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यूनिसेफ का दावा: 4 में से 3 बच्चों की पढ़ाई चौपट, ऑनलाइन पढ़ाई नहीं विकल्प

कोरोना से दुनिया भर के कई लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है, किसी ने अपनों को खोया, तो किसी ने अपनी नौकरी को. वहीं यूनिसेफ के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि COVID-19 से भारत के 1.5 मिलियन स्कूल के बच्चों का भविष्य प्रभावित हुआ हैं.

APOORWA CHANDEL
Published on: 4 March 2021 10:49 AM GMT
यूनिसेफ का दावा: 4 में से 3 बच्चों की पढ़ाई चौपट, ऑनलाइन पढ़ाई नहीं विकल्प
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यूनिसेफ का दावा: 4 में से 3 बच्चों की पढ़ाई चौपट, ऑनलाइन पढ़ाई नहीं विकल्प

नई दिल्ली: कोरोना से दुनिया भर के कई लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है, किसी ने अपनों को खोया, तो किसी ने अपनी नौकरी को. वहीं यूनिसेफ के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि COVID-19 से भारत के 1.5 मिलियन स्कूल के बच्चों का भविष्य प्रभावित हुआ हैं.

क्या कहता है यूनिसेफ का अध्ययन

यूनिसेफ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ऑनलाइन पढ़ाई सभी के लिए विकल्प नहीं है. क्योंकि भारत में सिर्फ 5 में से 1 के पास ही डिजिटल डिवाइस या इंटरनेट है. 2020 से चली आ रही इस महामारी की वजह से किए गए लॉकडाउन से विश्व भर में 16.8 से अधिक बच्चों के स्कूल कम से कम एक साल से पूरी तरह से बंद हो गए. जिसकी वजह से भारत के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के पढ़ने वाले बच्चों में से 24.7 करोड़ बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है.

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COVID-19 से जिंदगी अस्त-व्यस्त

कोरोना की वजह से लाखों लोगों की जान चली गई. वहीं लॉकडाउन ने लाखों बच्चों की दिनचर्चा को भी बाधित किया. बिना स्कूल के बच्चे पढ़ाई में मन नहीं लगाते, और जिसकी वजह से बच्चे कमजोर हो रहें है. लॉकडाउन के बाद भारत में अब तक केवल आठ राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों ने ही कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों के लिए स्कूल खोले है.11 राज्यों ने 6 से 12 तक की कक्षाएं फिर से खोल दी है. वहीं 15 राज्यों ने केवल 9 से 12 तक की ही कक्षाएं खोली हैं. इसके साथ ही तीन राज्यों में ही आंगनवाड़ी केंद्रों को फिर से खोल दिया है. जहां पर छोटे बच्चे बहुत कम हो जाते है.

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ऑनलाइन पढ़ाई नहीं विकल्प

भारत में कई ऐसे बच्चें है कि जिनके घर में या पास में इंटरनेट सुविधा ही नहीं है. जिस कारण बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा के अवसरों का उपयोग करना सक्षम नहीं हो पाया. बच्चों का मानसिक विकास बहुत ही महत्वपूर्ण है.जिसके लिए उन्हें माता-पिता, शिक्षक और देखभाल करने वालों का समर्थन बहुत आवश्यक हो जाता है.

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