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Karnataka Election Result 2023: हाॅट सीटों पर दिग्गज नेताओं का हाल, BJP से कांग्रेस में आए शेट्टार पीछे तो शिवकुमार आगे

Karnataka Election Result 2023: इस बार चुनाव लड़ने वालों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई समेत कई दिग्गज मैदान में थे। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी जैसे कई दिग्गजों ने चुनाव लड़ा।

Ashish Pandey
Published on: 13 May 2023 12:47 PM GMT
Karnataka Election Result 2023: हाॅट सीटों पर दिग्गज नेताओं का हाल, BJP से कांग्रेस में आए शेट्टार पीछे तो शिवकुमार आगे
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दिग्गज नेताओं की सीटों का हाल (Image: Social Media)

Karnataka Election Result 2023: देश की नजरें कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर हैं। कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटांें पर चुनाव हुए हैं। इन सभी सीटों के शुरुआती रूझान आ चुके हैं। इन रूझानों से कर्नाटक में इस बार कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही हैं। कांग्रेस को 224 में से 115 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है तो वहीं बीजेपी 80 सीटों तो जेडीएस 16 सीटों पर अपनी बढ़त बनाए है। इन नतीजों के साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि कुल 2,615 उम्मीदवारों में किन 224 की किस्मत चमकेगी। इन सभी उम्मीदवारों के बीच कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिनकी जीत-हार पर सभी की नजरें टिकी हैं। इन दिग्गज चेहरों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी जैसे कई शामिल हैं। चुनावी परिणामों के रूझान आने के साथ ही हम यहां आपको बताएंगे कि कर्नाटक विधानसभा की हॉट सीटों पर क्या हो रहा है? यहां कौन जीत रहा है तो कौन हार रहा?

क्या हो रहा है इन दिग्गज चेहरों का?

विधानसभा सीट उम्मीदवार रुझान
शिग्गांव बसवराज बोम्मई (भाजपा) आगे
वरुणा सिद्धारमैया (कांग्रेस) आगे
कनकपुरा डीके शिवकुमार (कांग्रेस आगे
चन्नापट्टन एचडी कुमारस्वामी (जेडीएस) आगे
चिकमंगलूर सीटी रवि (भाजपा) पीछे
अथणी लक्ष्मण सावदी (कांग्रेस) आगे
हुबली-धारवाड़ सेंट्रल जगदीश शेट्टार (कांग्रेस) पीछे
सिरसी विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी (भाजपा) आगे
शिकारीपुर बीवाई विजयेंद्र (भाजपा) आगे
चित्तपुर प्रियांक खरगे (कांग्रेस) आगे
होलेनरसीपुर एचडी रवन्ना (जेडीएस) आगे


1. शिग्गांव विधानसभाः मुख्यमंत्री बोम्मई के खिलाफ यासिर और शशिधर

यह कर्नाटक की सबसे हाई प्रोफाइल सीट है। यहां से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई चुनाव लड़ रहे हैं उनके खिलाफ कांग्रेस ने यासिर अहमद खान पठान तो जेडीएस ने शशिधर चन्नबसप्पा यलीगर को टिकट दिया है। इस सीट से बोम्मई लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उनकी यह चैथी जीत होगी। उन्होंने 2008 से ही इस सीट पर अपना कब्जा जमा रखा है। आंकड़ों की मानें तोेयहां हुए पिछले 14 विधानसभा चुनावों में जेडीएस केवल एक बार ही जीत का स्वाद चख पाई है, जबकी दो बार निर्दलीय उम्मीदवार यहां से जीतने में सफल रहे हैं तो वहीं आठ बार कांग्रेस को यहां से जीत मिली है। कांग्रेस यहां आखिरी बार में 1994 में जीती थी।

2. वरुणा विधानसभा: सिद्धारमैया के खिलाफ मंत्री सोमन्ना

राज्य की वरुणा सीट हाई-प्रोफाइल सीट है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मैदान में थे। उनके खिलाफ भाजपा ने सरकार के मंत्री वी. सोमन्ना को मैदान में उतारा था। जेडीएस ने डॉ. भारती शंकर को अपना उम्मीदवार बनाया था। 2018 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ने वाले टोआडप्पा बासवराजू पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्हें वरुणा सीट पर 37,000 से ज्यादा वोट मिले थे। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। 2008 और 2013 में यहां से कांग्रेस के सिद्धारमैया जीते। 2018 में सिद्धारमैया के बेटे यतीन्द्र एस ने यहां से कांग्रेस का परचम लहराया।

3. कनकपुराः कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ भाजपा ने राजस्व मंत्री को बनाया था उम्मीदवार

कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार कनकपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। शिवकुमार के खिलाफ भाजपा ने राजस्व मंत्री आर अशोक को मैदान में उतारा तो वहीं जेडीएस ने बी नागराजू को टिकट दिया था। शिवकुमार यहां से 2008, 2013 और 2018 में भी जीत दर्ज कर चुके हैं। कनकपुरा सीट पर हुए पिछले 14 चुनावों में से छह बार कांग्रेस जीती है तो वहीं भाजपा का यहां आज तक खाता भी नहीं खुला है। एक-एक बार निर्दलीय, जेडीएस, जेडीयू और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार यहां से जीत कर विधानसभा पहुंच चुके हैं। वहीं, दो-दो बार जनता पार्टी और जनता दल के उम्मीदवार यहां से जीत का स्वाद चख चुके हैं।

4. चन्नापट्टनः भाजपा के योगेश्वर और कांग्रेस के गंगाधर से भिड़े कुमारस्वामी

इस हाई प्रोफाइल सीट से जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी मैदान में थे तो वहीं उनके खिलाफ भाजपा ने सीपी योगेश्वर और कांग्रेस ने गंगाधर एस. को टिकट दिया था। 2018 में भी कुमारस्वामी यहां से जीते थे। उन्होंने भाजपा के सीपी योगेश्वर को 21 हजार से ज्यादा वोट से हराया था। चन्नापट्टन सीट पर अब तक दो उपचुनाव समेत पिछले 16 चुनाव में छह बार कांग्रेस दो-दो बार जनता पार्टी, निर्दलीय और जेडीएस उम्मीदवार जीतने में सफल रहे हैं। जबकि, एक-एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, भाजपा और सपा को जीत मिली।

5. अथणी: भाजपा के बागी लक्ष्मण सावदी बनाम भाजपा की लड़ाई

यहां से कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। लक्ष्मण हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। लक्ष्मण के खिलाफ भाजपा ने महेश कुमाथल्ली और जेडीएस ने शशिकांत पदसालगी को मैदान में उतारा था। 2018 में भाजपा के टिकट पर लड़े सादवी को महेश कुमाथल्ली ने हराया था। तब महेश कांग्रेस उम्मीदवार थे। हालांकि, बाद में बगावत करके वह भाजपा में चले गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में महेश भाजपा के टिकट पर जीते थे। सादवी इस सीट से 2004, 2008 और 2013 में भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं।

6. हुबली-धारवाड़ सेंट्रलः भाजपा के बागी शेट्टार बनाम भाजपा के नए प्रत्याशी की लड़ाई

इस सीट से कर्नाटक के दिग्गज लिंगाायत नेता जगदीश शेट्टार कांग्रेस के टिकट पर इस बार चुनाव लड़े। कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे शेट्टार को भाजपा से टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। जगदीश शेट्टार हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से छह बार के विधायक हैं। बीजेपी ने इस सीट से महेश तेंगिनाकाई को अपना उम्मीदवार बनाया है।

7. सिरसी: विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस के भीमन्ना भिड़े

इस सीट से विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी चुनाव लड़े। हेगड़े को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। हेगड़े के खिलाफ कांग्रेस ने भीमन्ना नाईक को टिकट दिया है। कागेरी यहां जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। इस सीट पर पिछले पांच चुनाव में भाजपा को जीत मिली है। कांग्रेस को यहां 1989 में आखिरी बार जीत मिली थी।

8. शिकारीपुरः येदियुरप्पा के बेटे ने लड़ा चुनाव

इस सीट से भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। विजयेंद्र के खिलाफ कांग्रेस ने जीबी मलातेश को उम्मीदवार बनाया था। इस बार येदियुरप्पा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। येदियुरप्पा यहां से आठ बार विधायक रहे हैं। 1983 से ही यह सीट येदियुरप्पा का गढ़ रही है। तीस साल में उन्हें केवल एक बार 1999 में हार का सामना करना पड़ा था। तब उन्हें कांग्रेस के महलिनगप्पा ने मात दी थी।

9. चित्तपुरः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे हैं चुनावी मैेदान में

यहां से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे मैदान में हैं। प्रियांक के खिलाफ भाजपा ने मणिकांता राठौड़ को उतारा था। 2018 में इस सीट से प्रियांक खरगे ने जीत हासिल की थी। प्रियांक को 69700 वोट मिले थे। 2013 में भी प्रियांक यहां से जीते थे। 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रियांक के पिता मल्लिकार्जुन खरगे यहां से विधायक बने थे। हालांकि, 2009 में लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी। इसके बाद हुए उप चुनाव में प्रियांक को भाजपा के वाल्मिकी नायक ने हरा दिया था।

10. होलेनरसीपुरः यहां से पूर्व पीएम देवेगौड़ा के बड़े बेटे मैदान में

यहां से जेडीएस ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बड़े बेटे एचडी रवन्ना को मैदान में उतारा था। 2018 में भी इस सीट से रवन्ना ने जीत हासिल की थी। वहीं भाजपा ने देवराजे गौड़ा और कांग्रेस ने श्रेयस एम. पटेल को उम्मीदवार बनाया था। यह सीट देवगौड़ा परिवार का गढ़ है। रवन्ना के पिता एचडी देवगौड़ा यहां से 1962 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते थे। इसके बाद लगातार छह बार एचडी देवगौड़ा यहां से जीते। 1989 में देवगौड़ा को कांग्रेस के जी पुत्तस्वामी गौड़ा ने हरा दिया था। 1994 में यहां से देवगौड़ा के बेटे एचडी रवन्ना मैदान में उतरे। उन्होंने पुत्तस्वामी गौड़ा को हराकर पिता की हार का बदला लिया। हालांकि, 1999 में रवन्ना को कांग्रेस के ए डोडेगौड़ा ने हरा दिया। इसके बाद 2004, 2009, 2013 और 2018 में रवन्ना ने होलेनरसीपुर पर कब्जा बरकरार रखा।

11. सोरब सीट: यहां से पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा के दो बेटे

ये दोनों अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। मधु बंगारप्पा कांग्रेस के टिकट पर जबकि कुमार बंगारप्पा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में कुमार ने मधु को 3,286 मतों से हराया था। कुमार 2018 के चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे, जबकि सोरब के मौजूदा विधायक मधु जेडीएस से फिर से चुनाव लड़ रहे थे। मधु 2021 में कांग्रेस में शामिल हो गए। ये दोनों भाई 2004 से एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते आ रहे हैं तब उनके पिता एस बंगारप्पा भी जीवित थे। कुमार ने चार बार 1996 (उपचुनाव), 1999, 2004 और 2018 में सोरब सीट का प्रतिनिधित्व किया है। वह मंत्री के रूप में भी रह चुके हैं। 2013 में मधु विजयी रहे थे। दोनों भाई पूर्व में कन्नड़ फिल्म उद्योग से भी जुड़े रहे हैं। कुमार ने एक अभिनेता के रूप में काम किया था जबकि मधु एक अभिनेता और निर्माता के रूप में।

12. चिकमंगलूर सीट: चिकमंगलूर विधानसभा सीट

इस सीट पर 2004 से भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व पर्यटन मंत्री सीटी रवि का वर्चस्व है। बीजेपी ने इस बार फिर सीटी रवि पर दांव लगाते हुए 5वीं बार चुनावी दंगल में उतारा है।
यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है। सीटी रवि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं और उनके नाम की चर्चा अगले मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में भी सामने आई थी। 2018 के चुनावों में भाजपा के सीटी रवि को 70,863 वोट हासिल हुए थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के बीएल शंकर को मात्र 44,549 मत ही मिले थे। जबकि जेडीएस के हरीश बीएच को मात्र 38,317 वोट ही मिले थे। 2004, 2008 और 2013 के चुनाव भी सीटी रवि ने ही जीते थे।

Ashish Pandey

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