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Pakistan News: न्यायपालिका और बार एसोसिएशन के बीच छिड़ी जंग, मुख्य न्यायाधीश बोले- 'मुझे कहने की हिम्मत किसी में नहीं है'

Pakistan News: पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने शनिवार (20 नवंबर) को इन सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि देश में न्यायिक व्यवस्था किसी भी सुरक्षा एजेंसियों ते दबाव में नहीं है।

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Newstrack NetworkPublished By Chitra Singh
Published on: 21 Nov 2021 6:09 AM GMT
Gulzar Ahmed vs Ali Ahmed Kurd
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गलज़र अहमद - अली अहमद कुर्द (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Pakistan News: पाकिस्तान न्यायपालिका (Pakistan Judiciary) और एसोसिएशन (Bar Association) के मध्य एक नई जंग छिड़ गई हैं। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद (Chief Justice Gulzar Ahmed) ने शनिवार (20 नवंबर) को इन सभी आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि देश में न्यायिक व्यवस्था किसी भी सुरक्षा एजेंसियों ते दबाव में नहीं है।

जस्टिस गुलजार अहमद लाहौर (Lahore) में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने देश के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख अली अहमद कुर्द के दिए गए भाषण का जवाब दिया। गुलजार अहमद 'मानवाधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में कोर्ट की भूमिका' विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से काम कर रही है और इस काम में किसी भी प्रकार की दखल अंदाजी नहीं की जा रही है।"

उन्होंने कुर्द के सलाव का जवाब देते हुए कहा, "मुझ पर कभी किसी संस्था ने दबाव नहीं डाला और ना ही मैंने कभी किसी संस्था की बात सुनी है। कोई मुझे अपना फैसला लिखने के बारे में मार्गदर्शन नहीं करता है। मैं अपना कोई भी फैसला किसी और के कहने पर नहीं करता हूं और न ही मुझे कुछ भी कहने की किसी को हिम्मत है।"

बता दें कि एक कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (Supreme Court Bar Association) के पूर्व अध्यक्ष अली अहमद कुर्द (Ali Ahmed Kurd) ने न्यायपालिका पर कई सवाल खड़े किए थे। उन्होंने "मानव अधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करने में न्यायपालिका की भूमिका" विषय पर प्रस्तुत करते हुए न्यायपालिका की कड़ी निंदा की थी।

अहमद कुर्द ने कहा था, "एक जनरल 22 करोड़ लोगों के देश पर हावी है। इसी जनरल ने न्यायपालिका को (रैंकिंग में) 126वें नंबर पर भेज दिया है।" इसके अलावा, कुर्द ने अपने भाषण (ali ahmed kurd speech) के दौरान कहा कि "न्यायिक प्रणाली के अंदर एक 'स्पष्ट और देखने लायक विभाजन' था । ऐसा लगता है कि राष्ट्र का बौद्धिक वर्ग समाप्त हो गया था, क्योंकि उनके काम में किसी ने भी हस्तक्षेप नहीं कियास जबकि उन्होंने गुण-दोष के आधार पर मामलों का निर्णय लिया है।" कुर्द के इस तरह के वाक्या पर शनिवार मुख्य न्यायाधिश ने अपना बयान दिया था।

Chitra Singh

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