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Hardoi News: बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं के दावे फेल! DCM के गृह जनपद में बेंच व स्ट्रेचर पर इलाज

Hardoi News: हरदोई के मेडिकल कॉलेज पहुंचने वाले मरीजों का उपचार बेंच व स्टेचर पर होता हुआ नजर आ जाता है। मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी कक्ष में यह नजारा आम है।

Pulkit Sharma
Published on: 14 April 2024 7:44 AM GMT
Hardoi Medical College
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Hardoi Medical College (Pic: Social Media)

Hardoi News: हरदोई का मेडिकल कॉलेज लगातार सवालों के घेरे में है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा लगातार मरीजों की सुविधाओं को लेकर कार्य करने के दावे कर रहा हैं। लेकिन, फिर भी हरदोई मेडिकल कॉलेज जब से बना है तब से सुर्खियों में ही है। हरदोई मेडिकल कॉलेज का यह हाल तब है जब हरदोई जनपद के ही स्वास्थ्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक हैं। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री का गृह जनपद स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछड़ा है। न्यूज़ट्रैक द्वारा शनिवार को मेडिकल कॉलेज में बर्न वार्ड न होने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

इसके बाद अब एक बार फिर स्वास्थ्य महकमा सवालों के घेरे में है। तमाम संसाधन और बजट के बाद भी मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। हरदोई के मेडिकल कॉलेज पहुंचने वाले मरीजों का उपचार बेंच व स्टेचर पर होता हुआ नजर आ जाता है। मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी कक्ष में यह नजारा आम है। यहां पहुंचने वाले ज्यादातर मरीजों का उपचार डॉक्टर बेंच और स्टेचर पर ही कर देते हैं। यदि मरीज़ की हालत गंभीर होती है तो प्राथमिक उपचार के बाद उसको वार्ड में शिफ्ट किया जाता है।

इमरजेंसी में नहीं बढ़ रहे बेड, ज़ोन भी हुआ फेल

हरदोई का मेडिकल कॉलेज अपनी सुविधाओं और असुविधा को लेकर चर्चा का विषय बना रहता है। जिला अस्पताल को तोड़कर हरदोई मेडिकल कॉलेज बनाया गया इसके बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब उनका बेहतर उपचार हो सकेगा और उन्हें तमाम सुख सुविधाएं भी मिलेंगी। लेकिन, लोगों की उम्मीदें सिर्फ उम्मीद बनकर रह गई। हरदोई मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी को 3 ज़ोन में बांटा गया था रेड, येलो और ग्रीन। ज़ोन को बांटने का उद्देश्य मरीजों की बेहतर देखभाल था। लेकिन, जमीनी स्तर पर सारे ज़ोन विफल साबित हो रहे हैं। इमरजेंसी वार्ड में कुल 180 बेड है। गर्मी बढ़ते ही मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। औसतन 1600 से 1700 मरीज़ यहां परामर्श लेने के लिए प्रतिदिन पहुंचते हैं जिनमें से 50 से 60 मरीजों को प्रतिदिन भर्ती किया जाता है।

ऐसे में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जबकि बेड की संख्या जस की तस बनी हुई है जिसके चलते ज्यादातर मरीजों का उपचार स्ट्रेचर और बेंच पर ही कर दिया जाता है। हरदोई जनपद के टड़ियावा के ग्राम जपरा की जगरानी ने बताया कि उसे सांप ने काट लिया था। एंबुलेंस से वह हरदोई मेडिकल कॉलेज पहुंची थी, जहां इमरजेंसी कक्ष में कर्मचारियों ने एंटी रैबीज इंजेक्शन लगा दिया। 2 घंटे तक बेंच पर लेटे रहे लेकिन बेड नहीं मिल सका। जबकि कई ऐसे मरीज है जिन्हें स्वास्थ्य कर्मी बेड उपलब्ध न होने की बात कह कर वापस लौटा देते हैं। ऐसे में लगातार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के दावे जनपद में असफल साबित हो रहे हैं।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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