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Virtual Rally In UP: वर्चुअल रैली से क्यों जनता के असल मुद्दों के दबने का डर, पढ़ें ये रिपोर्ट

Virtual Rally In UP: कोरोना संक्रमण के कारण चुनावी राज्यों में राजनीतिक पार्टियों को केवल वर्चुअल रैली करने की अनुमति है। ऐसे में जनता के असल मुद्दों के दब जाने की आशंका है।

Bishwajeet Kumar
Written By Bishwajeet KumarNewstrack Network
Published on: 10 Jan 2022 2:45 PM GMT
Virtual Rally In UP
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Virtual Rally In UP

Virtual Rally In UP: कोरोना के खौफ के बीच चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चुनाव तिथियों की घोषणा कर दी है। यह चुनाव ऐसे माहौल में होगा जब भारत समेत दुनिया भर में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोम के कारण त्रासदी मची हुई है। वहीं भारत में हर रोज एक लाख से अधिक कोरोना मामले सामने आ रहे हैं।

कोरोना के इन्हीं हालातों के कारण चुनाव आयोग ने इस बार के विधानसभा चुनाव में कई नए नियम लागू किए हैं। जिसमें सबसे उम्मीदवारों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सहित चुनावी रैलियों को 15 जनवरी तक स्थगित करने जैसे कई बड़े फैसले रहे हैं। साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों को केवल वर्चुअल रैली की परमिशन दी गई है।

ऐसे में यह अंदेशा है की चुनावी रैलियां वर्चुअल तरीके से होने के कारण कहीं जनता के असल मुद्दे सोशल मीडिया तक ही सीमित ना रह जाए। क्योंकि भारत जैसे देश में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और बिजली की समस्या व्याप्त है साथ ही यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में हर आयु वर्ग के लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना नहीं जानते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और इंटरनेट का अभाव

बात अगर उत्तर प्रदेश की करें तो उत्तर प्रदेश में कुल वोटर्स में लगभग 45 फ़ीसदी हिस्सेदारी महिला मतदाताओं की है। जिसमें से बहुत सी महिलाएं उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं। जहां महिलाएं फोन का सीमित उपयोग करती हैं साथ ही उनमें शिक्षा का भी अभाव है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है की क्या वह महिलाएं अपनी बातों अपने मुद्दों को राजनीतिक पार्टियों तक पहुंचा पाएंगी या राजनीतिक पार्टियों द्वारा किए गए वादों को वह महिलाएं जान पाएंगी।

उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा भी एक बहुत ही अहम मुद्दा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए सामान्य लिया है उनके नेताओं से संपर्क करने का एक आसान तरीका है जिससे वह अपनी समस्याओं को अपने मुद्दों को उम्मीदवारों के सामने रख सकें लेकिन वर्चुअल रैली होने के कारण शायद यह सीधा संवाद टूट जाएगा।

उत्तर प्रदेश में अगर युवाओं को छोड़ दें तो यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष भी बहुत ज्यादा संख्या में इंटरनेट से जुड़े हुए नहीं साथ ही इन क्षेत्रों में पुरुषों के साथ भी शिक्षा का अभाव है जिससे डर है कि कहीं उनके असल मुद्दे दब ना जाए।

छुट्टा पशुओं की समस्या

इन दिनों उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक बहुत बड़ी समस्या छुट्टा पशुओं की है। छुट्टा पशु किसानों के फसलों को तो नुकसान करते हैं। वही छुट्टे सांड आम जनता के जान के दुश्मन अलग बने रहते हैं। प्रदेश में छुट्टा पशुओं के आतंक का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल कई वीडियो में ये छुट्टा पशु वीवीआईपी रैलियों में घुस गए थे। जिसको निकालने के लिए प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।

बता दें वर्चुअल रैली के पहले समाजवादी पार्टी प्रदेश में मौजूदा योगी सरकार को छुट्टा पशुओं के मुद्दे पर लगातार घेरती रही है। समाजवादी पार्टी ने तो यह ऐलान भी किया था कि अगर उनकी सरकार आई तो सांड के वजह से मौत होने पर मृतक के परिवार वालों को पांच लाख रुपये का मुआवजा सपा सरकार।

स्थानीय मुद्दों की बात

वही वर्चुअल रैली के होने से ग्रामीण क्षेत्रों में वहां की जनता अपने स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, बिजली, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जलभराव, पेयजल तथा सरकारी विद्यालयों के मुद्दे या उनके हालातों को अच्छे से नहीं बता पाएगी। वही राजनीतिक पार्टियों का भी जनता से रैलियों के माध्यम से होने वाला सीधा संपर्क टूट जाएगा।

सामान्य रैलियों के होने के कारण उम्मीदवार अपने क्षेत्र के समस्याओं को जनता से सीधे संवाद कर सुन पाता है हालांकि आज के इस डिजिटल दौर में सोशल मीडिया के माध्यम से यह चीजें आसानी से सामने आ जाती है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्याएं यथा अवस्था बनी रहती है जहां इंटरनेट बिजली तथा शिक्षा का अभाव है।

Bishwajeet Kumar

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