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Khaki In Politics: असीम अरुण के पहले भी अपनी तरफ खींचा है खाकी को खादी ने

Khaki In Politics: यूपी की राजनीति (UP politics) में पिछले कई सालों से खाकी से खादी पहनने का फैशन बढ़ता ही जा रहा है। किसी ने रिटायरमेंट के बाद तो किसी ने सरकारी सेवा रिटायर होने के पहले ही वीआएस लेकर राजनीति में आने का काम किया है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 9 Jan 2022 4:27 PM GMT
Khaki In Politics: Even before Asim Arun, Khadi has drawn Khaki to its side
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राजनीति में खाकी: Photo - Social Media

Lucknow: यूपी की राजनीति (UP politics) में पिछले कई सालों से खाकी से खादी पहनने का फैशन बढ़ता ही जा रहा है। जहां कई आईपीएस अधिकारियों (IPS officers) ने रिटायरमेंट के बाद राजनीति में उतरने का काम किया तो कई पुलिस अधिकारियों (police officers) ने सरकारी सेवा रिटायर होने के पहले ही वीआएस लेकर राजनीति में आने का काम किया है।

हाल ही में कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण (Kanpur Police Commissioner Aseem Arun) ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवा निवृत्त) लेकर विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में उतरने का मन बनाया है। हांलाकि अभी तक उन्होंने किसी दल का दामन नहीं थामा है लेकिन जल्द ही वह भाजपा (BJP) में शामिल होकर अपने गृह नगर कन्नौज (Kannauj) से चुनाव लडने को तैयार हैं। खाकी छोड़कर खादी के प्रति आकर्षित होने वाले असीम अरूण कोई पहले पुलिस अधिकारी नहीं हैं उनके पहले कई अधिकारी राजनीति के मैदान में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।

यूपी में डीजीपी रहे बृजलाल एके जैन के अलावा श्रीष चन्द्र दीक्षित ने भी राजनीति का थामा दामन

यूपी में डीजीपी रहे बृजलाल (Brijlal was DGP) एके जैन के अलावा श्रीष चन्द्र दीक्षित इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है। प्रदेश के डीजीपी रहे श्रीश चन्द्र दीक्षित भाजपा से 1919 में सांसद रहे। भाजपा ज्वाइन करने वाले पूर्व डीजीपी (होमगार्ड) सूर्य कुमार शुक्ला को कोई राजनीतिक पद नहीं मिला है। बृजलाल तो भाजपा के राज्यसभा सदस्य भी हैं। एक और डीजीपी यशपाल सिंह ने भी 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले अप्रैल 2011में पीस पार्टी का दामन थामा था। उन्होंने पीस पार्टी की सदस्यता भी ली लेकिन उन्हे राजनीति कुछ खास रास नहीं आई।


केरल के एडीजी रहे राजबहादुर

केरल के एडीजी रहे राजबहादुर भी लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना भाग्य आजमा चुके है। जबकि डिप्टी एडीजी रहे मंजूर अहमद ने कांग्रेस और बसपा दोनों दलों में रहकर मेयर और विधायकी का चुनाव लड़े और दोनों चुनावों में शिकस्त का सामना करने के बाद राजनीति से तौबा कर ली। एडीजी रहे मनोज कुमार सिंह भी २०११ में कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन कई प्रयास के बाद भी उन्हे टिकट नहीं मिला।

एडीजी सुब्रत त्रिपाठी

एडीजी सुब्रत त्रिपाठी ने किसी दल में शामिल होने के बजाय अपनी ही पार्टी 'मनुवादी पार्टी' बनाई। चुनावी राजनीति में न सही लेकिन अपनी पार्टी के जरिए वे राजनीतिक गतिविधियों में हमेशा सक्रिय रहते है। आईजी रहे एसआर दारापुरी भी अपना दल बना चुके है। राबर्ट्सगंज से सांसदी और उससे पूर्व शाहाबाद से विधायकी का चुनाव भी लड़े लेकिन सफल नहीं हुए। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट में रहकर दारापुरी राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहते है।

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार में पुलिस महानिरीक्षक रह चुके अमरदत्त मिश्र ने रिटायर होने के बाद विधानसभा चुनाव भदोही से लड़ा लेकिन पराजित हुए। जबकि डीआईजी रहे सीएम प्रसाद सोनभद्र की दुद्वी विधानसभा से जीतकर विधानसभा पहुंचे।

बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। राजनेताओं के साथ में रहकर भी कई लोगों को राजनीति रास आ गयी। सपा बसपा से सांसद- विधायक रहे उमाकांत यादव पुलिस की नौकरी से बर्खास्त होने के बाद राजनीति में आए । पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के सुरक्षाकर्मी रहे प्रो.एसपी सिंह बघेल कभी लोकसभा तो कभी राज्य सभा के सदस्य बनते रहे।

कमल किशोर कमांडों

इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Prime Minister Rajiv Gandhi) के सुरक्षा में रहे कमल किशोर कमांडों कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा में अपनी आमद दर्ज करा चुके है।

अहमद हसन

सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे अहमद हसन रिटायर होने के बाद से समाजवादी पार्टी की राजनीति में सक्रिय होकर लगातार विधानपरिषद के सदस्य पद पर बने हुए हैं। इसी तरह से यूपी कैडर के एक आईपीएस अधिकारी दावा शेरपा राजभवन में एडीसी रहने के बाद नौकरी छोडकर अपने गृहराज्य मेघालय चले गए जहां पर दार्जिलिग से चुनाव लड़े पर वह चुनाव हार गए और राजनीति से किनारा कर लिया।

सत्यपाल सिंह

मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे सत्यपाल सिंह बागपत से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर मोदी सरकार में मंत्री भी बने। फैजाबाद के एसएसपी रहे डीबी राय भाजपा के टिकट से दो बार लोकसभा पहुंच चुके है। सपा सरकार में एसटीएफ से इस्तीफा देकर पीपीएस अधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने चंदौली ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।

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