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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर इलाहाबाद HC में सुनवाई, मुस्लिम पक्ष- नहीं चल सकता सिविल वाद

Shri Krishna Janmabhoomi Case: भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव तथा अन्य 18 सिविल वाद की सुनवाई आज जस्टिस मयंक जैन की बेंच कर रही है। शुक्रवार को मामले की सुनवाई होनी है।

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Written By aman
Published on: 22 Feb 2024 3:46 PM GMT
Shri Krishna Janmabhoomi Case
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Shri Krishna Janmabhoomi Case (Social Media)

Shri Krishna Janmabhoomi Case: उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित कटरा केशव देव के नाम दर्ज जमीन से शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Mosque Eidgah) का अवैध कब्जा हटाकर भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपने की मांग सहित अन्य मांगों पर गुरुवार (22 फरवरी) को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। मस्जिद पक्ष ने सिविल वाद को खारिज करने योग्य बताया। सुनवाई के दौरान दो घंटे की लंबी बहस चली। समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। अब शुक्रवार (23 फरवरी) की दोपहर फिर सुनवाई होगी।

भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव तथा अन्य 18 सिविल वाद की सुनवाई आज जस्टिस मयंक जैन (Justice Mayank Jain) की बेंच कर रही है। सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7, नियम 11 के तहत मस्जिद पक्ष की ओर से सिविल वाद की पोषणीयता पर उठाई गई आपत्ति पर सर्वोच्च न्यायालय के सीनियर वकील तसनीम अहमदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बहस की।

तसनीम अहमदी- सिविल वाद खारिज हो

तसनीम अहमदी ने कहा, 'प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के अंतर्गत 15 अगस्त 1947 को किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति जैसी थी, उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। कोई वाद कोर्ट को सुनने का अधिकार नहीं है। इसलिए, सिविल वाद निरस्त किए जाएं। उन्होंने आजादी से पहले दोनों पक्ष में हुए समझौते का भी हवाला दिया। बोले, इस आधार पर भी सिविल वाद खारिज किए जाने के योग्य है। उन्होंने कहा, अदालत से तय मामले को दोबारा कोर्ट में नहीं उठाया जा सकता। शाही ईदगाह मस्जिद वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इसलिए भी सिविल अदालत को विवाद की सुनवाई का अधिकार नहीं है। लंबी बहस के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई।

'1000 पन्नों का साक्ष्य अदालत में करेंगे पेश'

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास (Krishna Janmabhoomi Mukti Nirman Trust) के अध्यक्ष और केस के पक्षकार वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'वह शुक्रवार (23 फरवरी) को 1000 पन्नों का साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा, मस्जिद पक्ष केस लटकाने का प्रयास कर रहा है। यहां न तो प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (Places Of Worship Act 1991) लागू है, न लिमिटेशन एक्ट और न ही वक्फ बोर्ड की कोई ऐसी रूलिंग है, जो भगवान श्रीकृष्ण के मूल गर्भगृह को कब्जा मुक्त होने से रोक रही है'।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने पक्ष नहीं रखा

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) की तरफ से किसी ने पक्ष नहीं रखा। अन्य विपक्षियों की ओर से अधिवक्ता नसीरूज्जमा, हरे राम त्रिपाठी, प्रणय ओझा, सीनियर वकील वजाहत हुसैन खान, एमके सिंह ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान न्यायमित्र वरिष्ठ वकील मनीष गोयल तथा आकांक्षा शर्मा के अलावा वादी पक्ष के तमाम अधिवक्ता और पक्षकार मौजूद रहे।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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