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दिल को छू लेगी इन कवियों की कविताएं, इनके बिना अधूरा रह जाएगा वैलेंटाइन डे

प्रेम में कविताओं का बड़ा महत्व है। लिखने वाले  तो प्रकृति और क्रांति तक भी पहुंचे, पर ज्यादातर काव्यकारों में लिखने  का आगमन प्रेम से ही हुआ। साहित्य का सबसे प्रिय विषय प्रेम ही है।

suman
Published on: 14 Feb 2021 2:11 AM GMT
दिल को छू लेगी इन कवियों की कविताएं, इनके बिना अधूरा रह जाएगा वैलेंटाइन डे
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नीरज, भारतेंदु, साहिर लुटधियानवी, मैथलीशरण गुप्त,अमृताप्रीतम  हरिवंशराय बच्चन और अब कुमार विश्वास सबने अपने काव्य में प्रेम रस को महत्ता दी है। आज वैलेंटाइन पर इन कवियों की कुछ श्रेष्ठ प्रेम कविताएं बता रहे हैं जिसे पढ़कर आप प्रेम में सराबोर हो जाएंगे।

लखनऊ: हम सारे वादों को निभाएंगे, जिंदगी को सफल बनाएंगे,तुम जो संग बने रहो,तुम्हारे कारण हर चाहत से इज़हार है मेरा,तुम्हारे कारण हर जीत से प्यार है मेरा,मेरा सीरत ये बढ़ता रहेगा,तुम जो संग बने रहो।……किसी शायर बहुत खूब कहा है। आज वैलेंटाइन पर ये पंक्तियां सटीक बैठती है। कि प्यार साथी का बना रहा तो हर वैलेंटाइन संग मनाएंगे।

देखा और पढ़ा है कविताओं में प्रेम का और प्रेम में कविताओं का बड़ा महत्व है। लिखने वाले तो प्रकृति और क्रांति तक भी पहुंचे, पर ज्यादातर काव्यकारों में लिखने का आगमन प्रेम में ही हुआ। जब हमने भी जो पहली कविता लिखी, वह आधी-अधूरी प्रेम प्रेम की कविता ही थी। साहित्य का सबसे प्रिय विषय प्रेम ही है।

हर युग में हुए प्रेम के कवि

वैसे तो हर युग में प्रेम पर कुछ न कुछ लिखा गया है। हर युग में प्रेम के कवि हुए है। नीरज, भारतेंदु, साहिर लुटधियानवी, मैथलीशरण गुप्त,अमृताप्रीतम हरिवंशराय बच्चन और अब कुमार विश्वास सबने अपने काव्य में प्रेम रस को महत्ता दी है। आज वैलेंटाइन पर इन कवियों की कुछ श्रेष्ठ प्रेम कविताएं बता रहे हैं जिसे पढ़कर आप प्रेम में सराबोर हो जाएंगे।

हिंदी काव्य जगत में और हिंदी फिल्मी दुनिया में गोपाल दास नीरज ने प्रेम के काव्य का सार सिर्फ प्रेम है। उन्होंने प्रेम पर सिर्फ कविता ही नहीं की बल्कि अपनी कविता में लिखे प्रेम को एक विचार मानकर जिया भी। तभी तो फक्कड़ नीरज को प्रेम के मस्त गगन का सबसे चमकीला ध्रुवतारा कहा जाता है।पढ़ि प्रेम से छलकती हुई नीरज की ये कविताएं...

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मीलों जहां न पता खुशी का...नीरज

मैं पीड़ा का राजकुंवर हूं तुम शहज़ादी रूप नगर की

हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहां पर होगा ?

मीलों जहां न पता खुशी का

मैं उस आंगन का इकलौता,

तुम उस घर की कली जहां नित

होंठ करें गीतों का न्योता,

मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी

मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहां पर होगा ?

मैं पीड़ा का...

poet

प्यार सिर्फ़ वह डोर कि जिस पर...

हर घर-आंगन रंग मंच है

और हर एक सांस कठपुतली

प्यार सिर्फ़ वह डोर कि जिस पर

नाचे बादल, नाचे बिजली,

तुम चाहे विश्वास न लाओ लेकिन मैं तो यही कहूँगा

प्यार न होता धरती पर तो सारा जग बंजारा होता।

प्यार अगर...

अमीर खुसरो की प्रेम कविताएं-

खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग

तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग

खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार

जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार

आ साजन मोरे नयनन में, सो पलक ढाप तोहे दूँ

न मैं देखूँ औरन को, न तोहे देखन दूँ

अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई

जब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई

खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय

वेद, कुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके

प्रेम भटी का मदवा पिलाइके

मतवारी कर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

गोरी गोरी बईयाँ, हरी हरी चूड़ियाँ

बईयाँ पकड़ धर लीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रजवा

अपनी सी रंग दीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

खुसरो निजाम के बल बल जाए

मोहे सुहागन कीन्ही रे मोसे नैना मिलाइके

poet

भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रेम कविता

गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में

बुझे दिल की लगी भी तो ऐ यार होली में

नहीं ये है गुलाले-सुर्ख उड़ता हर जगह प्यारे

ये आशिक की है उमड़ी आहें आतिशबार होली में

गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझको भी जमाने दो

मनाने दो मुझे भी जानेमन त्योहार होली में

है रंगत जाफ़रानी रुख अबीरी कुमकुम कुछ है

बने हो ख़ुद ही होली तुम ऐ दिलदार होली में

रस गर जामे-मय गैरों को देते हो तो मुझको भी

नशीली आँख दिखाकर करो सरशार होली

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मैथिली शरण गुप्त की कविता

दोनों ओर प्रेम पलता है

सखि, पतंग भी जलता है हा! दीपक भी जलता है!

सीस हिलाकर दीपक कहता

‘बन्धु वृथा ही तू क्यों दहता?’

पर पतंग पड़ कर ही रहता

कितनी विह्वलता है

दोनों ओर प्रेम पलता है

poet

हरिवंश राय बच्चन का ‘आदर्श प्रेम’

प्यार किसी को करना लेकिन कह कर उसे बताना क्या

अपने को अर्पण करना पर और को अपनाना क्या

गुण का ग्राहक बनना लेकिन गा कर उसे सुनाना क्या

मन के कल्पित भावों से औरों को भ्रम में लाना क्या

ले लेना सुगंध सुमनों की तोड उन्हें मुरझाना क्या

प्रेम हार पहनाना लेकिन प्रेम पाश फैलाना क्या

त्याग अंक में पले प्रेम शिशु उनमें स्वार्थ बताना क्या

दे कर हृदय हृदय पाने की आशा व्यर्थ लगाना क्या

प्रेम की बात हो अमृता और आज में कुमार विश्वास को याद किए बिना प्रेम और कविता का यह किस्सा अधूरा ही रह जाएगा।

अमृता प्रीतम अपनी कविता में प्रेमी से फिर मिलने का वादा करती है...

मैं तुझे फिर मिलूँगी

कहाँ कैसे पता नहीं

शायद तेरे कल्पनाओं की प्रेरणा बन

तेरे केनवास पर उतरुँगी

या तेरे केनवास पर एक रहस्यमयी लकीर बन

ख़ामोश तुझे देखती रहूँगी

मैं तुझे फिर मिलूँगी....

मैं पानी की बूंदें तेरे बदन पर मलूँगी

और एक शीतल अहसास बन कर

poet

तेरे सीने से लगूँगी

मैं और तो कुछ नहीं जानती

पर इतना जानती हूँ

कि वक्त जो भी करेगा

यह जनम मेरे साथ चलेगा

यह जिस्म ख़त्म होता है

तो सब कुछ ख़त्म हो जाता है

पर यादों के धागे

कायनात के लम्हों की तरह होते हैं

मैं उन लम्हों को चुनूँगी

उन धागों को समेट लूंगी

मैं तुझे फिर मिलूँगी कहाँ कैसे पता नहीं

मैं तुझे फिर मिलूँगी!!

कुमार विश्वास

इनकी लिखी पंक्तियां कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है....युवा दिलों में रोमांस पैदा करने के लिए काफी है।

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है !

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !

कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !

जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता !

यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता !!

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !

जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!

हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!

मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

poet

अपना दिल पेश करूं, अपनी वफा पेश करूं कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करुं

जो तेरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं क्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करुं

साहिर लुधियानवी की कहीं ये पंक्तियां एक बेचैन आशिक की ईमानदारी का कलाम हैं। वो अपनी माशूक को कोई तोहफा पेश करना चाहता है, पर उलझन में है कि ऐसा क्या दे जो उसे पसंद आए। प्रेम में पड़े लोगों के सामने कभी न कभी तो ऐसा वाकया जरूर पेश आता है।लेकिन अगर एक प्रेमी एक शायर भी हो तो इस मुसीबत का हल जरा आसान हो जाता है। शायर या कवि की कलम में इतनी ताकत होती कि वो पूरी कायनात बना सकता है, फिर एक तोहफे की क्या हस्ती है। कहते हैं कि अगर किसी शायर को आप से मोहब्बत हो जाए तो आप कभी मर नहीं सकते।

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