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World theater day: वेबिनार में रंगकर्मी रमेश बोड़ा बोले- रंगमंच युवाओं को जीवन जीने का ढंग सिखाता है

Meerut News: इस दौरान प्रो. अशोक त्यागी ने कहा कि जीवन में कुछ नया करने के लिए ऊर्जा का होना जरूरी होता है और यह ऊर्जा जब हम किरदारों को अपने अभिनय कौशल के द्वारा रंगमंच पर जीवित करते हैं तब हमारे भीतर संचारित होती है।

Sushil Kumar
Published on: 28 March 2024 12:56 PM GMT
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स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में विश्व रंगमंच दिवस का आयोजन source: Newstrack 

World theater day: स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर “रंजमंच, संस्कृति एवं शांति के लिए” विषय पर वेबिनार आयोजित की गई। जिसमें सुप्रसिद्ध रंगकर्मी रमेश बोड़ा और महेंद्र प्रसाद सिंह (नई दिल्ली) ने प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर बोलते हुए राजस्थान के स्वनामधन्य रंगकर्मी रमेश बोड़ा ने कहा कि रंगमंच सही वातावरण में मनुष्य के अंदर की आक्रामकता और तनाव को बाहर लाने में मदद करता है। युवाओं को जीवन जीने का ढंग सिखाता है और कठिन से कठिन स्थिति में भी हार न मानने के लिए प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि रंगमंच अवसाद से कहीं दूर ले जाता है। ये सकारात्मक ऊर्जा, अच्छी जीवन शैली और अनुशासन के महत्व से आपको रूबरू कराता है एवं शांति और सौहार्द उत्पन्न करता है।

रंगमंच: आत्मविश्वास और भावनाओं का सफर

वहीं रंगश्री स्कूल ऑफ ड्रामा के संस्थापक महेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि जीवन में शिक्षा के साथ-साथ कला का होना भी बहुत उपयोगी है क्योंकि रंगमंच से बहुत कुछ नया करने को मिलता है। उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि रंगमंच में नृत्य, संगीत, चित्र, अभिनय सहित समस्त कलाओं और विभिन्न प्रकार के कौशलों का समावेश होता है। अगर छोटी-सी नाटिका में भी हिस्सेदारी का अवसर मिले, तो उसे ज़रूर स्वीकार करें। रंगमंच से जुड़ी प्रस्तुतियां इंसान को जीवन के ढेर सारे रंगों में भिगोकर निखार देती हैं। यहीं पर समाज में शांति और सूकून का वातावरण बनता है।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रो(डॉ.)एस सी थलेड़ी ने कहा कि रंगमंच जीवन को बहुआयामी बनाता है। इससे हमारे भीतर आत्मविश्वास पैदा होता है। संवादों की अदायगी और भाव-भंगिमाएं सिखाती हैं कि किस तरह से भाव प्रकट किए जाएं। उन्होंने इस अवसर पर नाट्य शास्त्र के प्रणेता भरत मुनि को याद करते हुए कहा कि उन्होंने रस-निष्पति को नाटक का मूल तत्व बताया है। जिसका उपयोग जीवन में मन के बिखरेपन को समेटना सिखाता है।

जीवन में कुछ नया करने के लिए ऊर्जा का होना जरूरी

इस दौरान प्रो. अशोक त्यागी ने कहा कि जीवन में कुछ नया करने के लिए ऊर्जा का होना जरूरी होता है और यह ऊर्जा जब हम किरदारों को अपने अभिनय कौशल के द्वारा रंगमंच पर जीवित करते हैं तब हमारे भीतर संचारित होती है। एक कलाकार अपने अभिनय के द्वारा लिखे हुए शब्दों को वास्तविकता में जन्म देता है। जीवन में हर बार नया और कुछ नया करने की होड़ में हम हमेशा सीखते रहते हैं इसलिए ही कहा जाता है कि रंगमंच हमेशा बेहतर और नया करने की ऊर्जा पैदा करता है।

इस कार्यक्रम का संयोजन व संचालन पत्रकारिता विभाग के सहायक प्राध्यापक राम प्रकाश तिवारी ने किया। इस दौरान डॉ. प्रीति सिंह, मधुर शर्मा, शोधार्थी हर्ष तोमर व विभाग के विद्यार्थी जिनमें हर्ष बसुटा, अर्पित, विशेष, शकिब, हर्षुल, सुमैया, भूमि, अंजलि, मनीषा, अपूर्वा, सुगंधी, सुमन कुमार, मोनु, हर्षित, दिव्यांशु, आनंद, प्रज्ज्वल पांडेय, अनुष्का बादली आदि उपस्थित रहे।

Aakanksha Dixit

Aakanksha Dixit

Content Writer

नमस्कार मेरा नाम आकांक्षा दीक्षित है। मैं हिंदी कंटेंट राइटर हूं। लेखन की इस दुनिया में मैने वर्ष २०२० में कदम रखा था। लेखन के साथ मैं कविताएं भी लिखती हूं।

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