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UP Lok Sabha Election: यूपी में दूसरे चरण की इन आठ सीटों पर क्या है समीकरण? सत्ता पक्ष और विपक्ष की होगी कड़ी परीक्षा

UP Lok Sabha Election: दूसरे चरण में दोनों गठबंधनों की कड़ी परीक्षा होगी। अमरोहा, मेरठ, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा और गाजियाबाद में चुनाव हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 21 April 2024 10:43 AM GMT (Updated on: 21 April 2024 11:28 AM GMT)
UP Loksabha Election 2024 Equation
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UP Loksabha Election 2024 Equation (Photo: Social Media)

UP Loksabha Election 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर पहले चरण में मतदान के बाद अब दूसरे चरण पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। दूसरे चरण में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी ताकत दिखाते हुए इनमें से सात सीटों पर जीत हासिल की थी। सिर्फ अमरोहा सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।

अमरोहा सीट पर बसपा के उम्मीदवार कुंवर दानिश अली ने जीत हासिल की थी जो इस बार कांग्रेस के टिकट पर फिर चुनाव मैदान में है। कांग्रेस के लिए भी दूसरा चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा जबकि शेष चार सीटों पर समाजवादी पार्टी अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है। ऐसे में दूसरा चरण भाजपा-रालोद गठबंधन के साथ ही सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है। दूसरे चरण में दोनों गठबंधनों की कड़ी परीक्षा होगी।

मेरठ

देश-दुनिया में चर्चित हुए धारावाहिक रामायण में प्रभु श्रीराम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल के चुनाव मैदान में उतरने के कारण मेरठ लोकसभा सीट हॉट सीट मानी जा रही है। भाजपा ने लगातार दो बार इस सीट पर जीत हासिल करने वाले राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर इस बार अरुण गोविल को चुनाव मैदान में उतारा है। चुनाव मैदान में उतरने के बाद से ही वे लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं।

सपा इस लोकसभा क्षेत्र में तीन बार प्रत्याशी बदल चुकी है। पहले पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के वकील भानु प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया मगर उसके बाद उनका टिकट काट कर सरधना के विधायक अतुल प्रधान को टिकट देने की घोषणा की। प्रधान के नामांकन करने के बाद पार्टी ने उनका भी टिकट काटकर नामांकन के आखिरी दिन मेरठ शहर की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को चुनाव मैदान में उतार दिया है।



बसपा ने देवव्रत त्यागी को चुनाव मैदान में उतरकर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की बड़ी संख्या है मगर सपा और बसपा दोनों ने मुस्लिम प्रत्याशियों से परहेज किया है। इस लोकसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच माना जा रहा है। अरुण गोविल के चुनाव मैदान में उतरने के कारण यह सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है।

मथुरा

मथुरा लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार हेमा मालिनी इस बार हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। 2014 और 2019 में जीत हासिल करने के बाद वे एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरी हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने इस सीट पर मुकेश धनगर को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस को 20 साल पहले इस सीट पर जीत हासिल हुई थी जबकि सपा इस सीट पर अभी तक एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सकी है। भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए इस सीट पर गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी सभाएं कर चुके हैं। अयोध्या, मथुरा और काशी हमेशा से भाजपा के टॉप एजेंडे में रहा है और इसलिए इस सीट को भाजपा ने अपनी प्रतिष्ठा की जंग बना लिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि इस सीट का चुनाव नतीजा बड़ा सियासी संदेश देने वाला साबित होगा।



बुलंदशहर

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बुलंदशहर लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2009 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर 1991 से भाजपा अभी तक की सीट पर कब्जा करती रही है। इस बार इस लोकसभा क्षेत्र में दो मौजूदा सांसदों के बीच भिड़ंत से सियासी माहौल गरमाया हुआ है। भाजपा ने पिछले दो चुनावों में लगातार जीत हासिल करने वाले भोला सिंह को जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतारा है तो उन्हें बसपा से कड़ी चुनौती मिल रही है

बसपा ने नगीना के मौजूदा सांसद गिरीश चंद्र को बुलंदशहर से उतार कर भाजपा को घेरने की कोशिश की है। सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है और कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव शिवराम वाल्मीकि को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणनात्मक बनाने की कोशिश में जुटी हुई है मगर मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा प्रत्याशियों के बीच माना जा रहा है।



बागपत

बागपत लोकसभा क्षेत्र को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के परिवार का गढ़ माना जाता रहा है मगर 47 साल बाद इस सीट पर इस परिवार से जुड़ा कोई भी सदस्य इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। भाजपा-रालोद गठबंधन में यह सीट रालोद के खाते में गई है और रालोद ने अपने राष्ट्रीय सचिव राजकुमार सागवान को टिकट देकर सपा-कांग्रेस गठबंधन को कड़ी चुनौती दी है।

सपा ने इस लोकसभा सीट पर भी अपने टिकट में फेरबदल किया है। पहले पूर्व जिला अध्यक्ष मनोज चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा गया था मगर आखिरी दिन पार्टी ने साहिबाबाद के पूर्व विधायक अमरपाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है।

बसपा की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रवीण बंसल चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस लोक मसभा सीट पर तीनों प्रमुख दलों ने अलग-अलग जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने जाट, बसपा ने गुर्जर और सपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार पर दांव लगाया है। इस लोकसभा सीट पर भाजपा-रालोद गठबंधन की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।



अमरोहा

अमरोहा लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला हो रहा है क्योंकि मौजूदा सांसद कुंवर दानिश अली बसपा से निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। मुस्लिम बहुल इस सीट पर बसपा ने मुजाहिद हुसैन को चुनाव मैदान में उतारकर मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारे की बिसात बिछा दी है।

भाजपा ने इस सीट पर कंवर सिंह तंवर को चुनाव मैदान में उतारा है जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस लोकसभा सीट का रोचक इतिहास रहा है और 1980 के बाद कोई भी प्रत्याशी इस सीट पर लगातार दो बार जीत नहीं हासिल कर सका है।

दानिश अली की उम्मीदवारी को लेकर क्षेत्र में नाराजगी भी दिख रही थी। मतदाताओं की शिकायत है कि चुनाव जीतने के बाद वे क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। इस नाराजगी को दूर करने के लिए शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सात साल बाद उत्तर प्रदेश में पहली संयुक्त सभा की है।अब यह देखने वाली बात होगी कि सपा-कांग्रेस गठबंधन मुस्लिम बहुल इस सीट पर मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी रोकने में कहां तक कामयाब हो पाता है।



अलीगढ़

अलीगढ़ लोकसभा सीट का फैसला भी दूसरे चरण में 26 अप्रैल को ही होना है। भाजपा ने इस लोकसभा सीट पर ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले सतीश गौतम को चुनाव मैदान में उतारा है। सतीश गौतम इस लोकसभा क्षेत्र में हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बसपा ने इस लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बदलकर भाजपा को घेरने का प्रयास किया है। बसपा ने पहले मुस्लिम प्रत्याशी गुफरान नूर को चुनाव मैदान में उतारा था मगर बाद में उनका टिकट काटकर भगवा खेमा छोड़कर आने वाले हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय को अपना उम्मीदवार बना दिया है।

सपा ने इस लोकसभा क्षेत्र में जाट प्रत्याशी पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह पर फिर दांव खेला है। अलीगढ़ लोकसभा सीट पर सर्वाधिक मतदाता मुस्लिम हैं मगर इसके बावजूद तीनों प्रमुख दलों की ओर से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा गया है। मुस्लिम मतों का रुख इस सीट का फैसला करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। अगर मुस्लिम मतों में बंटवारा हुआ तो सतीश गौतम एक बार फिर बाजी करने में कामयाब हो सकते हैं।



गाजियाबाद

गाजियाबाद में पिछले दो लोकसभा चुनावों में जनरल वीके सिंह ने भाजपा के टिकट पर बाजी मारी थी मगर पार्टी ने इस बार उनका टिकट काटते हुए पूर्व राज्य मंत्री और गाजियाबाद के विधायक अतुल गर्ग पर दांव खेला है। जनरल वीके सिंह का टिकट काटने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ठाकुरों में नाराजगी दिख रही है। ठाकुरों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है। कांग्रेस ने यहां महिला उम्मीदवार डाली शर्मा पर फिर भरोसा जताते हुए भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की है।

बसपा मुखिया मायावती ने इस सीट पर बड़ा खेल कर दिया है। शुरुआत में उन्होंने अंशय कालरा को टिकट दिया था मगर भाजपा से ठाकुरों की नाराजगी को देखते हुए उन्होंने इसी बिरादरी से जुड़े नंदकिशोर पुंडीर को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प को बना लिया है। इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग की चुनावी संभावनाएं ठाकुर बिरादरी के रुख पर टिकी मानी जा रही हैं। अब यह देखने वाली बात होगी कि भाजपा ठाकुर बिरादरी की नाराजगी दूर करने में कामयाब हो पाती है या नहीं।



गौतम बुद्ध नगर

गौतम बुद्ध नगर में दो डॉक्टरों के बीच दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। भाजपा ने यहां अपने सांसद और पेशे से डॉक्टर महेश शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। डॉक्टर महेश शर्मा हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। सपा ने इस सीट पर पहले डॉक्टर महेंद्र नागर को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया था मगर फिर राहुल अवाना को अपना प्रत्याशी बना दिया। पांच दिन बाद पार्टी ने फिर डॉक्टर महेंद्र नागर पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें सपा का सिंबल दिया है। बसपा मुखिया मायावती ने अपने गृह क्षेत्र की इस लोकसभा सीट पर पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह सोलंकी पर दांव खेला है।


इस लोकसभा क्षेत्र में दिलचस्प बात यह है कि तीनों दलों ने अलग-अलग जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा प्रत्याशी ब्राह्मण, सपा प्रत्याशी गुर्जर तो बसपा प्रत्याशी ठाकुर हैं। महेश शर्मा के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और हैट्रिक लगाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा रखी है। सपा और बसपा की ओर से उन्हें घेरने का प्रयास किया जा रहा है मगर उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है।

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During her career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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