज जनरल का आगरा पर क़ब्ज़ा हो गया। ताजमहल में जड़े रत्न ग़ायब हो गये। मस्जिद के चारों ओर हनीमून काटेज बना दिये गये। चबूतरे पर संगीत का कार्यक्रम होने लगे। ताजमहल के बीच में और आसपास पिकनिक पार्टियाँ होने लगीं।
  • इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौरी ने 50 लाख रुपये ताजमहल के निर्माण पर खर्च होने की बात लिखी है। लेकिन हक़ीक़त यह है कि यह धनराशि केवल मज़दूरी में व्यय हुई। जबकि चार करोड़ रुपये ताजमहल के निर्माण पर खर्च होने को प्रमाण मिलते हैं। यह पैसा सरकारी और आगरा प्रांत के ख़ज़ाने से लगा था।
  • ताजमहल के आस पास के तीस गाँव की मालगुज़ारी की धनराशि ताजमहल के रख रखाव के लिए तय की गई थी।

  • मुमताज़ को तीन बार दफ़्न किया गया। ताजमहल बनने के बाद वह तीसरी बार ताजमहल में दफ़्न हुई। मुमताज़ को पहले तापी नदी के किनारे बुरहानपुर में दफ़नाया गया। 8 जनवरी, 1632 को वहाँ से लाकर यमुना के किनारे दोबारा दफ़नाया गया। इसके बाद शाहजहाँ ने रउजा ए मुनव्वरा के नाम से मक़बरा बनवाया। यही बाद में ताजमहल हुआ। इसमें मुमताज़ को फ़ाइनल्स दफ़्न किया गया।
  • शाहजहाँ के बेटे औरंगजेब ने 1659 में अपने पिता को कैद कर लिया। उनकी इच्छा थी कि उन्हें वहाँ रखा जाये , जहां से वह ताजमहल देख सकें। 21 जनवरी, 1666 को कश्मीरी शाल में लपेट कर उनके पार्थिव शरीर को क़ुरान की आयतों के उच्चारण के बीच चंदन के ताबूत में लिटा कर मुमताज़ के बग़ल में दफ़ना दिया गया।
  • 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय ताजमहल को काले रंग के कपड़े से रात को ढका जाता था। ताकि अंधेरी रात में ताजमहल न दिखे। 1995 तक यह सुरक्षित रहा। बाद में चूहों ने कुतर डाला।

Yogesh Mishra

Yogesh Mishra

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