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Karnataka Election Result 2023: कर्नाटक में भाजपा को ये गलतियां पड़ी बहुत भारी और गंवानी पड़ गई सत्ता

Karnataka Election Result 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ताधारी बीजेपी को करारी शिकस्त देकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। कर्नाटक चुनाव में आखिर बीजेपी क्यों हारी? इस चुनाव में बीजेपी की हार के ये रहे प्रमुख कारण।

Ashish Pandey
Published on: 13 May 2023 3:09 PM GMT
Karnataka Election Result 2023: कर्नाटक में भाजपा को ये गलतियां पड़ी बहुत भारी और गंवानी पड़ गई सत्ता
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Image: Social Media

Karnataka Election Result 2023: शनिवार का दिन कांग्रेस का रहा। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों में कांग्रेस को 137 सीटें मिलती दिख रही हैं। कांग्रेस सत्ताधारी बीजेपी को करारी मात देकर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आती दिख रही है। वहीं बीजेपी 80 सीटों के नीचे सिमटती हुई दिख रही है। कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ ही कर्नाटक में हार और जीत के कारणों को लेकर भी अब चर्चा भी शुरू हो गई है। कर्नाटक में बीजेपी की हार के पीछे कई कारण हैं, उनमें एक कारण वहां पर पार्टी के पास कोई मजबूत चेहरे का न होना और दूसरा सियासी समीकरण साधने में नाकामी बड़ी वजहें रही हैं।
आइए यहां जानते हैं बीजेपी की हार के वह कारण जिससे पार्टी को कर्नाटक में सत्ता गवानी पड़ी-

1. राज्य में पार्टी के पास मजबूत चेहरा न होना

कर्नाटक में बीजेपी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण रहा यहां पर पार्टी की ओर से किसी मजबूत चेहरे का न होना। बीजेपी ने येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री तो बना दिया, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए भी बोम्मई का कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। वहीं, कांग्रेस के पास दो दिग्गज चेहरे थे। एक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और दूसरा सिद्धारमैया। इन दोनों के आगे बोम्मई नहीं टिक पाए और बीजेपी को बोम्मई को आगे कर चुनाव लड़ना भारी पड़ गया और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

2- ले डूबा भ्रष्टाचार का मुद्दा

भ्रष्टाचार बीजेपी की हार के पीछे बड़ा कारण रहा। भ्रष्टाचार का मुद्दा कांग्रेस के लिए बडे़ हथियार का काम किया और कांग्रेस जनता को इस मुद्दे पर समझाने में कामयाब रही। कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ शुरू से ही ‘40 फीसदी पे-सीएम करप्शन‘ का एजेंडा सेट किया और ये धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बनता गया। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही एस ईश्वरप्पा को मंत्री पद गंवाना पड़ा तो एक बीजेपी विधायक को जेल भी जाना पड़ा। बीजेपी के लिए यह मुद्दा चुनाव में भी गले की फांस बना रहा और पार्टी इसकी काट नहीं खोज पाई और नतीजा यह रहा कि आज बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।

3-बीजेपी नहीं साध पाई सियासी समीकरण

सियासी समीकरण बीजेपी के लिए काफी भारी रहा। बीजेपी राजनीतिक समीकरण को साधने में पूरी तरह से नाकाम रही। बीजेपी न अपने कोर वोट बैंक लिंगायत समुदाय को अपने साथ जोड़े रख पाई और ना ही दलित, आदिवासी, ओबीसी और वोक्कालिंगा समुदाय को ही अपने साथ लाने में सफल हो सकी और कांग्रेस इस मामले में बीजेपी से आगे निकल गई। कांग्रेस मुस्लिमों से लेकर दलित और ओबीसी को मजबूती से जोड़े रखने के साथ-साथ लिंगायत समुदाय के वोटबैंक में भी सेंधमारी करने में सफल रही और इसी का नतीजा रहा की आज कर्नाटक में कांग्रेस बनाने में सफल होने जा रही है।

4- नहीं चल पाया धु्रवीकरण का दांव

कर्नाटक में भाजपा का ध्रुवीकरण का कार्ड नहीं चल पाया। राज्य में एक साल से बीजेपी के नेता हलाला, हिजाब से लेकर अजान तक के मुद्दे उठाते रहे। यही नहीं ऐन चुनाव के वक्त भी बजरंगबली की भी एंट्री हो गई लेकिन धार्मिक ध्रुवीकरण की ये कोशिशें बीजेपी के काम नहीं आईं। कांग्रेस ने अपने घोषण पत्र में बजरंग दल को बैन करने का वादा किया तो बीजेपी ने बजरंग दल को सीधे बजरंग बली से जोड़ दिया और पूरा मुद्दा भगवान के अपमान का बना दिया। बीजेपी ने जमकर हिंदुत्व का कार्ड खेला लेकिन यह दांव भी बीजेपी के काम नहीं आ सका।

5- महंगा पड़ा दिग्गज नेताओं को साइड लाइन करना

बीजेपी ने जिस तरह से अपने दिग्गज नेताओं को साइड लाइन किया उसका असर भी विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। जिस कर्नाटक में बीजेपी को खड़ा करने में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अहम भूमिका निभाई थी उन्हीं को पार्टी ने साइड लाइन कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का बीजेपी ने टिकट काटा तो दोनों ही कांग्रेस का हाथ थाम लिए और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए। येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी ये तीनों ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं जिन्हें नजर अंदाज करना बीजेपी को काफी भारी पड़ गया।

6- सत्ता विरोधी लहर की नहीं निकाल पाए काट

कर्नाटक में बीजेपी की हार का एक कारण सत्ता विरोधी लहर भी रही। बीजेपी अपने खिलाफ चल रही इस लहर का काट नहीं खोज पाई। बीजेपी के सत्ता में रहने के कारण उसके खिलाफ लोगों में भारी नाराजगी थी। वह लोगों को समझाने में कामयाब नहीं रह पाई। अपने खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को निपटाने में बीजेपी असफल रही। अगर बीजेपी इन कारणों पर समय रहते ध्यान देती और इस पर अमल करती तो हो सकता था कि आज बीजेपी दूबारा कर्नाटक में सरकार बनाने में कामयाब हो जाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यही कारण रहा कि भाजपा आज कर्नाटक में सत्ता से दूर रह गई।

Ashish Pandey

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