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केजरीवाल सरकार को झटका: NCT एक्ट लोकसभा से पास, राज्यपाल की बढ़ेगी शक्ति

गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि इस एक्ट को राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया है, बल्कि इसे तकनीकी कारणों से लाया गया है ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से इस विधेयक को पास कर दिया। 

Shreya
Published on: 22 March 2021 1:45 PM GMT
केजरीवाल सरकार को झटका: NCT एक्ट लोकसभा से पास, राज्यपाल की बढ़ेगी शक्ति
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केजरीवाल सरकार को झटका: NCT एक्ट लोकसभा से पास, राज्यपाल की बढ़ेगी शक्ति

नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल, उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने वाला विधेयक लोकसभा में पास हो गया है। लोकसभा ने राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक 2021 को सोमवार को मंजूरी दे दी है। एस एक्ट में राजधानी के LG की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है।

केजरीवाल सरकार इस एक्ट के खिलाफ

आपको बता दें कि एनसीटी एक्ट को लेकर केजरीवाल सरकार लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर थी और इसे असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक करार दिया था। यहां तक कि सीएम केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एनसीटी एक्ट के संशोधित बिल के सदन में पेश होने पर नाराजगी भी जताई थी, लेकिन अब ये विधेयक लोकसभा ने पास कर दिया है।

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गृह राज्य मंत्री ने कही ये बात

वहीं, निचले सदम में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि संविधान के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा से युक्त सीमित अधिकारों वाला एक केंद्रशासित राज्य है। हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह कहा है कि दिल्ली केंद्रशासित राज्य है। सभी संशोधन न्यायालय के निर्णय के अनुरूप हैं।

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loksabha (फोटो- LSTV)

ध्वनिमत से इस विधेयक को मिली मंजूरी

उन्होंने आगे कहा कि कुछ स्पष्टताओं के लिए यह विधेयक लाया गया है जिससे दिल्ली के लोगों को फायदा होगा और पारदर्शिता आयेगी। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया है कि इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं लाया गया है, बल्कि इसे तकनीकी कारणों से लाया गया है ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से इस विधेयक को पास कर दिया।

क्या है इस बिल में, जिसके चलते हुआ विवाद?

इस बिल के तहत दिल्ली के LG को अतिरिक्त शक्तियां मिलेंगी।

केंद्र के एनसीटी बिल के तहत दिल्ली सरकार को अपने फैसले लागू करने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।

बिल में जो संशोधन किए गए, उसके मुताबिक दिल्ली सरकार को विधायिका से जुड़े फैसलों पर LG से 15 दिन पहले और प्रशासनिक फैसलों पर करीब 7 दिन पहले मंजूरी लेनी होगी।

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