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Newstrack.com ने खोली सरकारी दावों की पोल, डीएम के इंस्‍पेक्‍शन में भी हुआ खेल  

sudhanshu
Published on: 3 Nov 2018 9:51 AM GMT
Newstrack.com ने खोली सरकारी दावों की पोल, डीएम के इंस्‍पेक्‍शन में भी हुआ खेल  
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शाहजहांपुर: किसानों को लेकर सरकार के दावे एक बार फिर फेल होते नजर आ रहे हैं। यहां किसानो की मेहनत पर सरकारी कर्मचारी ही डाका डाल रहे हैं। चिलचिलाती धूप मे खून पसीने की कमाई की यहां बोली लगाई जाती है। उस बोली को सुनकर किसान को रोना तो आता ही है। साथ ही सरकार के बङे बङे वादे भी याद आते है। कई महीने की कङी मेहनत से धान की फसल काटने के बाद जब किसान मंडी आता है अपने मेहनत की कमाई लेने तब उनको धान की नमी बताकर औने पौने दामों मे बोली लगाकर खरीद कर लेते है। अगर किसान उस दाम पर धान बेचने से मना कर देते है ओर सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों पर बेचने की बात करते है तो उनको मंडी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। लेकिन जब जिलाधिकारी निरीक्षण के लिए पहुचते हैं तो वहां पर फर्जी किसान बनाकर या फिर उनके किसानों को खङा किया जाता है, जो अधिकारियों का बेहद करीबी होता है। जो बिचौलियों की शिकायत न कर सके। डीएम सहाब सब ठीक ठाक बताकर जिला प्रशासन की कङी मेहनत बताकर पीठ थपथपाते हैं। newstrack.com ने इसकी पोल खोली है।

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प्रदेश की सबसे बड़ी गल्‍ला मंडी में बिचौलियों का बोलबाला

प्रदेश की सबसे बड़ी गल्ला मंडी शाहजहांपुर की रोजा गल्ला मंडी समीति है। इस गल्ला मंडी मे आसपास के जिलो का किसान अपना गल्ला बेचने आता है। अब किसान धान की फसल लेकर इस गल्ला मंडी मे आ रहा है। सरकार के वादों का हवाला जब किसान यहां के कर्मचारियों और क्रय केंद्रों पर मौजूद सरकारी कर्मचारियो को बताते हैं। सरकारी रेट 1750 रुपये प्रति क्विंटल बेचने की बात करते हैं। तो वहां पर मौजूद कर्मचारी धान में नमी बताकर धान के औने पौने दामों की बोली लगाना शुरू कर देते हैं। यहां किसान की मेहनत से तैयार फसल धान की कीमत की बोली 1400 से शुरू होती है और 1430 तक किसान बेचने को मजबूर हो जाता है। और जब किसान औने पौने दामों पर बेचने से इंकार कर देते है तो उनको मंडी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

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डीएम के इंस्‍पेक्‍शन में होता है खेल

जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी की गिनती तेज तर्रार अफसरों मे की जाती है। लेकिन इस बार वह भी अपने कर्मचारियों पर भरोसा कर रहे हैं। जिलाधिकारी लगातार मंडी मे धान खरीद का जायजा लेते रहते हैं। लेकिन जब डीएम के पहुंचने का वक्त होता है, उस वक्त क्रय केंद्रों पर ऐसे किसानों को खङा कर दिया जाता है जो अधिकारियों के बेहद करीबी होते हैं। जो कर्मचारियों की शिकायत नहीं करते। डीएम भी सब ठीक ठाक बताकर कर्मचारियों की पीठ थपथपा देते हैं और असली किसान मायूस होकर ठगे से रह जाते हैं।

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पचास केंद्रो का डीएम ने किया निरीक्षण

जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी का कहना है कि करीब पचास क्रय केंद्रों पर चेक किया है। यहां पर धान की नमी 22 पर्सेंट तक है। लेकिन 17 पर्सेंट नमीकेके धान को सरकारी मूल्य पर धान खरीदा जा रहा है। अभी तक 1500 एमपी का टार्गेट पूरा कर चुके है। और जैसे जैसे किसान जागरूक होगा धान को सुखाकर किसान मंडी मे लाएगा। अगर मंडी मे बिचौलियों के होने की सूचना मिली या फिर किसान के धान मे रेट मे कुछ कमी पाई गई तो कार्यवाही की जाएगी।

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