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Lucknow University: ग्रामीण और क्षेत्रीय कॉलेजों की राह आसान, नैक चेयरमैन बोले- अब मुख्य भाषाओं में भर सकेंगे नैक का फार्म

नैक के निदेशक प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने कहा कि इस समय अंग्रेजी भाषा के माध्यम से ही नैक मूल्यांकन डाटा और आवेदन फार्म भरने की सुविधा है। जिससे क्षेत्रीय और ग्रामीण इलाके के कॉलेजों को डाटा भरने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

Abhishek Mishra
Published on: 17 Feb 2024 5:45 AM GMT
Lucknow University: ग्रामीण और क्षेत्रीय कॉलेजों की राह आसान, नैक चेयरमैन बोले- अब मुख्य भाषाओं में भर सकेंगे नैक का फार्म
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Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम-2024 में नैक के निदेशक प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने संबोधन किया। वे यहां मुख्य वक्ता के रुप में मौजूद रहे। समागम में देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से आए प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। लखनऊ विश्वविद्यालय और विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान की ओर से आयोजित शिक्षा समागम के दूसरे दिन ‘उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग और मान्यता’ सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र में मुख्य वक्ता नैक के निदेशक प्रो. गणेशन कन्नाबिरन ने कहा कि नैक मूल्यांकन की नई व्यवस्था लाने का प्रयास किया जा रहा है। जिससे शिक्षण संस्थान मुख्य भाषा में डाटा भर सकें।


ग्रामीण कॉलेजों को होती है दिक्कत

नैक के निदेशक ने कहा कि इस समय अंग्रेजी भाषा के माध्यम से ही नैक मूल्यांकन डाटा और आवेदन फार्म भरने की सुविधा है। जिससे क्षेत्रीय और ग्रामीण इलाके के कॉलेजों को डाटा भरने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि देश भर में अभी तक 40 प्रतिशत विश्वविद्यालयों और 22 प्रतिशत कॉलेज ही नैक एक्रीडिटेड हैं। जिसमें 75 प्रतिशत विश्वविद्यालय और 25 कॉलेजों में ग्रेड वैलडेटेड है।

शिक्षा की गुणवत्ता में करना होगा सुधार

अखिल भारतीय संस्थागत नेतृत्व समागम में आईआईएम नागपुर के निदेशक प्रोफेसर भीमराया मेत्री ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि 85 प्रतिशत समस्याएं उच्च स्तर पर ही होती हैं। हम योजनाएं तो बहुत बनाते हैं लेकिन सही तरह से लागू न कर पाने के कारण अच्छे नतीजे नहीं दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस शताब्दी में शिक्षा की गुणवत्ता स्तर में सुधार पर कार्य करना होगा। साथ ही समय के हिसाब से पुराने हो चुके कोर्स को नवाचार के माध्यम रोजगारपरक और छात्रहित में बनाना होगा।

छात्रों की सहायता करें शिक्षक

शिक्षा समागम में एनआईटी भोपाल के निदेशक प्रो. केके शुक्ला ने कहा कि वास्तविक शिक्षक वह नहीं छात्र को उसकी गलती का एहसास कराए बल्कि जो बिना बताए दूर कर दे। प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि हम गुणवत्ता चाहते हैं इसलिए शिक्षण संस्थाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसका ख्याल करें। अब समय बदल गया है शिक्षक को छात्र के पास जाना होगा, छात्र अपने से शिक्षक के पास नहीं आएंगे।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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