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आज पृथ्वी से टकरा सकता है Geomagnetic तूफान, दुनियाभर में प्रभावित हो सकती हैं इंटरनेट समेत ये सेवाएं

SPACE STORM : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से अनुमान लगाया गया है कि आज पृथ्वी से एक भू-चुंबकीय तूफान (Space Strom) टकरा सकता है।

Bishwajeet Kumar
Published on: 14 April 2022 3:29 AM GMT
Geomagnetic Storm
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Geomagnetic Storm (Image Credit : Social Media) 

Geomagnetic Storm : आपने चक्रवाती तूफान या सामान्यतः तूफान सुना और देखा ही होगा। मगर क्या हो जब कोई तूफान अंतरिक्ष की ओर से पृथ्वी की ओर तेजी से आ रहा हो। एक ऐसा ही तूफान जिसे भू-चुंबकीय तूफान कहते हैं वह आज पृथ्वी पर दस्तक दे सकता है। इस तूफान के बारे में पूर्वानुमान नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) ने लगाया है।

क्या कहा गया पूर्वानुमान में?

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) ने इस भू चुंबकीय तूफान के बारे में बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि 3 अप्रैल 2022 को अंतरिक्ष में प्लाज्मा की एक बड़ी गहरी ताकतवर और विशाल का फिलामेंट का निर्माण हुआ। जो आने वाले वक्त में एक भू-चुंबकीय तूफान बन सकता है। इस फिलामेंट में 11 अप्रैल 2022 को एक बार धमाका हुआ। जिसके बाद वैज्ञानिकों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा कि इस धमाके के कारण उत्पन्न हुआ भू-चुंबकीय तूफान आज पृथ्वी पर दस्तक दे सकता है।

क्या होता है भू-चुंबकीय तूफान?

जब सौरमंडल के हवाओं की तीव्र ऊर्जा पृथ्वी से अर्थात पृथ्वी के पर्यावरण से टकराती है तो उसे चुंबकीय तूफान या एक भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है। जब सौरमंडल से हवाओं की ऊर्जा सूर्य के सतह पर आती है, इस दौरान भारी मात्रा में विस्फोट होता है। इस विस्फोट के साथ ही एक तेज प्रकाश भारी मात्रा में उर्जा छोड़ता है। इस पूरे प्रक्रिया को 'सन फ्लेयर' (sun flare) के नाम से जाना जाता है।

बता दें सौरमंडल में इस पूरे प्रक्रिया के दौरान अरबों टन के बराबर चुंबकीय ऊर्जा कई लाख मिलियन प्रति घंटे के रफ्तार से निकलती है। इतनी भारी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा जब तेज रफ्तार के साथ सूर्य के सतह के करीब जाता है तो इससे सूर्य के सतह का बाहरी हिस्सा खुल जाता है और इस कारण से इसमें छोटे-छोटे आग के गोले की तरह छेद दिखने लगते हैं, जिन से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। जब इसी तरह की प्रक्रिया बार-बार होती है तो सौरमंडल में यह ऊर्जा कई दिनों तक लगातार निकलती रहती है। बाद में वह छोटे न्यूक्लियर करण में तब्दील होकर पूरे ब्रम्हांड में फैल जाते हैं। जिसे भू-चुंबकीय तूफान के नाम से जाना जाता है।

भू-चुंबकीय तूफान के प्रकार

भू-चुंबकीय तूफान कई श्रेणी के होते हैं इन्हें ज्योमैग्नेटिक तूफान ग्रेड G1 से G5 तक की श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन सभी श्रेणियों में जियोमैग्नेटिक तूफान G5 सबसे ताकतवर और हानिकारक होता है। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) ने आज आने वाले भू-चुम्बकीय तूफान को G1 की श्रेणी में रखा गया है। मतलब इस तूफान से फ़िलहाल पृथ्वी पर कोई बड़ा खतरा तो नहीं मंडरा रहा है। मगर अगर ऊर्जा निकलने की यह प्रक्रिया अगले कुछ दिनों तक जारी रहती है तो यह दूसरे श्रेणी के तूफान में तब्दील हो सकता है।

क्या नुकसान पहुंचा सकता है जियोमैग्नेटिक तूफान?

भू-चुंबकीय तूफान अर्थात ज्योमैग्नेटिक तूफान अगर G4 और G5 श्रेणी का होता है तो इससे भारी मात्रा में नुकसान होने की संभावना होती। इस श्रेणी का तूफान अंतरिक्ष में मौजूद सेटेलाइट या किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर सकता है। इस श्रेणी के तूफान आने के कारण धरती पर सेटेलाइट से होने वाली सूचना प्रणाली पूरी तरह से ठप पड़ सकती है, इंटरनेट सेवाएं बुरी तरह बाधित हो सकती हैं, साथ ही उपग्रहों को फिजिकल तौर पर भी भारी मात्रा में नुकसान हो सकता है।

आज आने वाले इस तूफान को लेकर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अलर्ट जारी किया है। वही इस तूफान को लेकर आयरलैंड के एक वैज्ञानिक ने यह चेतावनी दी है कि पृथ्वी से टकराने के बाद शायद कुछ देर के लिए दुनिया भर में इंटरनेट सेवाएं और बिजली से चलने वाले उपकरण प्रभावित हो सकते हैं हालांकि अब तक के अनुमान के मुताबिक यह भू-चुंबकीय तूफान श्रेणी G1 का रहेगा।

Bishwajeet Kumar

Bishwajeet Kumar

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