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हे भगवान: अंधविश्वास में जी रही कौशांबी की दुनिया, देवी भवानी पंडा के आगे सारे इलाज है फेल

Kaushambi News: देवी भवानी पंडा के इलाज से कुछ की बीमारियां तो ठीक हो जाती हैं, पर कुछ इस हवन का शिकार बन जाते हैं।

Ansh Mishra
Report Ansh MishraPublished By Monika
Published on: 5 Dec 2021 11:45 AM GMT
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अंधविश्वास (फोटो : सोशल मीडिया ) 

Kaushambi News: दुआओं के आगे कौशाम्बी (Kaushambi ) की पब्लिक भूल चुकी है चिकित्सा व्यवस्था। कहीं देवी तो कहीं पंडा के ऊपर भरोसा करने वाली है यहां की पब्लिक। कौशांबी जनपद में अंध विश्वास (andhvishwas) का धंधा इन दिनों तेजी से तरक्की कर रहा है। जनपद कौशांबी हमेशा सुर्खियों पर रहा है देवी भवानी पंडा (Devi Bhavani panda) के नाम पर। जहां पर किसी घर या परिवार में कोई नया रोग (rog ka ilaj) उत्पन्न होता है तो इलाज के लिए पहली प्राथमिकता उसको झाड़-फूंक और लोबान का हवन करा कर इलाज होती है। इस इलाज से कुछ की बीमारियां तो ठीक हो जाती हैं, पर कुछ इस हवन का शिकार बन जाते हैं।

इसी तरह का मामला कौशांबी जनपद में एक बार तेजी से वह उभाड़ में आया था जहां एक चमत्कारी गोलू बाबा बीमारी को तत्काल प्रभाव से छूने से खत्म कर देते थे। गोलू बाबा बेरूई गांव में अंधविश्वास से ग्रसित भीड़ के चलते एक 6 साल का बच्चा गोलू बाबा बन गया। इस गोलू बाबा का लगातार कार्यक्रम 20 दिन चला और बाबा के नाम पर इलाके में मेला लगना शुरू हो गया। मेला लगना जब शुरू हो गया तो भीड़ भी इकट्ठा होने शुरू हो गई। तो ऐसे गोलू बाबा का कार्यक्रम (Golu baba ka karyakram) चलता रहा और लोग अंधविश्वास में ठीक होते रहे। वही गोलू बाबा से सारे महकमे ने आशीर्वाद लिया और सारे महकमे को फायदा भी हुआ ऐसा कुछ दिन तक मानना रहा।

लेकिन जब गोलू बाबा की जांच पड़ताल तेजी से शुरू हुई तो गोलू बाबा का ढोंग सामने आया और आम जनता के बीच इस गोलू बाबा के ढोंगी नाटक का पर्दाफाश हुआ।

मनोकामना होती है पूरी

इसी तरह जनपद कौशांबी में एक पीपल का पेड़ कटा हुआ पड़ा था और चमत्कार होते ही रात में आस्था से जुड़ गया। लोगों का मानना था कि पीपल के पेड़ (pipal ke ped ) के पास जाने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है और सारे काम सिद्ध होते हैं। वहां भी काफी भीड़ लगना इकट्ठा होना शुरू हो गयी और लोगों की मनोकामना पूरी होती रही। मेला भी लगा।

अंधविश्वास के चलते मृत्यु

जनपद में अंधविश्वास के चलते और झाड़-फूंक (jhad fuk) के चलते कितने लोगों की मृत्यु (death) हो जाती है इसका अंदाजा शायद कौशांबी की दुनिया को नहीं है।

और कौशांबी जनपद में ऐसे कई बाबा हैं जो इस तरह का काम कर रहे हैं। झाड़-फूंक का कार्य और जीवन बचाने के लिए आम जनमानस से धनदोहन भी कर रहे हैं। जिससे कुछ तो अर्श से फर्श तक पहुंच गए और कुछ तो झाड़-फूंक में ही रह गए।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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