कोरोना का कहर: ऑटोइम्यून बीमारियां 30 फीसदी बढ़ीं

Covid-19 Autoimmune Disease: अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि कैसे कोरोनाने इम्यून सिस्टम को बहुत कमजोर बना दिया है। कुछ मामलों में तो इम्यून सिस्टम शरीर के अपने टिश्यू के खिलाफ हो दिया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 22 Oct 2024 6:07 AM GMT
कोरोना का कहर: ऑटोइम्यून बीमारियां 30 फीसदी बढ़ीं
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Covid-19 Autoimmune Disease  (photo: social media )

Covid-19 Autoimmune Disease: कोरोना वायरस के दुष्परिणाम अब धीरे धीरे सामने आ रहे हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री एंड रिसर्च में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना महामारी के बाद से भारतीय आबादी में ऑटोइम्यून बीमारियों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें भी युवा लोग कुछ ज्यादा ही प्रभावित हुए हैं।

क्या हुआ रिसर्च में

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर द्वारा किए गए शोध में 2019 के कोरोना से पहले के डेटा (50,457) की तुलना 2022 के कोरोना के बाद के (72,845) मामलों से करते हुए 1.2 लाख मामलों का विश्लेषण करने का दावा किया गया है।

अध्ययन में एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी (एएनए) पॉजिटिविटी के प्रचलन में उल्लेखनीय वृद्धि पाई गई। एएनए ऑटोइम्यून रोगों के निदान के लिए उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण मार्कर है।

क्या निकल कर आया

- 2019 में जहां 39.3 प्रतिशत मामले एएनए-पॉजिटिव थे वहीं 2022 तक यह संख्या बढ़कर 69.6 प्रतिशत हो गई।

- उल्लेखनीय रूप से न्यूक्लियर होमोजीनियस पैटर्न में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो सामान्यतः सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) और रुमेटॉइड गठिया से जुड़ा हुआ एक मार्कर है।

- 31 से 45 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में सबसे ज्यादा एएनए पॉजिटिविटी दर देखी गई, उसके बाद 46 से 60 वर्ष की आयु के लोगों में ये ट्रेंड पाया गया। युवा आबादी में तीव्र वृद्धि एक चिंताजनक स्थिति है।

- खास तौर से 60 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों में, दोनों अवधियों में लगातार उच्च एएनए पॉजिटिविटी देखी गई। यानी इस उम्र के लोगों में कोरोना के बाद कोई बदलाव नहीं देखा गया।

इम्यून सिस्टम हुआ कमजोर

अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि कैसे कोरोनाने इम्यून सिस्टम को बहुत कमजोर बना दिया है। कुछ मामलों में तो इम्यून सिस्टम शरीर के अपने टिश्यू के खिलाफ हो दिया है।

अध्ययन के सह-लेखक डॉ. अलाप क्रिस्टी ने बताया कि कोरोना के बाद एएनए पॉजिटिविटी में यह नाटकीय वृद्धि वायरस और इम्यून सिस्टम की तीव्र प्रतिक्रिया के बीच एक संबंध बताती है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में बढ़ी हुई प्रतिरक्षा गतिविधि शरीर को गलती से अपने स्वयं के टिश्यू पर हमला करने का कारण बनती है, जिससे ऑटोइम्यून रोग ट्रिगर या बिगड़ जाते हैं।

डाक्टरों ने महामारी के बाद ऑटोइम्यून स्थितियों में तेजी से वृद्धि देखी है। शोध से संकेत मिलता है कि कोरोना के लिए शरीर की इम्युनिटी प्रतिक्रिया एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है। रिसर्च निष्कर्ष प्रारंभिक पहचान के महत्व पर जोर देते हैं, विशेष रूप से महिलाओं और वृद्धों के लिए, जो उच्च जोखिम में हैं।

ऑटो इम्यून बीमारी क्या है

ऑटो इम्यून बीमारियों में डायबिटीज, अर्थराइटिस, क्रोहन डिज़ीज़, थायरॉइड इत्यादि बीमारी शामिल हैं।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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