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Lord Shri Ram: राम से बड़ा राम का नाम

Lord Shri Ram: करोड़ों ब्रह्माण्ड भगवान के एक-एक रोम में बसते हैं। दशरथ के घर जन्म लेने वाले भी राम हैं और जो निर्गुण निराकार रूप से सब जगह रम रहें है, उस परमात्मा का नाम भी राम है।

Kanchan Singh
Written By Kanchan Singh
Published on: 11 April 2024 6:39 PM IST
Rams name is bigger than Ram
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राम से बड़ा राम का नाम: Photo- Social Media

राम नाम ही परब्रह्म है

एक नाम जाप होता है और एक मंत्र जाप होता है। राम नाम मन्त्र भी है और नाम भी राम राम राम ऐसे नाम जाप कि पुकार विधिरहित होती है। इस प्रकार भगवान को सम्बोधित करने का अर्थ है कि हम भगवान को पुकारे जिससे भगवान कि दृष्टि हमारी तरफ खिंच जाए।

जैसे एक बच्चा अपनी माँ को पुकारता है तो उन माताओं का चित्त भी उस बच्चे की ओर आकृष्ट हो जाता है, जिनके छोटे बच्चे होते हैं, पर उठकर वही माँ दौड़ेगी जिसको वह बच्चा अपनी माँ मानता है।

करोड़ों ब्रह्माण्ड भगवान के एक-एक रोम में बसते हैं। दशरथ के घर जन्म लेने वाले भी राम हैं और जो निर्गुण निराकार रूप से सब जगह रम रहें है, उस परमात्मा का नाम भी राम है। नाम निर्गुण ब्रह्म और सगुण राम दोनों से बड़ा है।

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भगवान स्वयं नामी कहलाते हैं

भगवान परमात्मा अनामय है अर्थात विकार रहित है। उसका न नाम है, न रूप है उनको जानने के लिए उनका नाम रख कर सम्बोधित किया जाता है, क्योंकि हम लोग नाम रूप में बैठे हैं इसलिए उसे ब्रह्म कहते हैं। जिस अनंत, नित्यानंद और चिन्मय परमब्रह्म में योगी लोग रमण करते हैं उसी राम-नाम से परमब्रह्म प्रतिपादित होता है अर्थात राम नाम ही परमब्रह्म है।

अनंत नामों में मुख्य राम नाम है

भगवान के गुण आदि को लेकर कई नाम आयें हैं, उनका जप किया जाये तो भगवान के गुण, प्रभाव, तत्व, लीला आदि याद आयेंगें। भगवान के नामों से भगवान के चरित्र की याद आती है। भगवान के चरित्र अनंत हैं। उन चरित्र को लेकर नाम जप भी अनंत ही होगा।

राम नाम में अखिल सृष्टि समाई हुई है

वाल्मीकि ने सौ करोड़ श्लोकों की रामायण बनाई, तो सौ करोड़ श्लोकों की रामायण को भगवान शंकर के आगे रख दिया जो सदैव राम नाम जपते रहते हैं। उन्होनें उसका उपदेश पार्वती को दिया, भगवान शंकर ने रामायण के तीन विभाग कर त्रिलोक में बाँट दिया, तीन लोकों को तैंतीस-तैंतीस करोड़ दिए तो एक करोड़ बच गया, उसके भी तीन टुकड़े किए तो एक लाख बच गया, उसके भी तीन टुकड़े किये तो एक हज़ार बच और उस एक हज़ार के भी तीन भाग किये तो सौ बच गया, उसके भी तीन भाग किए एक श्लोक बच गया, इस प्रकार एक करोड़ श्लोकों वाली रामायण के तीन भाग करते करते एक अनुष्टुप श्लोक बचा रह गया, एक अनुष्टुप छंद के श्लोक में बत्तीस अक्षर होते हैं उसमें दस-दस करके तीनों को दे दिए तो अंत में दो ही अक्षर बचे भगवान् शंकर ने यह दो अक्षर रा और म आपने पास रख लिए, राम अक्षर में ही पूरी रामायण है, पूरा शास्त्र है।

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राम नाम वेदों के प्राण के सामान है

शास्त्रों का और वर्णमाल का भी प्राण है, प्रणव को वेदों का प्राण माना जाता है, प्रणव तीन मात्रा वाल ॐ कार पहले ही प्रगट हुआ, उससे त्रिपदा गायत्री बनी और उससे वेदत्रय, ऋक, साम और यजुः – ये तीन प्रमुख वेद बने, इस प्रकार ॐ कार ( प्रणव ) वेदों का प्राण है, राम नाम को वेदों का प्राण माना जाता है, क्योंकि राम नाम से प्रणव होता है, जैसे प्रणव से र निकाल दो तो केवल पणव हो जाएगा अर्थात ढोल हो जायेगा। ऐसे ही ॐ में से म निकाल दिया जाए तो वह शोक का वाचक हो जाएगा, प्रणव में र और ॐ में म कहना आवश्यक है। इसलिए राम नाम वेदों का प्राण भी है।

नाम और रूप दोनों ईश्वर कि उपाधि हैं

भगवान् के नाम और रूप दोनों अनिर्वचनीय हैं, अनादि है, सुन्दर, शुद्ध , भक्ति युक्त बुद्धि से ही इसका दिव्य अविनाशी स्वरुप जानने में आता है।

राम नाम लोक और परलोक में निर्वाह करने वाला होता है

लोक में यह देने वाला चिंतामणि और परलोक में भगवत्दर्शन कराने वाला है। वृक्ष में जो शक्ति है वह बीज से ही आती है इसी प्रकार अग्नि, सूर्य और चन्द्रमा में जो शक्ति है वह राम नाम से आती है।

राम नाम अविनाशी और व्यापक रूप से सर्वत्र परिपूर्ण है

सत् है, चेतन है और आनंद राशि है, उस आनंद रूप परमात्मा से कोई जगह खाली नही, कोई समय खाली नहीं, कोई व्यक्ति खाली नही कोई प्रकृति खाली नही ऐसे परिपूर्ण, ऐसे अविनाशी वह निर्गुण है, वस्तुएं नष्ट जाती है, व्यक्ति नष्ट हो जाते हैं, समय का परिवर्तन हो जाता है, देश बदल जाता है, लेकिन यह सत्-तत्व ज्यों -त्यों ही रहता है इसका विनाश नही होता है इसलिए यह सत् है।

राम नाम कि महिमा

( 1 ) : - जीभ वागेन्द्रिय है उससे राम राम जपने से उसमें इतनी अलौकिकता आ जाती है कि ज्ञानेन्द्रिय और उसके आगे अंतःकरण और अन्तः कारण से आगे प्रकृति और प्रकृति से अतीत परमात्मा तत्व है, उस परमात्मा तत्व को यह नाम जाना दे ऐसी उसमें शक्ति है।

( 2 ) - राम नाम मणिदीप है, एक दीपक होता है एक मणिदीप होता है, तेल का दिया दीपक कहलाता है।

मणिदीप स्वतः प्रकाशित होती है, जो मणिदीप है वह कभी बुझती नहीं है, जैसे दीपक को चौखट पर रख देने से घर के अंदर और भर दोनों हिस्से प्रकाशित हो जाते हैं वैसे ही राम नाम को जीभ पर रखने से अंतःकरण और बाहरी आचरण दोनों प्रकाशित हो जाते हैं।

( 3 ) - यानी भक्ति को यदि ह्रदय में बुलाना हो तो, राम नाम का जप करो इससे भक्ति दौड़ी चली आएगी।

( 4 ) - अनेक जन्मों से युग युगांतर से जिन्होंने पाप किये हों उनके ऊपर राम नाम की दीप्तिमान अग्नि रख देने से सारे पाप कटित हो जाते हैं।

( 5 ) - राम के दोनों अक्षर मधुर और सुन्दर हैं, मधुर का अर्थ रचना में रस मिलता हुआ और मनोहर कहने का अर्थ है की मन को अपनी और खींचता है, राम राम कहने से मुंह में मिठास पैदा होती है, दोनों अक्षर वर्णमाल की दो आँखें हैं, राम के बिना वर्णमाला भी अंधी है।

( 6 ) - जगत में सूर्य पोषण करता है और चन्द्रना अमृत वर्षा करता है, राम नाम विमल है जैसे सूर्य और चंद्रमा को राहु-केतु ग्रहण लगा देते हैं, लेकिन राम नाम पर कभी ग्रहण नहीं लगता है, चन्द्रमा घटता-बढता रहता है लेकिन राम तो सदैव बढता रहता है, यह सदा शुद्ध है अतः यह निर्मल चन्द्रमा और तेजश्वी सूर्य के समान है।

( 7 ) - अमृत के स्वाद और तृप्ति के सामान राम नाम है, राम कहते समय मुंह खुलता है और म कहने पर बंद होता है, जैसे भोजन करने पर मुख खुला होता है और तृप्ति होने पर मुंह बंद होता है, इसी प्रकार रा और म अमृत के स्वाद और तोष के सामान हैं।

( 8 ) - छह कमलों में एक नाभि कमल ( चक्र ) है उसकी पंखुड़ियों में भगवान के नाम है, वे भी दिखने लग जाते हैं, आँखों में जैसे सभी बाहरी ज्ञान होता है ऐसे नाम जाप से बड़े बड़े शास्त्रों का ज्ञान हो जाता है, जिसने पढ़ाई नहीं की शास्त्र नहीं पढ़े उनकी वाणी में भी वेदों की ऋचाएं आती है, वेदों का ज्ञान उनको स्वतः हो जाता है।

( 9 ) - राम नाम निर्गुण और सगुण के बीच सुन्दर साक्षी है, यह दोनों के बीच का वास्तविक ज्ञान करवाने वाला चतुर दुभाषिया है, नाम सगुण और निर्गुण दोनों से श्रेष्ट चतुर दुभाषिया है।

( 10 ) - राम जाप से रोम रोम पवित्र हो जाता है, साधक ऐसा पवित्र हो जाता है उसके दर्शन, स्पर्श भाषण से ही दूसरे पर असर पड़ता है, अनिश्चिता दूर होती है शोक-चिंता दूर होते हैं, पापों का नाश होता है, वे जहां रहते हैं वह धाम बन जाता है वे जहां चलते हैं वहां का वायुमंडल पवित्र हो जाता है।

कैसे लें राम-नाम

परमात्मा ने अपनी पूरी पूरी शक्ति राम नाम में रख दी है, नाम जप के लिए कोई स्थान, पात्र विधि की जरुरत नही है, रात दिन राम नाम का जप करो निषिद्ध पापाचरण आचरणों से स्वतः ग्लानी हो जायेगी, अभी अंतकरण मैला है इसलिए मलिनता अच्छी लगती है मन के शुद्ध होने पर मैली वस्तुओं कि अकांक्षा नहीं रहेगी, जीभ से राम राम शुरू कर दो मन की परवाह मत करो, ऐसा मत सोचे कि मन नहीं लग रहा है तो जप निरर्थक चल रहा है, जैसे आग बिना मन के छुएंगे तो भी वह जलायेगी ही ऐसे ही भगवान् का नाम किसी तरह से लिया जाए, अंतर्मन को निर्मल करेगा ही अभी मन नहीं लग रहा है तो परवाह नहीं करे, क्योंकि आपकी नियत तो मन लगाने की है तो मन लग जाएगा। भगवान ह्रदय की बात देखते हैं की यह मन लगाना चाहता है, लेकिन मन नहीं लग पा रहा है, इसलिए मन नहीं लगे तो घबराऐ मत और जाप करते करते मन लगाने का प्रयत्न करे।

सोते समय सभी इन्द्रिय मन में, मन बुध्दि में, बुद्धि प्रकृति में अर्थात अविद्या में लीन हो जाती है, गाढ़ी नींद में जब सभी इन्द्रियां लीन होती है उस पर भी उस व्यक्ति को पुकारा जाए तो वह अविद्या से जग जाता है। राम नाम में अपार शन्ति, आनंद और शक्ति भरी हुई है।

यह सुनने और स्मरण करने में सुन्दर और मधुर है, राम नाम जप करने से यह अचेतन-मन में बस जाता है उसके बाद अपने आप से राम राम जप होने लगता है करना नहीं पड़ता है,रोम-रोम उच्चारण करता है, चित्त इतना खिंच जाता है की छुडाये नहीं छुटता है।

राम राम राम

भगवान शरण में आने वाले को मुक्ति देते हैं लेकिन भगवान का नाम उच्चारण मात्र से मुक्ति दे देता है, जैसे छत्र का आश्रय लेने वाल छत्रपति हो जाता है, वैसे ही राम रूपी धन जिसके पास है वही असली धनपति है, सुगति रूपी जो सुधा है वह सदा के लिए तृप्त करने वाली होती है, जिस लाभ के बाद में कोई लाभ नहीं बच जाता है जहां कोई दुःख नहीं पहुँच सकता है ऐसे महान आनंद को राम नाम प्राप्त करवाता है।

।। जय जय श्री राम ।।




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Shashi kant gautam

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