केंद्र की ओर से 2022 तक हर गरीब को घर देने की योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत ये मदद दी जा रही है। इस कार्यक्रम में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी हिस्सा लिया।
हर जनप्रतिनिधि की प्राथमिकता जनता की सेवा करना होनी चाहिए। इसके लिए विधायक निधि की जरूरत होती है। विधायक निधि से क्षेत्र की जनता के विकास कार्य होते हैं। विपक्ष की सरकार है फिर भी जनहित के कार्य कराते हैं। हमारे क्षेत्र की मुख्य समस्या आवारा जानवरों की है जो किसानों की फसल ओर किसानों को काफी नुकसान पहुचा रहे हैं।
दलबदल के सवाल पर वह कहते हैं कि राजनीति गंदी है, कुछ नेता मज़बूरी में दल बदलते है। राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र होना चाहिए अपनी बात रखने की आजादी होनी चाहिए।
विधायक कहते हैं कि क्षेत्र की समस्या है तहसील बनवाने की क्योंकि एक तहसील में 300 गांव होते हैं जबकि तहसील धामपुर में 936 गांव हैं। अतः एक नई तहसील का निर्माण कराना। जिमकार्बेट पार्क कालागढ़ टुरिज्म बनाना जिससे वहां पर जो विदेशी चिड़िया आती हैं लोग उनको देख सकें।
विधायक के तौर पर क्षेत्र में आईटीआई, जीजीआईसी संस्थाओं का निर्माण कराया एवं बिजली की समस्या निवारण हेतु बिजली घर का निर्माण कराया तथा मेरठ बिजनौर को जोड़ने वाले पुल का भी कार्य कराया और छोटे बड़े अनेक पुल बनवाये।
विधायक ने कहा विधायक निधि का सही इस्तेमाल करे तो मददगार है। निधि नहीं होगी तो हम समस्या हल नहीं कर पायेंगे। विधायक निधि 2.5 करोड़ से बढ़ाकर 8 से 9 करोड़ कर देनी चाहिए जिससे क्षेत्र का ओर विकास कराया जा सके।
पाकिस्तान में सिंध की आजादी और अलगाव का आंदोलन फिर तेज हो गया है। जीए सिंध आंदोलन के नेता गुलाम मुर्तज़ा सईद के 117 वें जन्म दिन पर सिंध के कई जिलों में जबर्दस्त प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के पोस्टर भी उछाले गए।
वॉट्सऐप के पॉलिसी अपडेट से मचे बवाल के बाद सिग्नल और टेलिग्राम को बड़ा फायदा हुआ है। ऐप एनालिटिक्स फर्म सेंसर टावर के डेटा के मुताबिक 6 से 10 जनवरी के बीच दुनिया भर में ऐप स्टोर और गूगल प्लेस्टोर में सिग्नल के 75 लाख के करीब डाउनलोड्स रहे हैं।
अनायास याद आ गयी राज्य सभा के चुम्बन पर चली एक पुरानी रोचक बहस (शुक्रवार, 27 फरवरी, 1970)। पचास वर्ष हुए। इसमें तब साठ साल पार कर चुके सदस्यों ने चुस्कियां लेते हुये चुंबन पर विचारों का दिनभर आदान-प्रदान किया था।
हिंदी में किसी से बात करने के लिए मैं तरस जाता था लेकिन अब अमेरिका के छोटे-मोटे गांवों में भी आप भारतीयों से टकरा सकते हैं। अबू धाबी और दुबई तो अब ऐसे लगते हैं
ऐसी शादियाँ वास्तव में प्रेम-विवाह होते हैं। प्रेम के आगे मजहब, जाति, रंग, पैसा, सामाजिक हैसियत- सब कुछ छोटे पड़ जाते हैं। शादी के बाद भी जो जिस मजहब या जात में पैदा हुआ है, उसे न बदले तो भी क्या फर्क पड़ता है ?