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UP Madrasa Survey: यूपी के 60 जिलों में बिना मान्यता के चल रहे 8496 मदरसे, इनमें दारुल उलूम देवबंद भी

UP Madarsa Survey: यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 60 जिलों की रिपोर्ट में करीब 8,496 मदरसे ऐसे मिले हैं जो गैर मान्यता प्राप्त है।

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Written By aman
Published on: 11 Nov 2022 12:37 PM GMT
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Darul Uloom Deoband (Social Media)

UP Madarsa Survey: यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा कराए गए मदरसा सर्वे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। फिलहाल, 60 जिलों की सर्वे रिपोर्ट में 8,496 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पता चला है। इतनी बड़ी संख्या में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे तब हैं जबकि, 15 जिलों के रिपोर्ट आने अभी शेष हैं। उम्मीद है कि बचे 15 जिलों की रिपोर्ट 15 नवंबर, 2022 तक आ जाएगी। सरकारी अधिकारी भी इस आंकड़े को देखकर स्तब्ध हैं।

आपको बता दें कि, यूपी में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कार्य अंतिम चरण में है। रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक गैर मान्यता प्राप्त मदरसे सहारनपुर में मिले हैं। जिले में ऐसे मदरसों की संख्या 306 है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इनमें ख्यातिप्राप्त इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) भी शामिल है। दारुल उलूम देवबंद, यूपी मदरसा बोर्ड (UP Madarsa Board) में रजिस्टर्ड नहीं है। दारुल उलूम देवबंद, सरकारी सहायता के बिना अन्य स्रोतों से आने वाले चंदे से चलता है।

सहारनपुर में 754 मदरसे मान्यता प्राप्त

जिले में इतनी बड़ी संख्या में गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिलने पर सहारनपुर के जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि, सहारनपुर प्रशासन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों (Unrecognized Madrasas in Saharanpur) की एक रिपोर्ट जल्द ही सरकार को भेजेगा। इसके अलावा, सहारनपुर में 754 ऐसे मदरसे मिले हैं जिन्हें मान्यता मिली हुई है। ये मदरसा बोर्ड के अधीन चलाए जा रहे हैं। वहीं, दारुल उलूम देवबंद ने सिर्फ सोसायटी एक्ट, 1866, के तहत रजिस्ट्रेशन करवा रखा है।

बाराबंकी में 169 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त

इसी तरह, बाराबंकी जिले में मदरसों के संचालन में भी कई खामियां पाई गई हैं। बाराबंकी जिले में सर्वे के बाद 169 मदरसे ऐसे मिले हैं जो किसी अधिकृत संस्था से मान्यता लिए बगैर चलाए जा रहे थे। इन मदरसों में न तो पाठ्यक्रम तय मिला और न ही शिक्षण कार्य से जुड़े कोई मानक ही तय थे। संसाधनों के अभाव के बावजूद इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में करीब 20 हजार से अधिक बच्चे रजिस्टर्ड हैं। जिला प्रशासन की तरफ से सरकार को रिपोर्ट भेजी गई है।

अरशद मदनी- मदरसे के लिए नहीं चाहिए मदद

यूपी में एक तरफ मदरसा सर्वे कार्य चल रहा था, दूसरी ओर कई मुस्लिम संगठन इसे गैर वाजिब बताकर विरोध कर रहे थे। जमीयत-उलेमा-ऐ-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी (Arshad Madani, National President of Jamiat-Ulema-e-Hind) ने वीडियो ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा, कि मदरसा चलाने के लिए उन्हें सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं चाहिए। मस्जिद और मदरसा एक ही बात है। मस्जिद में यदि नमाज पढ़ी जाती है, तो मदरसे में इबादत करना सिखाया जाता है। ये भी दीन है। वो भी दीन है। इसे (मदरसा) चलाने के लिए हम किसी भी सरकार से कोई पैसा नहीं चाहते हैं। दीन की हिफाजत हम करेंगे। ऐसा हम 1400 सालों से कर रहे हैं और कयामत तक करते रहेंगे।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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