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Afghanistan Blast: धमाकों से फिर दहला अफगानिस्तान, बल्ख प्रांत में हुए ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत

Afghanistan Blast: अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत में एक के बाद एक दो धमाके हुए, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई। 13 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Shreya
Published on: 28 April 2022 5:35 PM GMT (Updated on: 28 April 2022 5:38 PM GMT)
उत्तरी अफगानिस्तान में विस्फोट
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ब्लास्ट (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Northern Afghanistan Explosions: चरमपंथी संगठन तालिबान शासित अफगानिस्तान (Afghanistan) में धमाकों का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। बीते कुछ समय से लगातार एक के बाद एक बम धमाके अफगानिस्तान के विभिन्न राज्यों में होते आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक और बम धमाके की खबर सामने आई है। गुरूवार शाम को लंबे समय तक गृह युद्ध होने के कारण जर्जर हो चुके इस देश में एक के बाद एक दो धमाके हुए, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई। 13 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।

लोकल मीडिया के मुताबिक, विस्फोट बल्ख प्रांत (Balkh province) के मजार-ए -शरीफ इलाके में हुआ है। दोनों धमाकों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को टारगेट किया गया है। धमाके के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई। हर तरफ से चीख – पुकार की आवाज आने लगी। घटनास्थल पर खून के धब्बे औऱ मांस के चिथड़े इधर – उधर पड़े थे। स्थानीय लोगों ने तुरंत गंभीर और आंशिक रूप से जख्मी लोगों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया।

किसी आंतकी संगठन ने नहीं ली जिम्मेदारी

बता दें कि अभी तक इस हमले की जिम्मेदारी किसी आंतकी संगठन ने नहीं ली है। गौरतलब है कि पिछल हफ्ते मजार - ए – शरीफ के एक मस्जिद को निशाना बना कर किए गए जोरदार धमाके में 30 लोग मारे गए थे, जबकि कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। नमाज के कारण मस्जिद में भीड़ अधिक थी, इसलिए मरने वालों की संख्या अधिक थी। इस भयावह हमले की जिम्मेदारी दुनिया में आंतक का नया पर्याय बन चुके इस्लामिक स्टेट ने ली थी। दरअसल तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक शियाओं के मस्जिदों पर हमले बढ़ गए हैं। अभी तक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन तालिबान कुछ नहीं कर सका है।

बता दें कि अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को अभी तक वैश्विक मान्यता नहीं मिली है। लिहाजा वहां विदेशों से आने वाले सभी तरह के फंड रूक गए हैं। जिसके कारण वहां की स्थिति औऱ खराब हो चुकी है। अस्पतालों के पास दवाईयों तक के पैसे नहीं हैं।

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Shreya

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