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150 कंडोम का तोहफा: महिला ने जज को भेजा, वजह कर देगी आपको हैरान

बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग के कपड़े उतारे बिना उसको छूना यौन शोषण नहीं माना जा सकता। इसको पोक्सो एक्ट  के तहत यौन शोषण के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

suman
Published on: 18 Feb 2021 11:35 AM GMT
150 कंडोम का तोहफा: महिला ने जज को भेजा, वजह कर देगी आपको हैरान
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हाई कोर्ट की जज को गुजरात की महिला ने भेजे 150 कंडोम, हैरान कर देगी वजह

अहमदाबाद : बॉम्बे हाई कोर्ट की जज पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला ने नाबालिक लड़की से यौन शोषण के मामले पर एक अजीब फैसला सुनाया था। उन्होंने अपने फैसले में नाबालिग लड़की को कपड़े के ऊपर से छूने को यौन शोषण के दायरे से बाहर रखा था। जज पुष्पा अपने इस फैसले का विरोध हुआ था।

फैसले नाराज

गुजरात के अहमदाबाद में रहने वाली एक महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट की जज पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला को 150 कंडोम भेजे। बताया जा रहा है कि ये महिला नाबालिग के साथ यौन शोषण के मामले पर जज के फैसले से नाराज है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के विरोध

बॉम्बे हाई कोर्ट की जज को 150 कंडोम भेजने वाली महिला का नाम देवश्री त्रिवेदी है। देवश्री ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के विरोध में 12 अलग-अलग जगहों पर कंडोम भेजे हैं। इनमें जज पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला का चैंबर भी शामिल है।

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यौन शोषण से पीड़ित नाबालिग

देवश्री ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि मैं इस तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं सकती हूं। जस्टिस गनेडीवाला के फैसले की वजह से यौन शोषण से पीड़ित नाबालिग बच्चियों को इंसाफ नहीं मिलेगा। मैं मांग करती हूं कि जस्टिस गनेडीवाला को सस्पेंड किया जाए।

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बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने पिछले महीने जनवरी में नाबालिग से यौन शोषण के मामले पर फैसला दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी नाबालिग के कपड़े उतारे बिना उसको छूना यौन शोषण नहीं माना जा सकता। इसको पोक्सो एक्ट के तहत यौन शोषण के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता।

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नाबालिग बच्ची का हाथ पकड़ना

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के रजिस्ट्री ऑफिस ने कहा है कि उन्हें कंडोम के पैकेट नहीं मिले हैं। नागपुर बार एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील श्रीरंग भंडारकर ने कहा कि ऐसा करना कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट है। हम देवश्री त्रिवेदी के खिलाफ एक्शन की मांग करते हैं।

इसके अलावा एक दूसरे मामले में कहा गया था कि नाबालिक बच्ची का हाथ पकड़ना और पेंट की ज़िप खोलना भी पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता। इस मामले में बच्ची की मां का कहना था कि उसने एक व्यक्ति को देखा तो उसने मेरी बच्ची का हाथ पकड़ा हुआ था साथ ही अपनी पेंट की जिप खोली हुई थी।

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