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Gorakhpur: नेहरू को गोरखपुर में जिस युवा नेता ने दिखाए थे काले झंडे, वह कांग्रेस की सरकारों में बना मंत्री

Gorakhpur News: वर्ष 1962 में हुए आम चुनाव के प्रचार में नेहरू गोरखपुर पहुंचे थे। नेहरू ने यहीं से गोरखपुर की जनता को संबोधित किया था।

Purnima Srivastava
Published on: 18 May 2024 2:37 AM GMT
Jawahar Lal Nehru, Kalpanath Rai
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जवाहर लाल नेहरू, कल्पनाथ राय (फाइल फोटो)

Gorakhpur News: पहले और अब की सियासत का फर्क समझने के लिए लोग वर्ष 1962 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में हुए सियासी घटना का जिक्र करना नहीं भूलते हैं। 1962 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू गोरखपुर यूनिवर्सिटी कार्यक्रम में पहुंचे थे। तब छात्र नेता कल्पनाथ राय ने विरोध करते हुए काले झंडे दिखा दिये। तब पुलिस ने कल्पनाथ राय को पकड़ लिया और पिटाई करने लगे। युवा को पिटता देख नेहरू ने हस्तक्षेप किया। यह कहते हुए पुलिस ने छोड़ने को कहा कि युवा का लोकतांत्रिक अधिकार है विरोध करना। उसकी समस्या तो सुनिये?

वर्ष 1962 में हुए आम चुनाव के प्रचार में नेहरू गोरखपुर पहुंचे थे। नेहरू ने यहीं से गोरखपुर की जनता को संबोधित किया था। प्रधानमंत्री के संबोधन के लिए ही चबूतरे का निर्माण कराया गया था। पंत भवन में नेहरू के भाषण के लिए चबूतरा बना हुआ है। यह चबूतरा गारा, ईट और मिट्टी से बना हुआ है। भौतिक विज्ञान विभाग के सेवानिवृत प्रोफेसर महेश्वर मिश्रा ने बताया कि पंत भवन को जनसभा के लिए चुनने का फैसला प्रधानमंत्री के उस समय के सुरक्षा इंचार्ज यमुना प्रसाद त्रिपाठी ने किया था। वह आईजी रैंक के अधिकारी थे। उस समय कुलपति प्रोफेसर केसी चटर्जी थे। प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान कल्पनाथ राय समर्थकों के साथ पहुंच गए। यह देखकर कुलपति और पीएम के सुरक्षा अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। पंत भवन के पोर्टिको में पुलिसकर्मियों ने कल्पनाथ राय को पीटना शुरू कर दिया। शोर सुनकर प्रधानमंत्री भी वहां पहुंच गए। उनके निर्देश पर पुलिसकर्मियों ने कल्पनाथ राय को छोड़ा।

चबूतरे का सरंक्षण चाहते हैं यूनिवर्सिटी के शिक्षक

गोरखपुर विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश मणि त्रिपाठी ने बताया कि 1962 में पंत भवन ही कुलपति कार्यालय हुआ करता था। तब विश्वविद्यालय की बाउंड्री नहीं थी। यह शहर के बीचो-बीच सबसे बड़ा मैदान था। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि विवि में पंडित नेहरू की यादें इस चबूतरे से जुड़ी हैं। 1962 से लेकर अब तक विवि में कई भवनों के निर्माण हुए। पंत भवन का विस्तार हुआ। किसी कुलपति ने चबूतरे को तोड़ने का साहस नहीं किया। इसके संरक्षण को लेकर वह वर्ष 2015 से लगातार मांग कर रहे हैं। पूर्व कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने इस मांग पर सहमत भी जताई थी। इसको लेकर एक प्रस्ताव भी बनाया। उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद मामला ठंडा बस्ते में चला गया।

इंदिरा गांधी के करीबी रहे कल्पनाथ, मऊ का करा दिया कायाकल्प

कल्पनाथ राय (जन्म 4 जनवरी 1941-मृत्यु 6 अगस्त 1999) उत्तर प्रदेश के घोसी लोकसभा से चार बार सांसद चुने जाने वाले और तीन बार राज्य सभा में काँग्रेस पार्टी के राज्य सभा सदस्य चुने जाने वाले राजनीतिज्ञ थे। इसके आलावा वे काँग्रेस सरकार में कई बार केन्द्रीय मंत्री भी रहे। इनके पत्नी का नाम स्वर्गीया रामरती देवी था। तथा उनकी दूसरी पत्नी का नाम डॉ सुधा राय है। कल्पनाथ राय का जन्म उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के सेमरीजमालपुर नामक गाँव में 4 जनवरी 1941 को हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुई। विश्विद्यालय छात्र संघ के वे अध्यक्ष चुने गए। कल्पनाथ राय बाद में कांग्रेस के करीब हो गए। इंदिरा गाँधी और नरसिंहराव सरकारों में मंत्री रहे। राव सरकार में 1993-1994 में वे खाद्य मंत्रालय में राज्यमंत्री थे जब चीनी घोटाले में उनका नाम आया और उन्हें तिहाड़ जेल जाना पड़ा। 1996 के चुनावों में वे तिहाड़ जेल में रहते हुए ही घोसी से लोक सभा के लिये निर्दल प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए। अपना आखिरी चुनाव उन्होंने समता पार्टी से लड़ा और इसमें भी वे विजयी रहे। वह मऊ को छोटा लखनऊ बनाना चाहते थे।

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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