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Sonbhadra News: बड़ा खुलासा एआरटीओ दफ्तर से जुड़े मिले फर्जी रिलीज आर्डर के तार, 138 वाहनों को छोड़ने की पुष्टि

Sonbhadra News: खनन और परिवहन विभाग की संयुक्त जांच के दौरान ओवरलोड एवं अवैध परिवहन में निरूद्ध किए गए वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोडे जाने का मामला सामने आया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 29 Dec 2022 2:42 PM GMT
Confirmation of release of 138 vehicles in case of fake release order found related to ARTO office in Sonbhadra
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सोनभद्र: एआरटीओ दफ्तर से जुड़े मिले फर्जी रिलीज आर्डर के मामले 138 वाहनों को छोड़ने की पुष्टि

Sonbhadra News: खनन और परिवहन विभाग (Mines and Transport Department) की संयुक्त जांच के दौरान ओवरलोड एवं अवैध परिवहन में निरूद्ध किए गए वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोडे जाने के मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। सूत्रों की मानें तो विभागीय जांच में जहां, इस फर्जीवाड़े के तार सोनभद्र के एआरटीओ दफ्तर से जुडे पाए गए हैं।

वहीं 138 वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़े जाने की पुष्टि भी हुई है। आयुक्त को सौंपी गई रिपोर्ट में, तत्कालीन एआरटीओ पीएस राय और प्रधान सहायक विनोद श्रीवास्तव की, इस मामले में लापरवाही-शिथिलता का दावा तो किया ही गया है, फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़े गए वाहनों में 20 वाहन, सोनभद्र में तैनात रहे यात्री कर अधिकारी विकास अस्थाना की तरफ से चालान किए पाए गए हैं।

फोन पर हुई वार्ता में परिवहन आयुक्त उत्तर प्रदेश एन वेंकटेश्वर लू ने बताया कि रिपोर्ट में जो भी स्थितियां सामने आई हैं, उसको दृष्टिगत रखते हुए कार्रवाई की जाएगी।

गर्दन बचाने की कोशिश शुरू

बताते चलें कि फर्जीवाड़े का मामला मई 2021 में ही सामने आना शुरू हो गया था लेकिन 21 जुलाई तक वाहनों को महज ब्लैक लिस्टेड दिखाकर, मामले को मैनेज करने की कोशिश की जाती रही। गत 21 जुलाई को जब मामला मीडिया की सुर्खियां बना तो आनन-फानन में कार्रवाई कर, गर्दन बचाने की कोशिश शुरू हो गई। डीएम चंद्रविजय सिंह की सख्ती के बाद, 56 वाहनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। वहीं मीडिया की खबरों का संज्ञान लेकर, शासन की तरफ से मामले में जांच बिठाई गई तो महज 21 जुलाई तक, 138 वाहनों को फर्जी रिलीज आर्डर पर छोड़े जाने की पुष्टि सामने आई। इसके बाद मामले के विस्तृत जांच और जिले के सभी थानों से छोड़े गए वाहनों के सत्यापन के लिए टीम गठित की गई लेकिन कभी तिथि बढ़ाकर तो कभी कार्य की व्यवस्था बताकर, मामले को लंबित करने का क्रम बना रहा।

सीएम के यहां पहुंची शिकायत, तब सामने आई विभागीय जांच रिपोर्ट

मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के यहां शिकायत की गई तो वहां से आनलाइन प्रकरण दर्ज करते हुए, परिवहन महकमे से की गई अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट तलब कर ली गई। इसकी कड़ी में, शासन की तरफ से गत अगस्त माह में जांच के लिए भेजी गई तीन सदस्यीय सहायक परिवहन आयुक्त लखनफ सुरेंद्र कुमार, उप परिवहन आयुक्त वाराणसी अशोक कुमार सिंह और आरटीओ मिर्जापुर संजय तिवरी की तरफ से तात्कालिक तौर पर कार्यालयीय अभिलेखों का किए गए सत्यापन, संबंधित अधिकारियों-कर्मियों से लिए गए स्पष्टीकरण और उसको लेकर आयुक्त को लेकर भेजी गई रिपोर्ट की जानकारी दी गईै। उसमें जहां, फर्जीवाड़े का तार, एआरटीओ कार्यालय तक से जुड़े होने की बात सामने आई है। वहीं मामला संज्ञान में आने के बाद भी, तत्कालीन एआरटीओ और प्रधान सहायक द्वारा मामले में एक्शन लेने-संजीदगी बरतने में लापरवाही-शिथिलता बरती गई। मामला संज्ञान में लिया गया होता तो जुलाई 2022 नहीं बल्कि मई 2021 में ही फर्जीवाड़े के खेल पर अंकुश लग गया होता। इस मामले की मौजूदा स्थिति की जानकारी के लिए एआरटीओ धनवीर यादव को काल की गई तो पहले काल वेटिंग आती रही। इसके बाद काल रिसीव नहीं हुई। मामले में आयुक्त को रिपोर्ट भेजने वाले उप परिवहन आयुक्त अशोक कुमार सिंह को काल की गई तो वह व्यस्त मिले।

जांच रिपोर्ट की खास बातें, जिसको लेकर उठाए जा रहे सवाल

- जिन 56 वाहनों को लेकर एफआईआर कराई गई है। उसमें 36 वाहन तत्कालीन एआरटीओ पीएस राय और 20 वाहन तत्कालीन यात्री कर अधिकारी विकास अस्थाना द्वारा चालान किए गए थे।

- कोराना काल में एसपी कार्यालय के जरिए भेजने की बजाय, रिलीज आर्डर सीधे थाने भेजे गए। आन द रिकार्ड थानों से भी रिलीज आर्डर के सत्यापन की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

- कार्यालय में चार-पांच बाहरी व्यक्तियों से काम लिया जाता रहा। कूटरचित और विभागीय रिलीज आर्डर दोनों पर उनके हस्तलेख मिले। प्रधान सहायक ने 2018 में हार्टअटैक और 2019 में हाथ फ्रैैक्चर होने की दलील दी। जांच टीम ने तर्क नकारा।

- एक तरफ जहां कार्यालय में, कार्य के असमान वितरण को लेकर रह-रहकर नाराजगी के स्वर उठते रहे। वहीं प्रधान सहायक की दो-दो लागिन चलती मिली। उन्हें कैश के साथ ही कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारियां दी गई थी।

- मामला संज्ञान में आने के बावजूद 24 मई 2021 से 21 जुलाई 2022 तक वाहनों को ब्लैकलिस्टेड कर कार्रवाई की रस्म अदायगी की जाती रही। इस दौरान 138 मामले संज्ञान में आए लेकिन कार्रवाई तब हुई, जब उच्चाधिकारियों ने संज्ञान लिया।

- तीन जून 2021 को फर्जी रिलीज आर्डर पर अवमुक्त हो चुके वाहन का, 16 जून को दोबारा चालान किया गया। 18 जून को विभागीय स्तर से अवमुक्त भी किया गया लेकिन तीन जून की अवमुक्ति और पेंडिंग पड़े चालान पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी गई।

- चार-पांच बाहरी व्यक्तियों के कार्यालय में काम करने, फर्जी और विभागीय रिलीज आर्डर का हस्तलेख मिलने के बाद न तो तत्कालीन एआरटीओ ने संजीदगी बरती न ही प्रधान सहायक ने अधिकारियों को अवगत कराना जरूरी समझा।

Shashi kant gautam

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