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Kanpur Dehat News: वाह डॉक्टर साहब वाह! रिटायरमेंट के बाद भी दोनों हाथों में लड्डू

Kanpur Dehat News: राजकीय पशु चिकित्सालय (Government Veterinary Hospital) में 3 साल पहले रिटायर होने के बावजूद अपने पद पर काम कर रहे डॉक्टर।

Manoj Singh
Published on: 24 Dec 2022 11:28 AM GMT
Doctor retired three years back in Kanpur Dehat, still working
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कानपुर देहात: तीन साल पहले रिटायर हो चुके डॉक्टर, अभी भी कर रहे नौकरी

Kanpur Dehat News: राजकीय पशु चिकित्सालय (Government Veterinary Hospital) में 3 साल पहले रिटायर होने के बावजूद अपने पद पर काम कर रहे डॉक्टर। वे ऐसी कुर्सियों पर हैं जो मोटी कमाई का बड़ा जरिया हैं। जाहिर है मुफ्त में आठ से दस घंटे काम करने वाले ये डॉक्टर शाम को जेब भरके जाते होंगे और साहबों को भी खुश रखते होंगे। यदि इन पर कोई आरोप लगे तो कार्रवाई भी न होगी क्योंकि लिखा-पढ़ी में वे कुर्सी पर हैं ही नहीं। विभाग के आला अफसर इसे न 'श्रमदान' मान रहे हैं न ही उचित तरीका। संवाददाता ने जब इस मसले पर उनसे पक्ष पूछा तो स्टाफ की कमी की दलील दी। विभाग में संविदा पर भर्ती व्यवस्था नहीं है।

रिटायर डॉक्टर हैं ड्यूटी पर तैनात

जानकारी के मुताबिक सिकंदरा तहसील क्षेत्र (Sikandra Tehsil Area) के राजपुर राजकीय पशु चिकित्सालय एवं क्रतिम गर्भाधान केंद्र में डॉक्टर कमलेश कुमार 3 साल पहले रिटायर हो चुके हैं। इसके बाद वहां पर डॉक्टर गौरव सक्सेना की तैनाती हुई और तब से गौरव सक्सेना ने वहां पर रिटायर डॉक्टर को ड्यूटी पर तैनात कर दिया और खुद सिर्फ साइन करने के लिए जाना होता है। 3 साल से सुबह नियमित समय पर दफ्तर पहुंचने के साथ ही अपनी सीट पर ही बैठते हैं। विभाग की ओर से पब्लिक डीलिंग करते हैं। जब इस बात की पड़ताल करने के बाद सभी कर्मचारियों की फोटो खींचने के साथ ही वीडियो भी बनाया है।

इलाज करवाना है तो करवाओ वर्ना भाग जाओ

इस मामले की जानकारी लेने पर विभाग के अफसर सकपका गए और सिर्फ स्टाफ की कमी होने की बात कहते रहे। इस बात का खुलासा जब हुआ तब खोजारामपुर गांव से अपनी बकरी का इलाज कराने गए तो डॉक्टर ने सरकारी दवाएं लगाकर 500 रुपए ले लिए इसपर जब पीड़ित ने विरोध किया तो उसे कहा गया की करवाना है तो करवाओ वर्ना यह से भाग जाओ। इसपर किसी ने पैसे देने का वीडियो बना लिया। पूछताछ में पता चला की डॉक्टर शाहब 3 साल पहले ही रिटायर हो चुके है पर कुर्सी पर आज भी जमे हुए है।

Shashi kant gautam

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