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Dhanteras 2024 Mantra For Money: धनतेरस पर ये एक मंत्र आपको बना देगा धनवान, जानें कैसे करें जाप

Dhanteras Mantra 2024: धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन आप मंत्र जाप के जरिए देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं।

Shreya
Written By Shreya
Published on: 23 Oct 2024 8:38 AM IST
Dhanteras 2024 Mantra For Money: धनतेरस पर ये एक मंत्र आपको बना देगा धनवान, जानें कैसे करें जाप
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Dhanteras Mantra (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Dhanteras 2024 Mantra: हर साल दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस (Dhanteras) या धन त्रयोदशी (Dhanatrayodashi) का त्योहार मनाते हैं। यह हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Dhanteras Tithi) के दिन पड़ता है। इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras 2024 Date) मनाया जाएगा। कहते हैं कि इसी दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि (Dhanvantari) अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इसके अलावा माता लक्ष्मी, कुबेर देव और यमराज जी भी इस दिन मुख्य रूप से पूजे जाते हैं।

धनतेरस के दिन सोना-चांदी, बर्तन, वाहन, घर, भूमि आदि चीजों की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और साल भर आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है। धनतेरस के मौके पर लोग लक्ष्मी मां को प्रसन्न करने के कई तरीके अपनाते हैं। क्योंकि मान्यता है कि इस शुभ दिन पर लक्ष्मी मां घर आती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।

मंत्र जाप के जरिए करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न (Mantra Jaap On Dhanteras)

आप इस दिन मंत्र जाप करके भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं। आज हम आपको ऐसे 4 मंत्र (Dhanteras Mantra) बताने जा रहे हैं, जिनमें से अगर आपने एक भी मंत्र का धनतेरस (Dhanteras Ke Liye Mantra) वाले दिन जाप कर लिया तो इससे धन संबंधी सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाएंगी। इन मंत्रों का 108 बार जाप करना चाहिए। अगर आप 108 बार जाप नहीं कर सकते तो कम से कम 13 बार जरूर पढ़ें।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

धनप्राप्ति के लिए मंत्र (Dhanteras Par Dhan Prapti Ke Mantra)

1- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।।

2- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।

3- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः।।

4- ॐ वैश्रवणाय स्वाहा:।।



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