×

Monkeypox Virus का कोई इलाज नहीं; WHO की चेतावनी - एहतियात और सावधानी ही है बचाव

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 22 May 2022 6:48 PM GMT (Updated on: 23 May 2022 7:26 AM GMT)
Monkeypox Virus का कोई इलाज नहीं; WHO की चेतावनी - एहतियात और सावधानी ही है बचाव
X

Monkeypox virus

Monkeypox (मंकीपॉक्स) दुनिया में एक दर्जन देशों में फैल चुका है और अब ये बीमारी गंभीर चिंता बन गयी है। इससे संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। WHO ने मंकीपॉक्स के बारे में चेतावनी जारी की है और कहा है कि ये पूरी दुनिया में फैल सकता है। बहरहाल, ये संक्रमण कोरोना जैसा खतरनाक नहीं बताया जा रहा है लेकिन इसको हलके में नहीं लिया जा सकता है।

भारत में स्थिति

दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामलों में वृद्धि को देखते हुए, केंद्र ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को इसके प्रकोप पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है। वैसे, भारत में अब तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। मंत्रालय ने अधिकारियों से प्रभावित देशों के बीमार यात्रियों को अलग करने और उनके नमूने जांच के लिए एनआईवी पुणे भेजने को कहा है.

यूके में कम्युनिटी ट्रांसमिशन

यूनाइटेड किंगडम में अब मंकीपॉक्स कम्युनिटी ट्रांसमिशन के जरिए फैल रहा है और रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) के डॉ सुसान हॉपकिंस के अनुसार, प्रकोप का कारण अज्ञात है और एक ही घटना से संक्रमित लोगों के बीच "कोई स्पष्ट संबंध नहीं" है। यूकेएचएसए की मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ हॉपकिंस ने कहा कि वयस्कों में यह बीमारी "अपेक्षाकृत हल्की" है, लेकिन छोटे बच्चों को अधिक जोखिम होता है।

दुर्लभ बीमारी

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। मंकीपॉक्स का प्राकृतिक भंडार अज्ञात है। हालांकि, अफ्रीकी चूहों और गैर-मानव प्राइमेट (जैसे बंदर), इस वायरस को अपने भीतर समेटे हो सकते हैं और लोगों को संक्रमित कर सकते हैं।

कहाँ से आया मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स की खोज पहली बार 1958 में हुई थी जब शोध के लिए रखे गए बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए। इसलिए इसका नाम 'मंकीपॉक्स' पड़ा। मंकीपॉक्स का पहला मानव मामला 1970 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में दर्ज किया गया था। तब से अन्य मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मनुष्यों में मंकीपॉक्स की सूचना मिली है।

मंकीपॉक्स का कारण बनने वाला वायरस प्रकृति में एक जानवर से केवल दो बार बरामद किया गया है। पहली बार 1985 में, कांगो में एक बीमार अफ्रीकी गिलहरी से वायरस बरामद किया गया था। दूसरी बार 2012 में, ताई नेशनल पार्क, कोटे डी आइवर में एक मृत शिशु मंगाबी बंदर से वायरस बरामद किया गया था।

क्या हैं लक्षण

मनुष्यों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान, लेकिन हल्के होते हैं। मंकीपॉक्स की शुरुआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकावट से होती है। चेचक और मंकीपॉक्स के लक्षणों के बीच मुख्य अंतर यह है कि मंकीपॉक्स के कारण लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं (लिम्फैडेनोपैथी) जबकि चेचक में ऐसा नहीं होता है।

मंकीपॉक्स के लिए इन्क्यूबेशन अवधि (संक्रमण से लक्षणों तक का समय) आमतौर पर 7 से 14 दिनों का होता है, लेकिन ये कभी कभी 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।

बीमारी की शुरुआत बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन, ठंड लगना और थकावट से होती है।

बुखार आने के 1 से 3 दिनों के भीतर या कभी-कभी अधिक समय में रोगी की स्किन, आमतौर पर चेहरे में एक दाना निकल आता है जो फिर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। धीरे धीरे स्किन पर दाने चकत्ते और घाव में तब्दील हो जाते हैं। ये बीमारी आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहती है।



क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि हाल के दिनों में मंकीपॉक्स से मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3 से 6 प्रतिशत रहा है।

सीडीसी का कहना है कि मंकीपॉक्स की गंभीरता किसी व्यक्ति की सेहत की स्थिति पर निर्भर करती है। इसके अलावा ये भी निर्भर करता है कि मंकीपॉक्स का कौन से वेरियंट का संक्रमण है। इस समय पश्चिम अफ्रीकी वेरियंट फैला हुआ है जो अमूमन हल्के रोग का कारण बनती है और मध्य अफ्रीकी नस्ल की तुलना में इसमें मृत्यु दर कम होती है। विशेष रूप से उन जगहों पर जहां उन्नत चिकित्सा देखभाल उपलब्ध है वहां मृत्यु दर बहुत कम होती है।

कैसे फैलती है मंकीपॉक्स बीमारी

मंकीपॉक्स वायरस का ट्रांसमिशन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी जानवर, मानव या वायरस से दूषित सामग्री के संपर्क में आता है। ये वायरस टूटी हुई त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वसन पथ, या श्लेष्मा झिल्ली (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। पशु-से-मानव में ट्रांसमिशन काटने या खरोंच, मांस काटने, शरीर के तरल पदार्थ या घाव के सीधे संपर्क के माध्यम से हो सकता है।

माना जाता है कि मानव-से-मानव में ट्रांसमिशन मुख्य रूप से छींक, खांसी, जुकाम के माध्यम से होता है। ठीक वैसे ही जैसे कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रेवल करता है। इसके अलावा शरीर के तरल पदार्थ या घाव के साथ सीधा संपर्क और दूषित कपड़ों या लिनेन के माध्यम से बीमारी फैल सकती है।

इसके अलावा ये संक्रमण यौन संबंध के जरिये तथा गर्भवती महिला से शिशु में फैल सकता है।

पुरुषों से पुरुषों में सेक्स

डब्लूएचओ के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यूरोप में हाल के कई मामले पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में हैं। अमेरिका में सीडीसी ने भी बताया है कि कुछ हालिया मामले पुरुष गुप्तांगों के आसपास घावों के साथ शुरू हुए हैं।



मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय

मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं।

- उन जानवरों के संपर्क से बचें जो वायरस को शरण दे सकते हैं। इनमें वह जानवर मुख्य रूप से हैं जो बीमार हैं या जो उन क्षेत्रों में मृत पाए गए हैं जहां मंकीपॉक्स है।

- किसी बीमार जानवर के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री के संपर्क में आने से बचें।

- संक्रमित रोगियों को अन्य लोगों से अलग करें।

- संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएं या अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें।

- संक्रमित मरीजों की देखभाल करते समय व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का प्रयोग करें।

मंकीपॉक्स का क्या है इलाज

फिलहाल, मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के लिए कोई सिद्ध, सुरक्षित उपचार नहीं है। अमेरिका में मंकीपॉक्स के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए, चेचक के टीके, एंटीवायरल और वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्युलिन (वीआईजी) का उपयोग किया जाता है। अमेरिकी सरकार का कहना है कि उसके पास स्ट्रेटेजिक नेशनल स्टॉकपाइल में पर्याप्त चेचक के टीके हैं, जो देश की पूरी आबादी का टीकाकरण कर सकते हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है कि चेचक के लिए एंटीवायरल दवाएं हैं जिनका इस्तेमाल कुछ परिस्थितियों में मंकीपॉक्स के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।

चेचक का टीका

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चेचक की वैक्सीन मंकीपॉक्स से आंशिक सुरक्षा भी देती है, इसलिए यह अभी तक मंकीपॉक्स को भी फैलने से रोक रही थी। वो वयस्क जिन्हें बचपन में बीमारी के खिलाफ टीका लगाया गया था, उनके पास अभी भी कुछ स्तर की सुरक्षा हो सकती है। लेकिन आज के युवाओं को ऐसी कोई सुरक्षा नहीं है क्योंकि चेचक का टीका लगना बरसों पहले बन्द किया जा चुका है। लेकिन मंकीपॉक्स के नए मामलों के आलोक में कई देशों ने अब चेचक के टीके लगाने का आदेश दिया है।

बेल्जियम में मंकीपॉक्स मरीजों का क्वारंटाइन अनिवार्य हुआ

मंकीपॉक्स के लिए बेल्जियम ने 21 दिन का अनिवार्य क्वारंटाइन कर दिया है। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। जो लोग वायरस से ग्रसित हैं ल उन्हें अब तीन सप्ताह के लिए अपने को स्वयं अलग करना होगा। बेल्जियम के स्वास्थ्य अधिकारियों ने देश में तीन मामलों को दर्ज करने के बाद ये आदेश जारी किया है।

बेल्जियम में ये संक्रमण, एंटवर्प शहर में एक त्योहार से जुड़े हैं। देश में डार्कलैंड्स नामक एक समलैंगिक उत्सव में शामिल रहे तीन लोग मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाए गए हैं। बेल्जियम में जारी आदेश के अनुसार, लक्षणों वाले लोगों को तब तक अलग रहने की आवश्यकता होगी जब तक कि उनके घाव कम नहीं हो जाते, जो लगभग तीन सप्ताह तक रहने की उम्मीद है। बेल्जियम के रिस्क असेसमेंट ग्रुप (आरएजी) और स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि संक्रमित लोगों को 21 दिनों के लिए अलग रहना होगा। उन्होंने कहा कि लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

डार्कलैंड्स उत्सव में के आयोजकों ने कहा है कि अन्य देशों में हाल के मामलों के बाद यह वायरस विदेश से आने वाले पर्यटकों द्वारा त्योहार में लाया गया है।

Shobhit Kalra

Shobhit Kalra

Next Story