त्रिवेंद्र रावत का जन्म 20 दिसंबर 1960 को पौड़ी गढ़वाल के खैरासैँण(जहरीखाल) में फौजी परिवार में हुआ था। उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई की है। पीजी की पढ़ाई जर्नलिज्म से की है।
हर जनप्रतिनिधि की प्राथमिकता जनता की सेवा करना होनी चाहिए। इसके लिए विधायक निधि की जरूरत होती है। विधायक निधि से क्षेत्र की जनता के विकास कार्य होते हैं। विपक्ष की सरकार है फिर भी जनहित के कार्य कराते हैं। हमारे क्षेत्र की मुख्य समस्या आवारा जानवरों की है जो किसानों की फसल ओर किसानों को काफी नुकसान पहुचा रहे हैं।
दलबदल के सवाल पर वह कहते हैं कि राजनीति गंदी है, कुछ नेता मज़बूरी में दल बदलते है। राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र होना चाहिए अपनी बात रखने की आजादी होनी चाहिए।
विधायक कहते हैं कि क्षेत्र की समस्या है तहसील बनवाने की क्योंकि एक तहसील में 300 गांव होते हैं जबकि तहसील धामपुर में 936 गांव हैं। अतः एक नई तहसील का निर्माण कराना। जिमकार्बेट पार्क कालागढ़ टुरिज्म बनाना जिससे वहां पर जो विदेशी चिड़िया आती हैं लोग उनको देख सकें।
विधायक के तौर पर क्षेत्र में आईटीआई, जीजीआईसी संस्थाओं का निर्माण कराया एवं बिजली की समस्या निवारण हेतु बिजली घर का निर्माण कराया तथा मेरठ बिजनौर को जोड़ने वाले पुल का भी कार्य कराया और छोटे बड़े अनेक पुल बनवाये।
विधायक ने कहा विधायक निधि का सही इस्तेमाल करे तो मददगार है। निधि नहीं होगी तो हम समस्या हल नहीं कर पायेंगे। विधायक निधि 2.5 करोड़ से बढ़ाकर 8 से 9 करोड़ कर देनी चाहिए जिससे क्षेत्र का ओर विकास कराया जा सके।
भारतवर्ष में हमेशा ही नारी पुरुष से प्रधान व पूजनीय मानी जाती है ,परंतु विश्व में महिलाओं को पुरुषों के बराबरी पर आने के लिए भी जद्दोजहद के साथ आंदोलन करना पड़ा।
कुरैशी साहब निखालिस भारतभक्त हैं। उन्हीं का सुझाव था कि चाणक्यपुरी के शांतिपथ का नाम ''दलाई लामा मार्ग'' रख दो। कम्युनिस्ट चीन का दूतावास इसी रोड पर है। मकसद चीन को चिढ़ाना है।
मैं धरा का पर्व हूँ ,और उत्सवी उल्लास हूँ मै,प्राण मे बसते प्रणय का,इक मधुर मधुमास हूँ मैं,गूँजता शैशव जहाँ वह,मैं धरा का पर्व हूँ ,और उत्सवी उल्लास हूँ मै,प्राण मे बसते प्रणय का,इक मधुर मधुमास हूँ मैं,गूँजता शैशव जहाँ वह,
अपनी आचार संहिता में सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि यदि इन सूचना-माध्यमों पर कोई आपत्तिजनक या अपमानजनक सामग्री भेजी जाती है तो उसके पास ऐसे कौनसे तरीके हैं
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के नाम से ही पता चलता है यह देश की औद्योगिक दुर्घटना ,सड़क दुर्घटना ,स्वास्थ्य, पर्यावरण व देश की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष 4 मार्च को मनाया जाता है, जिससे लोगों को दुर्घटनाओं से बचाव के तरीकों के प्रति जागरुक किया जा सके।