12 साल बाद मुर्दा हुआ जिंदा! खुद की पेंशन रुकवाने पहुंचा BHU, अधिकारियों के छूटे पसीने
BHU dead Employee Returns: काशी के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में 12 साल बाद एक मृत घोषित कर्मचारी रमाशंकर राम जिंदा लौटे, जिन्होंने अपने नाम पर चल रही पारिवारिक पेंशन रुकवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाए।
BHU dead Employee Returns: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में वैसे तो कई चमत्कार होते रहते हैं, लेकिन इस बार बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के गलियारों से एक ऐसी खबर आई है जिसने विज्ञान और प्रशासन दोनों के सिर चकरा दिए हैं। कल्पना कीजिए कि एक शख्स जिसे सरकारी कागजों में मरा हुआ मान लिया गया हो, जिसके परिवार को सालों से 'मृत्यु के बाद' वाली पेंशन मिल रही हो, वह अचानक एक दिन खुद चलकर दफ्तर पहुंच जाए!
यह किसी फिल्म की पटकथा नहीं, बल्कि बीएचयू के एक कर्मचारी की हकीकत है। 12 साल तक लापता रहने के बाद जब यह 'मुर्दा' कर्मचारी जिंदा लौटकर रजिस्ट्रार ऑफिस पहुंचा, तो वहां हड़कंप मच गया। वह शख्स कोई और नहीं, बल्कि रमाशंकर राम हैं, जो अब खुद अपनी ही पेंशन रुकवाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। आखिर 12 साल तक वह कहां थे और कैसे एक 'लाश' दोबारा जिंदा होकर दफ्तर लौट आई? आइए जानते हैं इस अजीबोगरीब दास्तां की पूरी हकीकत।
2013 में अचानक गायब हुए और कागजों में हो गए 'अमर'
पूरा मामला एबी हॉस्टल कमच्छा में तैनात वरिष्ठ सहायक रमाशंकर राम से जुड़ा है। साल 2013 में रमाशंकर अचानक रहस्यमयी परिस्थितियों में कहीं लापता हो गए थे। परिवार ने काफी खोजबीन की और 19 मई 2013 को लंका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई। जब सात साल तक उनका कोई सुराग नहीं मिला, तो नियमानुसार पुलिस और कोर्ट की रिपोर्ट के आधार पर उन्हें मृत मान लिया गया। इसके बाद बीएचयू प्रशासन ने उनके परिवार के लिए 'पारिवारिक पेंशन' शुरू कर दी। परिवार पिछले पांच सालों से यह पेंशन ले रहा था, लेकिन नवंबर 2025 की एक सुबह ने सबको हैरान कर दिया जब रमाशंकर अचानक अपने घर लौट आए।
"मैं तो सरकारी फाइलों में मर चुका हूं"
रमाशंकर राम ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि साल 2007 के बाद उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था और शरीर के बाएं हिस्से में लकवा मार गया था। वे इतने वर्षों तक कहां रहे और किन परिस्थितियों में रहे, उन्हें कुछ भी याद नहीं है। जैसे ही उनकी सेहत में सुधार हुआ और धीरे-धीरे याददाश्त वापस आई, वे तुरंत अपने पुराने ठिकानों की तलाश में निकले। जब उन्हें पता चला कि उनके नाम पर परिवार को पेंशन मिल रही है, तो वे सीधे कुलसचिव कार्यालय पहुंचे। उन्होंने 7 और 25 नवंबर को पत्र देकर अपनी दावेदारी पेश की और मांग की कि पारिवारिक पेंशन बंद कर रिकवरी की जाए।
BHU प्रशासन अब तलाश रहा है 'जिंदा' होने का सबूत
इस मामले के सामने आने के बाद बीएचयू के पेंशन अनुभाग में खलबली मची है। आनन-फानन में 29 नवंबर को रमाशंकर की पारिवारिक पेंशन रोकने का आदेश तो जारी कर दिया गया है, लेकिन पेंच अभी फंसा हुआ है। प्रशासन अब आधिकारिक तौर पर यह साबित करने में जुटा है कि सामने खड़ा शख्स वाकई रमाशंकर राम ही है। पुराने अभिलेख और सेवा पुस्तिका खंगाली जा रही है ताकि कानूनी तौर पर उन्हें 'पुनर्जीवित' घोषित किया जा सके।