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पलायन की वजह से यहां खाली हो गए 1200 गांव, अब सरकार करने जा रही ये बड़ा काम

भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत के खूंट गांव और सुमित्रानंदन पंत के कौशानी गांव में पर्यटकों को लुभाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि यहां आने वाले लोग पर्यटन इतिहास को जाने और पारंपरिक घरों में रुकें।

Newstrack
Published on: 5 Dec 2020 10:04 AM GMT
पलायन की वजह से यहां खाली हो गए 1200 गांव, अब सरकार करने जा रही ये बड़ा काम
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उतराखंड को करीब से जानने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक पहाड़ के गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खाली हो रहे हैं। लोग रोजगार की तलाश में गांव छोड़कर जा रहे हैं।

देहरादून: उत्तराखण्ड के लिए पलायन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। पलायन की वजह से गांव-के-गांव तेजी से खाली हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में लोगों के पलायन की वजह से 1200 गांव और अकेले अल्मोड़ा में 274 गांव खाली हो चुके हैं। ऐसे गांवों को पहाड़ में भुतहा गांव की संज्ञा दी गई है।

जिसके बाद से अब यहां पर पर्यटकों को लुभाने की योजना बनाई जा रही है, जिससे आने वाले लोग पर्यटन इतिहास को जाने और पारंपरिक घरों में रुकें।

इस काम की जिम्मेदारी जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान को सौंपी गई है। जिसके बाद से अब संस्थान इन खाली गांवों के पारम्परिक घरों को पर्यटन की संभावना तलाशने में जुटा है।

Utrakhand Village पलायन की वजह से यहां खाली हो गए 1200 गांव, अब सरकार करने जा रही ये बड़ा काम (फोटो:सोशल मीडिया)

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गोविन्द बल्लभ पंत और सुमित्रानंदन पंत के गांवों में पर्यटकों को लुभाने की योजना

भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत के खूंट गांव और सुमित्रानंदन पंत के कौशानी गांव में पर्यटकों को लुभाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि यहां आने वाले लोग पर्यटन इतिहास को जाने और पारंपरिक घरों में रुकें।

ये भी पता चला है कि राष्ट्रीय हिमालय अध्ययन मिशन के तहत संस्थान के वैज्ञानिक लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रोजेक्ट चला रहे हैं, ताकि लोगों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार मिल सके। उन्हें अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए गांव छोड़कर न जाना पड़े।

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Utrakhand Village पलायन की वजह से यहां खाली हो गए 1200 गांव, अब सरकार करने जा रही ये बड़ा काम (फोटो:सोशल मीडिया)

मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खाली हो रहे गांव

उतराखंड को करीब से जानने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक पहाड़ के गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव में खाली हो रहे हैं। यदि इन खाली गांवों के पारम्परिक भवनों को पर्यटन के लिए विकसित किये जाय तो लोगों को अपने ही पैतृक गांवों में ही रोजगार मिलेगा।

जिससे रोजगार के लिए पहाड़ से पलायन कम होगा और पर्यटकों को कुमाऊंनी संस्कृति देखने को मिलेगी। इससे पलायन को रोकने में काफी मदद मिलेगी। अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो और भी कई गांव खाली हो जायेंगे।

पलायन की समस्या को दूर करने के लिए सरकार तेजी से कर रही काम

बताते चलें कि एक मई को उतराखंड में ऐसी खबर सामने आई थी कि यहां पर अब पलायन की समस्या का जल्द इलाज हो सकेगा। इसी कड़ी में पांच महीने के भीतर पलायन आयोग ने एक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमन्त्री को सौंपी गई है। इस रिपोर्ट में ये बताया गया है कि लगभग एक हजार गांव खाली हो गए हैं।

लेकिन कई गांव ऐसे भी हैं जहां लोग वापस आकर रहने लगे हैं। ऐसी भी चर्चा है कि कि सरकार जल्द ही ये रिपोर्ट सार्वजनिक कर सकती है। इस पर विचार –विर्मश चल रहा है।

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