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Russia-Ukraine War: साइबर हमले से छिन्न-भिन्न होंगे देश, रूस के निशाने पर अमेरिका भी

Russia-Ukraine War: अमेरिकी सरकार रूस से संभावित साइबर हमले की तैयारी कर रही है। पिछले दो वर्षों में अमेरिकी बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुछ सबसे बड़े साइबर हमले संदिग्ध रूसी हैकरों से जुड़े रहे हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 25 Feb 2022 12:36 PM GMT (Updated on: 25 Feb 2022 12:41 PM GMT)
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साइबर हमला (फोटो-सोशल मीडिया)

Russia-Ukraine War: अब दो देशों के बीच लड़ाई सिर्फ बंदूकों, बमों और मिसाइलों से ही नहीं लड़ी जाती हैं। अब लड़ाई का एक बहुत बड़ा हथियार इन्टरनेट यानी साइबर जगत है। साइबर हमले में अब इतना दम है कि वह किसी भी देश की बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को छिन्न-भिन्न कर सकता है, और वह भी बिना एक बूंद खून बहाए हुए।

रूस का उक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान साइबर युद्ध को भी साथ लेकर आया है। युद्ध के इस पहलू से अमेरिका तक आशंकित है। अब साइबर स्पेस में युद्ध फैलने की आशंका के लिए अमेरिकी सरकार अब हाई अलर्ट पर है। रूसी-यूक्रेन संघर्षों के कारण अगर कोई तीसरा विश्व युद्ध होता है तो वह काफी कुछ साइबर स्पेस में लड़ा जाएगा जिसकी चपेट में हर देश आ सकता है।

साइबर हमले की तैयारी

अमेरिकी सरकार रूस से संभावित साइबर हमले की तैयारी कर रही है। पिछले दो वर्षों में अमेरिकी बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर पर कुछ सबसे बड़े साइबर हमले संदिग्ध रूसी हैकरों से जुड़े रहे हैं। रूस के साथ संघर्ष की शुरुआत के बाद से यूक्रेन पहले ही कई साइबर हमलों का सामना कर चुका है।

विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन पर टारगेट किये गए साइबर हमले संभावित रूप से देश के बाहर भी प्रभाव डाल सकते हैं। यूक्रेन में काम करने वाली दुनिया भर की कंपनियों को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए क्योंकि यूक्रेनी सिस्टम से कनेक्शन अन्य उद्देश्यों के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

हाल के महीनों में अमेरिका के जो बिडेन प्रशासन ने सरकारी एजेंसियों और बड़े व्यवसायों सहित विदेशों से होने वाले हमलों से बचाने के लिए अमेरिकी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

साइबर क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश

रूस साइबर हमलों में मास्टर है। 2018 में अमेरिकी अधिकारियों ने मास्को पर अमेरिकी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों और पावर ग्रिड को हैक करने का आरोप लगाया। सीधे कंपनियों पर हमला करने के बजाय यह उनके सप्लायर्स पर किया गया था क्योंकि छोटे सप्लायर्स के पास अक्सर कम साइबर सुरक्षा होती है और उन्हें चुपके से टारगेट किया जा सकता है। हैकर्स ने 2013 में लगभग 40 मिलियन टारगेट ग्राहकों के डेटा को एक हीटिंग और एयर कंडीशनिंग कंपनी के कांट्रेक्टर के जरिये चुरा लिया था।

एक हमला कोलोनियल पाइपलाइन पर किया था जिसके चलते कंपनी को पिछले साल अपने नेटवर्क को बंद करना पड़ा था। इस हमले से पूर्वी अमेरिका ईंधन की आपूर्ति को बाधित कर दिया था। कंपनी ने कहा था कि उसने रैंसमवेयर हमले के बाद अपने सिस्टम तक पहुंच हासिल करने के लिए लगभग 5 मिलियन डॉलर का भुगतान किया।

संयुक्त राज्य सरकार ने अपनी साइबर क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन सब कुछ पकड़ना मुश्किल है। साथ ही अगर अमेरिकी साइबर योद्धा जैसे को तैसा करना शुरू करते हैं, तो यह अमेरिकी कंपनियों को फंसने के लिए छोड़ सकता है।

साइबर हमले रूस के खिलाफ भी किये जा रहे हैं। हैकर्स एनोनिमस नाम वाले एक ग्रुप ने रूस की समाचार वेबसाइट्स पर कई हमले करके उन्हें ठप कर दिया है। इस ग्रुप ने पुतिन और रूस के खिलाफ साइबर युद्ध शुरू करने का ऐलान किया है।

Vidushi Mishra

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