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Maharashtra Election 2024: कांग्रेस के आगे कैसे झुकने को मजबूर हुए उद्धव, इस दलील के आगे करना पड़ा समझौता
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी गठबंधन के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात बन गई। है
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका में दिखेगी। कई दिनों तक चली खींचतान के बाद आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे को त्याग करते हुए कांग्रेस से कम सीटों पर समझौता करना पड़ा है। कांग्रेस को गठबंधन में सबसे अधिक सीटें दिलाने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले की बड़ी भूमिका मानी जा रही है जो उद्धव सेवा के सामने झुकने को कतई तैयार नहीं थे।जानकारों का कहना है कि महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल तीनों दलों कांग्रेस, शिवसेना के उद्धव गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट के बीच सीटों को लेकर तालमेल हो गया है मगर मुंबई की तीन विधानसभा सीटों को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस नेताओं ने यह विवाद भी जल्द सुलझ जाने की उम्मीद जताई है।
विपक्षी गठबंधन में इस तरह सीटों का बंटवारा
महाविकास अघाड़ी गठबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार कर लिया गया है। मंगलवार को कई दौर की बैठकों के बाद सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने में कामयाबी मिल सकी। सूत्रों का कहना है कि तय किए गए फॉर्मूले के मुताबिक महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस सबसे अधिक 105 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि उद्धव बाला साहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना को 95 सीटें मिलेंगी। शरद पवार की एनसीपी को 80 से 85 सीटें मिलेंगी। बाकी सीटें छोटी पार्टियों को दी जाएंगी। इस तरह गठबंधन के भीतर कांग्रेस पार्टी ने बड़ा भाई का रुतबा हासिल कर लिया है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे ने दिखाया असर
सीट बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू होने के बाद से ही उद्धव गुट ने सबसे अधिक सीटें लेने के लिए दबाव बना रखा था। उद्धव गुट की ओर से विधानसभा की 125 सीटों की डिमांड रखी गई थी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि फिर ऐसा क्या हुआ कि 150 सीटें मिलना तो दूर, उद्धव गुट को कांग्रेस से भी कम सीटों पर समझौता करना पड़ा। दरअसल सीट बंटवारे में लोकसभा चुनाव के नतीजे ने बड़ा असर दिखाया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान उद्धव गुट ने सबसे अधिक 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर पार्टी को 9 सीटों पर ही कामयाबी मिली थी। दूसरी ओर कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 13 सीटों पर जीत हासिल की थी। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की ओर से इस स्ट्राइक रेट को सामने रखते हुए ही उद्धव सेना को कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया गया। इससे पहले सीट बंटवारे को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और उद्धव गुट के नेता संजय राउत के बीच जुबानी जंग भी हुई थी। यहां तक कि संजय राउत ने सीट बंटवारे को लेकर नाना पटोले से बातचीत से भी इनकार कर दिया था।
कांग्रेस की दलीलों के आगे झुकी उद्धव सेना
मंगलवार को सीट बंटवारे को लेकर हुई बातचीत के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने प्रमुख भूमिका निभाई। कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथल्ला की ओर से थोराट को उद्धव गुट और एनसीपी से बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके साथ ही शरद पवार ने भी दखल देते हुए विवाद को सुलझाने की कोशिश की। कांग्रेस की ओर से तर्क दिया गया कि विदर्भ में पार्टी का अच्छा खासा जनाधार है जबकि उद्धव गुट की स्थिति वहां काफी कमजोर है।
ऐसे में उद्धव गुट के विदर्भ में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने से गठबंधन को नुकसान होगा और भाजपा फायदे में रहेगी। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के स्ट्राइक रेट को सामने रखते हुए अपने दावे की पुष्टि भी की। कांग्रेस की ओर से तर्क दिए जाने के बाद उद्धव गुट ने बराबर सीटें देने की मांग की। इस पर भी कांग्रेस अड़ गई और आखिरकार 105 सीटें झटकना में कामयाब रही जबकि उद्धव गुट को 95 सीटों पर ही चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।
मुंबई की तीन सीटों पर विवाद बरकरार
महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तो तय कर लिया गया है मगर मुंबई की तीन विधानसभा सीटों को लेकर अभी भी विवाद फंसा हुआ है। मुंबई की तीन सीटों वर्सोवा,बायकुला और बांद्रा ईस्ट को लेकर अभी भी पेंक फंसा हुआ है क्योंकि कांग्रेस और उद्धव गुट दोनों की ओर से इन तीनों सीटों पर दावेदारी की जा रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जल्द ही इन तीन सीटों के विवाद को भी सुलझा लिया जाएगा। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होने वाला है। इसलिए गठबंधन में शामिल तीनों दलों के नेता जल्द से जल्द सीट बंटवारे का काम पूरा करके चुनाव अभियान में जुटना चाहते हैं।