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Gorakhpur News: मलिन बस्तियों में स्मार्ट फोन का मोटापे से चौंकाने वाला कनेक्शन

Gorakhpur News: सर्वे के निष्कर्ष बताते हैं कि मलिन बस्तियों कूपोषण तो समस्या है ही, अब मोटापा बड़ी समस्या बनती जा रही है। एम्स की टीम ने गोरखपुर की 16 मलिन बस्तियों (स्लम एरिया) में अध्ययन किया है।

Purnima Srivastava
Published on: 27 Feb 2024 2:08 AM GMT
Gorakhpur News
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गोरखपुर एम्स (Newstrack)

Gorakhpur News: मलिन बस्तियों को लेकर आम छवि बनती है कि वहां रहने वाले कूपोषण के शिकार होंगे। खाने-पीने के इंतजाम भी नहीं होंगे। ऐसे में वह दुबले पतले होंगे। लेकिन हकीकत इससे उलट है। एम्स की टीम ने गोरखपुर के 16 मलिन बस्तियों में ऐसे 406 महिला और पुरुषों पर शोध किया है जो स्मार्ट फोन का प्रयोग कर रहे हैं। शोध में सामने आया है कि इनमें से 31 फीसदी आबादी मोटापे की शिकार है।

सर्वे के निष्कर्ष बताते हैं कि मलिन बस्तियों कूपोषण तो समस्या है ही, अब मोटापा बड़ी समस्या बनती जा रही है। एम्स की टीम ने गोरखपुर की 16 मलिन बस्तियों (स्लम एरिया) में अध्ययन किया है। सर्वे में 31 फीसदी लोग मोटापे (ओबेसिटी) का शिकार जबकि 46 फीसदी लोग मोटापे के कगार (प्री-ओबेसिटी) पर मिले। एम्स में सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. यू वेंकटेश की टीम द्वारा किया गया सर्वे आईसीएमआर से एप्रूव्ड है। मलिन बस्तियों में ऐसे वयस्कों का चयन किया गया जो एंड्रॉयड मोबाइल का प्रयोग करते हों। ऐसे लोगों को चयन किया गया जिनकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच है। इन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) चेक किया गया। जिसमें उनकी उम्र व लंबाई के मुताबिक वजन देखा गया। बता दें कि मेडिकल टीम ने कोरोना काल में मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों की इम्यूनिटी को लेकर भी सर्वे किया था। जांच में इन बच्चों की इम्यूनिटी आम बच्चों की तुलना में अच्छी थी।

सर्वे में शामिल लोगों में 382 हिंदू और 24 मुस्लिम

डॉ. वेंकटेश ने बताया कि चयनित 406 लोगों में 213 पुरुष और 193 महिलाएं शामिल हैं। इनमें 333 लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं। जबकि 73 लोग एकल परिवार के सदस्य हैं। इसमें सिर्फ 6 फीसदी का बीएमआई मानक के मुताबिक मिला। सिर्फ एक व्यक्ति का बीएमआई मानक से कम रहा। ज्यादातर सदस्य निम्न आय वर्ग के रहे। सर्वे में शामिल लोगों में से 382 हिंदू और 24 मुस्लिम रहे। मलिन बस्ती में कोई भी ईसाई या किसी अन्य धार्मिक समुदाय का नहीं मिला।

बीमारी पर अध्ययन के लिए विकसित करेंगे साफ्टवेयर

डॉ. यू वेंकटेश ने बताया कि यह सर्वे इस पर तीन साल तक रिसर्च चलेगी। इसका उद्देश्य मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों की सेहत की जरूरत को जानना है। मलिन बस्तियों में लोगों की सेहत को बेहतर करने के लिए सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप विकसित करने की योजना है। इसे लेकर सॉफ्टवेयर विकसित करने की योजना है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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