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निर्भया के दोषियों का नया पैंतरा, फांसी पर रोक के लिए पहुंचे अंतरराष्ट्रीय कोर्ट

निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी से बचने के लिए हमेशा कोई न कोई पैंतरा आजमाते रहते हैं, लेकिन इस बार अपने सारे पैंतरे फेल होते देख दोषी अंतरराष्ट्रीय अदालत की शरण में पहुंच गए हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अदालत को पत्र लिखा है।

Ashiki
Published on: 16 March 2020 12:18 PM GMT
निर्भया के दोषियों का नया पैंतरा, फांसी पर रोक के लिए पहुंचे अंतरराष्ट्रीय कोर्ट
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नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप के दोषी फांसी से बचने के लिए हमेशा कोई न कोई पैंतरा आजमाते रहते हैं, लेकिन इस बार अपने सारे पैंतरे फेल होते देख दोषी अंतरराष्ट्रीय अदालत की शरण में पहुंच गए हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय अदालत को पत्र लिखा है। पत्र में 20 मार्च की होने वाली फांसी पर रोक की मांग की गई है। साथ ही मांग की है कि निचली अदालत के सभी रिकॉर्ड अदालत अपने पास मंगाए ताकि वो अपना पक्ष अंतरराष्ट्रीय अदालत में रख सके। बता दें कि पत्र नीदरलैंड के दूतावास को दिया गया है जो ICJ को भेजा गया है।

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खटखटाया ICJ का दरवाजा

बता दें कि निर्भया के चरों दोषियों में से तीन ही अक्षय सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा अंतरराष्ट्रीय अदालत की शरण में पहुंचे हैं। ज्ञात हो कि पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को 20 मार्च सुबह 5.30 बजे फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया है। दोषियों के खिलाफ यह चौथी बार डेथ वारंट जारी किया गया है।

दोषी मुकेश की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की थी खारिज

इसके पहले दोषी मुकेश की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। दरअसल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी एक याचिका ठुकरा दी जिसमें उसने अपनी पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी। बता दें कि वृंदा ग्रोवर ने शुरुआत में मुकेश के केस की पैरवी की थी।

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अधिवक्‍ता वृंदा ग्रोवर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में उसकी ओर से दाखिल याचिका को फांसी की सजा पर अमल को रोकने की कोशिश बताई जा रही थी। मुकेश ने वृंदा ग्रोवर पर आपराधिक साजिश रचने और धोखा देने का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया था कि वृंदा ग्रोवर ने 7 जनवरी को जारी हुए डेथ वारंट के बाद एक सप्ताह के भीतर क्यूरेटिव याचिका दायर करने के लिए मजबूर किया था, जबकि उसे इस बारे में जानकारी नहीं दी गई कि जुलाई 2018 में रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद वह तीन साल के भीतर क्यूरेटिव याचिका दायर कर सकता है।

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