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Gorakhpur News : सत्ता के लिए गोरखपुर को लकी मानते हैं PM मोदी, क्या चौथी बार चमकेगा भाग्य ?

Gorakhpur News : पीएम नरेन्द्र मोदी आगामी 18 अक्तूबर को गोरखपुर आ रहे हैं। इस दिन वह पूर्वांचल के पहले एम्स के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट नये खाद कारखाने को देश को समर्पित करेंगे।

Purnima Srivastava
Published on: 13 Sep 2021 4:03 AM GMT
PM Narendra Modi Gorakhpur
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गोरखपुर में 2019 में किसान सम्मान निधि योजना का शुभारंभ करते पीएम मोदी (फाइल फोटो)

Gorakhpur News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर को पीएम नरेन्द्र मोदी भी बेहद भाग्यशाली मानते हैं। इसीलिए 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर पहली जनसभा (18 अक्तूबर) वह गोरखपुर में ही करेंगे। वे पूर्वांचल को एम्स और खादकारखाना की सौगात देने के साथ ही 'मिशन 2022' का बिगुल भी फूंकेंगे।

इसके पहले तीन मौकों पर गोरखपुर पीएम नरेन्द्र मोदी के लिए लकी साबित हुआ है। अब लोगों को यह सवाल मथ रहा है कि क्या चौथी मर्तबा भी पीएम योगी व उनकी पार्टी के लिए गोरखपुर की सरजमी भाग्यशाली साबित होगी ?

PM मोदी विशाल जनसभा को करेंगे संबोधित

पीएम नरेन्द्र मोदी आगामी 18 अक्तूबर को गोरखपुर आ रहे हैं। इस दिन वह पूर्वांचल के पहले एम्स के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट नये खाद कारखाने को देश को समर्पित करेंगे। लोकार्पण कार्यक्रम के बाद मोदी विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे।

माना जा रहा है कि इसीदिन वह यूपी में भाजपा के मिशन 2022 का रोडमैप भी रखेंगे। इस दिन साफ हो जाएगा कि भाजपा किन मुद्दों पर चुनावी प्रचार को आगे बढ़ाएगी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव का बिगुल उत्तर प्रदेश के नये सियासी केन्द्र गोरखपुर से ही फूंका था।

2014 में गोरखपुर के मानबेला मैदान से नरेन्द्र मोदी ने '56 इंच की छाती' वाला चर्चित भाषण दिया था। जिसके बाद पूरा चुनावी कैंपेन इसी बयान के इर्दगिर्द घूमता रहा था। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव का बिगुल भी उन्होंने गोरखपुर से ही फूंका था। जब 24 फरवरी को उन्होंने खाद कारखाना परिसर से क्रान्तिकारी किसान सम्मान निधि का शुभारंभ किया था।

यहीं से बटन दबाकर पीएम मोदी ने करोड़ों किसानों के खाते में किसान सम्मान निधि की पहली किस्त के रूप में 2000-2000 रुपये भेजा था। यहीं से प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी।

2019 में महिला किसान को सम्मान निधि का चेक देते मोदी (फाइल फोटो)

पीएम ने कहा था कि 'हमारी सरकार किसानों को समर्थ और सशक्‍त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में उन्‍हें सक्षम बनाने के उद्देश्‍य से किसानों को सभी आवश्‍यक संसाधन उपलब्‍ध कराने के लिए सरकार कार्यरत है।'

2017 चुनाव के लिए माहौल गोरखपुर से ही बना

2017 में हुए यूपी विधानसभा को लेकर भाजपा का माहौल गोरखपुर से ही बना था। तब चुनाव अचार संहिता लागू होने के चंद माह पहले 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री ने खाद कारखाना का शिलान्यास किया था। तब उन्होंने रोजगार के साथ ही विकास की बात कही थी। 2017 में गोरखपुर में ही पीएम मोदी ने भाजपा के विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी।

वैसे पूर्वांचल में अपनी जमीन को बरकरार करने की कोशिश में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकार्पण-शिलान्यास में तो हर सप्ताह दिख ही रहे हैं, बाढ़ राहत के बहाने भी वह जमीन मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हैं।

पिछले दिनों गोरखपुर में प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास और गुरु गोरक्षनाथ विश्वविद्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मौजूदगी से भी पार्टी में पूर्वांचल की अहमियत का पता चल गया था।

यूं ही नहीं हो रही पूर्वांचल पर धनवर्षा

पूर्वांचल के प्रोजेक्ट पर धनवर्षा भी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि गोरखपुर की योगी से लेकर मोदी के लिए क्या अहमियत है। योगी यहां पांच बार के सांसद हैं। उनका गृह जनपद भी गोरखपुर ही है। पिछले साढ़े चार वर्षों में गोरखपुर में विकास को लेकर जो तस्वीर बदली है, वह खुद योगी के लिए गोरखपुर के अहमियत को साबित कर रहा है।

यूपी बजट में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के लिए 1,107 करोड़ रुपये और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के लिए 860 करोड़ रुपये आवंटित हुए। 22,494 करोड़ से लखनऊ से आजमगढ़ होते हुए गाजीपुर तक बन रहे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और 5,876 करोड़ की लागत से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से गोरखपुर को जोड़ने के लिए लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है।

वाराणसी के साथ गोरखपुर में लाइट मेट्रो के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। यही नहीं, मिर्जापुर में विंध्याचल के लिए 30 करोड़ रुपये की व्यवस्था से विंध्यवासिनी धाम को भव्य स्वरूप देने की योजना भी बनाई गई है।

पूर्वांचल के गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण कार्य पूरा करके प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुरू कराने की योजना है। इसके लिए बजट में 960 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।

पूर्वांचल से ही भाजपा पहुंचती है सूबे में सत्ता की शीर्ष पर

वैसे, यह भी सच है कि भाजपा ने जब पूर्वांचल में बेहतर प्रदर्शन किया है, तब ही उसे यूपी की सत्ता मिली है। 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में पहली बार पूर्वांचल के 28 जिलों के 162 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 115 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि नब्बे के दशक की रामलहर में भाजपा को पूर्वांचल में 82 सीटें ही मिली थीं।

इसलिए बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष फोकस वाराणसी, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, संतकबीरनगर, बस्ती, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, सिद्धार्थनगर, चंदौली, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़, कौशाम्बी और आम्बेडकरनगर आदि जिलों पर है।

पश्चिम में किसानों का गुस्सा तो नहीं है पूर्वांचल प्रेम की वजह!

मुजफ्फरनगर में किसान पंचायत में जुटी भीड़ ने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से लेकर यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ को बेचैन कर दिया है। केन्द्र सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को भले ही तैयार नहीं हो लेकिन किसानों को लुभाने के लिए अन्य कोशिशों को जारी रखे हुए है।

8 सितम्बर को रबी फसलों को लेकर बढ़ाए गए समर्थन मूल्यों को इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा सकता है। भाजपा के रणनीतिकार अच्छी तरह समझ रहे हैं कि जाट और मुस्लिमों में कम हुई दूरी और किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पार्टी की जमीन खिसकी है। यह सीट और वोट के रूप में नुकसान करेगी, इसमें पार्टी को भी कोई संशय नहीं है। इसीलिए मिशन 2022 में जुटी भाजपा अवध से लेकर पूर्वांचल में ही पूरा जोर लगा रही है।

बीजेपी (फाइल फोटो)

पूर्वांचल में छोटे जोत के किसान हैं, इसलिए कृषि कानूनों को लेकर पश्चिम जैसा मुखर विरोध नहीं है। चौरीचौरी क्षेत्र के प्रगतिशील किसान शैलेश मणि त्रिपाठी का कहना है कि 'कृषि कानूनों का असर तो बाद में दिखेगा। अभी तो किसानों के समक्ष बुआई करना ही मुश्किल है।

पिछले सात साल में गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। वहीं डीजल, खाद, बिजली की महंगाई से लागत दो गुनी से अधिक हो गई है। सरकार सिर्फ किसानों की आय दोगुना करने का दावा विज्ञापनों और होर्डिंगों पर कर रही है।'

गोरखपुर में किसान यूनियन के अध्यक्ष विनोद कुमार फौजी का कहना है कि 'पूर्वांचल का किसान खामोश है तो इसका मतलब यह नहीं कि उसमें गुस्सा नहीं है। वह शांत है। वोट के हथियार से सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को जवाब देगा।'

महराजगंज के किसान अखिलेश तिवारी का कहना है कि 'पूर्वांचल के किसानों में भले ही गुस्सा हो लेकिन पश्चिम जैसी स्थिति तो नहीं ही है। यही वजह है कि भाजपा का जोर अवध से लेकर पूर्वांचल में है।'

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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