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फिल्मकार कमाल अमरोही दे बैठे थे मीना कुमारी को दिल, लाहौर से था गहरा नाता

हिंदी सिनेमा के मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही को ना केवल फिल्मों में दिलचस्पी थी बल्कि वह एक उर्दू और हिंदी कवि भी थे। कमाल अमरोही ने बेमिसाल हिंदी फिल्मों में महल (1949),पाकीजा (1972) और रजिया सुल्तान (1983) शामिल हैं।

Monika
Published on: 11 Feb 2021 7:21 AM GMT
फिल्मकार कमाल अमरोही दे बैठे थे मीना कुमारी को दिल, लाहौर से था गहरा नाता
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फिल्मकार कमाल अमरोही दे बैठे थे मीना कुमारी को दिल, लाहौर से है गहरा नाता

मुंबई: हिंदी सिनेमा के मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही को ना केवल फिल्मों में दिलचस्पी थी बल्कि वह एक उर्दू और हिंदी कवि भी थे। कमाल अमरोही ने बेमिसाल हिंदी फिल्मों में महल (1949),पाकीजा (1972) और रजिया सुल्तान (1983) शामिल हैं। उन्होंने 1953 में कमल पिक्चर्स और 1958 में बॉम्बे में कमालिस्तान स्टूडियो की स्थापना की। आज 11 फ़रवरी के दिन वह इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। उनके पुण्यतिथि पर आइए जानतें हैं उनसे जुड़ी कई रोचक किस्से जिसे आप ज़रूर सुनना चाहेंगे।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ जन्म

कमाल अमरोही का जन्म 17 जनवरी 1918 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा शहर में हुआ। कमाल बचपन से ही बहुत शरारती थे और उनका पढ़ाई लिखाई में भी बहुत मन लगता था। पढ़ाई के लिए तो उन्होंने अपना शहर अमरोहा छोड़ दिया और लाहौर चले गए। कहा जाता है कि वह पढ़ाई के लिए लाहौर नहीं गए थे, बल्कि वह घर से नाराज होकर भाग गए थे।

घर से भागे थे कमाल

दरअसल, कमाल अमरोही की बहन की शादी थी और शादी में कमाल शरारतें कर रहे थे। इससे कमाल के बड़े भाई काफी नाराज हुए और उन्होंने एक थप्पड़ कमाल के जड़ दिया। सबके सामने थप्पड़ पड़ने के बाद उन्हें नीचा महसूस होने लगा। जिसके चलते तीन दिनों तक कमल ने कुछ भी नहीं खाया। और चौथे दिन अपनी बहन का चांदी का एक कड़ा लेकर लाहौर भाग गए।

पंजाब यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे

घर से भाग कर वह स्कूल में जा कर बैठ गए। और यही से उनकी पढाई शुरू हो गई. कमाल अमरोही पढ़ने लिखने में बहुत होशियार थे। उनकी पढ़ाई लिखाई इसलिए भी बहुत अच्छे से हो गई क्योंकि उनके ऊपर स्कूल के प्रधानाचार्य दंपत्ति का हाथ था। पढ़ने में कमाल ने कमाल ही कर दिया क्योंकि वह पंजाब यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे। इसी दौरान कमाल को शेरो शायरी पढ़ने और लिखने का शौक भी लग गया था। उनकी लिखी शायरियां और कहानियां अक्सर अखबारों में छपा करती थीं।

फिल्मों में बनाया करियर

ऐसी ही एल सहगल ने कमाल अमरोही के हुनर को पहचान गए और उन्होंने कमाल को मुंबई लाने का फैसला कर लिया। जहां उनकी मुलाक़ात महान फिल्मकार सोहराब मोदी से हुई। उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी मिनर्वा मूवीटोन फिल्म कंपनी के साथ एक लेखक के तौर पर जुड़ने का मौका दिया। यहां से कमाल ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कर दी। उन्होंने सोहराब मोदी के लिए 'जेलर', 'पुकार', 'भरोसा' जैसी फिल्मों की कहानी और पटकथा लिखी।

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मीना कुमारी से हुआ प्यार

अपनी पहली फिल्म खत्म करने के बाद कमाल अभिनेत्री मीना कुमारी पर फिदा हो गए थे और उनको लेकर एक फिल्म बनाना चाहते थे। फिल्म का नाम रखा 'अनारकली'। बदकिस्मती से उस फिल्म को शुरू करने से पहले ही मीना कुमारी के साथ एक दुर्घटना हो गई । जिसके चलते वह फिल्म ना बन सकी। वह फिल्म तो न बना सके लेकिन उन्होंने मीना कुमारी को अपना जरूर बना लिया।

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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